मदुरै: उच्च न्यायालय ने पॉक्सो के एक मामले में पीड़िता के मुकरने पर भी उमक्रैद की सजा को बरकरार रखा. उच्च न्यायालय ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर सजा में नरमी बरतने से इंकार कर दिया. पेश मामले में तंजावुर की निचली अदालत ने ट्यूशन पढ़ने गई छात्रा के साथ यौन शोषण के मामले में दो दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. मामले में शामिल दोनों दोषी इलारासन और कार्तिक ने इस सजा को रद्द करने की मांग करते हुए मदुरै हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
जस्टिस निशाफानु और आनंद वेंकटेश ने सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए दोषियों की याचिका को खारिज कर दिया. मामले में 6 लोगों ने ट्यूशन पढ़ने गयी छात्रा का अपहरण कर उसका यौन शोषण किया था. बाद में पीड़ित छात्रा मुकर गयी और कहा कि उसका यौन उत्पीड़न नहीं किया गया.
हालांकि, न्यायालय ने पीड़िता द्वारा डॉक्टर को दिए गये बयान और मेडिकल जांच में यौन शोषण की पुष्टि के आधार पर सजा में नरमी बरतने से इनकार कर दिया. न्यायालय ने कहा कि पीड़िता मुकर सकती है. लेकिन, डॉक्टर की रिपोर्ट झूठी नहीं है. आमतौर पर पॉक्सो के मामलों में पीड़िता और गवाह समाज और अपराधियों के डर से गवाही देने के लिए आगे नहीं आते हैं. यह एक ऐसा मामला है.
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पीड़ित छात्रा की मेडिकल रिपोर्ट में डीएनए की पुष्टि होने पर तंजावुर अधीनस्थ न्यायालय ने दोषी इलारासन और कार्तिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसलिए, पेश मामले में तंजावुर अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा की पुष्टि की.