ETV Bharat / bharat

गांगुली ने 2018 आर्बिट्रेशन अवार्ड को लागू करने के लिए HC का रुख किया - भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने मध्यस्थता न्यायाधिकरण (Arbitration Tribunal) के 2018 के आदेश के कार्यान्वयन की मांग की है.

गांगुली
गांगुली
author img

By

Published : Jul 12, 2021, 10:59 PM IST

मुंबई : सौरव गांगुली ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि उनकी पूर्व प्रबंधन कंपनियों, परसेप्ट टैलेंट मैनेजमेंट लिमिटेड और परसेप्ट डी मार्क (भारत) द्वारा उन्हें देय मुआवजे का भुगतान किया जाए. मध्यस्थता न्यायाधिकरण (Arbitration Tribunal) ने साल 2018 में गांगुली के पक्ष में फैसला सुनाया था.

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान रह चुके गांगुली ने मांग की है कि दोनों कंपनियों को अपनी संपत्ति का खुलासा करने का निर्देश दिया जाए. सोमवार को न्यायमूर्ति एके मेनन की अध्यक्षता वाली एकल पीठ में इस मामले की सुनवाई हुई. इसमें परसेप्ट टैलेंट मैनेजमेंट और परसेप्ट डी मार्क ने कहा कि वे 20 जुलाई तक मुआवजे का भुगतान करेंगे.

सेवानिवृत्त क्रिकेटर के अनुसार, दोनों कंपनियों द्वारा भुगतान की जाने वाली कुल राशि 36 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें लगभग 14.50 करोड़ रुपये का मूल मुआवजा और भुगतान न करने पर उस पर जमा ब्याज शामिल है.

अंतरिम राहत के रूप में, गांगुली ने यह भी मांग की है कि कंपनियों को उनकी संपत्तियों पर कोई भी लेनदेन करने से रोका जाए. गांगुली ने अपनी याचिका में इस बात पर चिंता जताई कि कंपनियों के निदेशकों ने उनके खातों से अन्य फर्मों को धन की हेराफेरी की है.

कंपनियों की ओर से पेश अधिवक्ता शार्दुल सिंह ने कहा कि वे 20 जुलाई तक संपत्ति का खुलासा करेंगे. हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, पार्टियों के बीच मध्यस्थता एक खिलाड़ी प्रतिनिधित्व समझौते से उत्पन्न हुई, जिसके माध्यम से प्रतिवादी कंपनियों को गांगुली के लिए विशेष प्रबंधक के रूप में कार्य करना था.

पार्टियों के बीच विवाद पैदा होने के बाद, समझौते को समाप्त कर दिया गया और गांगुली ने संधि में मध्यस्थता खंड को लागू किया.

पढ़ें - ओलंपिक कट आफ सूची पर सूचना के अभाव पर भारतीय टेनिस खिलाड़ियों ने सवाल उठाये

मध्यस्थता के कारण एक निर्णय हुआ जिसके माध्यम से प्रतिवादी कंपनियों को गांगुली को 14,49,91,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया. वो भी 21 नवंबर 2007 से भुगतान की प्राप्ति तक 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित.

मुंबई : सौरव गांगुली ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि उनकी पूर्व प्रबंधन कंपनियों, परसेप्ट टैलेंट मैनेजमेंट लिमिटेड और परसेप्ट डी मार्क (भारत) द्वारा उन्हें देय मुआवजे का भुगतान किया जाए. मध्यस्थता न्यायाधिकरण (Arbitration Tribunal) ने साल 2018 में गांगुली के पक्ष में फैसला सुनाया था.

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान रह चुके गांगुली ने मांग की है कि दोनों कंपनियों को अपनी संपत्ति का खुलासा करने का निर्देश दिया जाए. सोमवार को न्यायमूर्ति एके मेनन की अध्यक्षता वाली एकल पीठ में इस मामले की सुनवाई हुई. इसमें परसेप्ट टैलेंट मैनेजमेंट और परसेप्ट डी मार्क ने कहा कि वे 20 जुलाई तक मुआवजे का भुगतान करेंगे.

सेवानिवृत्त क्रिकेटर के अनुसार, दोनों कंपनियों द्वारा भुगतान की जाने वाली कुल राशि 36 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें लगभग 14.50 करोड़ रुपये का मूल मुआवजा और भुगतान न करने पर उस पर जमा ब्याज शामिल है.

अंतरिम राहत के रूप में, गांगुली ने यह भी मांग की है कि कंपनियों को उनकी संपत्तियों पर कोई भी लेनदेन करने से रोका जाए. गांगुली ने अपनी याचिका में इस बात पर चिंता जताई कि कंपनियों के निदेशकों ने उनके खातों से अन्य फर्मों को धन की हेराफेरी की है.

कंपनियों की ओर से पेश अधिवक्ता शार्दुल सिंह ने कहा कि वे 20 जुलाई तक संपत्ति का खुलासा करेंगे. हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, पार्टियों के बीच मध्यस्थता एक खिलाड़ी प्रतिनिधित्व समझौते से उत्पन्न हुई, जिसके माध्यम से प्रतिवादी कंपनियों को गांगुली के लिए विशेष प्रबंधक के रूप में कार्य करना था.

पार्टियों के बीच विवाद पैदा होने के बाद, समझौते को समाप्त कर दिया गया और गांगुली ने संधि में मध्यस्थता खंड को लागू किया.

पढ़ें - ओलंपिक कट आफ सूची पर सूचना के अभाव पर भारतीय टेनिस खिलाड़ियों ने सवाल उठाये

मध्यस्थता के कारण एक निर्णय हुआ जिसके माध्यम से प्रतिवादी कंपनियों को गांगुली को 14,49,91,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया. वो भी 21 नवंबर 2007 से भुगतान की प्राप्ति तक 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.