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गंगा की गुणवत्ता हुई बेहतर, 97 में 68 स्थान स्नान करने के मानदंडों के अनुरूप

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Published : Oct 24, 2021, 6:15 PM IST

गंगा नदी के जल की गुणवत्ता में 2014 से महत्वपूर्ण वृद्धि है. दरअसल, नदी के पूरे प्रवाह क्षेत्र में घुलनशील ऑक्सीजन का स्तर निर्धारित न्यूनतम स्तर से अधिक है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी.

गंगा
गंगा

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने एक साक्षात्कार में कहा कि जैव-रसायन ऑक्सीजन मांग (बीओडी) निगरानी वाले 53 स्थलों में 32 स्थानों पर 2014 में स्नान की प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंड के अनुरूप थे.

वहीं, 2021 में कुल निगरानी केंद्र बढ़ कर 97 हो गये, जिनमें 68 स्थान स्नान के लिए बीओडी मानदंड का अनुपालन करने वाले पाये गये.

बीओडी, जीवाणु और अन्य सूक्ष्म जीवों द्वारा उपभोग किये जाने वाले ऑक्सीजन की मात्रा का प्रतिनिधित्व करती है. इसकी मात्रा जितनी अधिक होगी, नदी की धारा में उतनी ही तेजी से ऑक्सीजन की मात्रा घटेगी, जिसका मतलब है कि जलीय जीवन के लिए कम मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा कि गंगा नदी के जल में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा बेहतर हुई है.

उन्होंने कहा कि इस समय, गंगा के पूरे प्रवाह क्षेत्र में जल में घुली हुई ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा पांच मिलीग्राम प्रति लीटर के निर्धारित न्यूनतम स्तर से कहीं अधिक है. नदी जल गुणवत्ता 2014 और 2021 के बीच बेहतर हुई प्रदशित हुई है.

मिश्रा ने कहा कि जल गुणवत्ता बेहतर करने के लिए उठाये गये कदमों में प्रतिष्ठानों द्वारों प्रदूषण स्रोतों का नियंत्रण या गंगा की मुख्य धारा और सहायक नदियों के तटों पर स्थित शहरों में दूषित जल शोधन संयंत्र का उन्नयन, शवदाह गृहों का निर्माण, तलछट की सफाई, नदी तट पर व बाढ़ के मैदान में ठोस कूड़ा प्रबंधन तथा गंगा नदी में गिरने वाले नालों में कचरा गिरने से रोकना आदि शामिल है.

पढ़ें : 'नमामि गंगे 2.0' परियोजना शुरू करेगी सरकार

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने एक साक्षात्कार में कहा कि जैव-रसायन ऑक्सीजन मांग (बीओडी) निगरानी वाले 53 स्थलों में 32 स्थानों पर 2014 में स्नान की प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंड के अनुरूप थे.

वहीं, 2021 में कुल निगरानी केंद्र बढ़ कर 97 हो गये, जिनमें 68 स्थान स्नान के लिए बीओडी मानदंड का अनुपालन करने वाले पाये गये.

बीओडी, जीवाणु और अन्य सूक्ष्म जीवों द्वारा उपभोग किये जाने वाले ऑक्सीजन की मात्रा का प्रतिनिधित्व करती है. इसकी मात्रा जितनी अधिक होगी, नदी की धारा में उतनी ही तेजी से ऑक्सीजन की मात्रा घटेगी, जिसका मतलब है कि जलीय जीवन के लिए कम मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है. मिश्रा ने कहा कि गंगा नदी के जल में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा बेहतर हुई है.

उन्होंने कहा कि इस समय, गंगा के पूरे प्रवाह क्षेत्र में जल में घुली हुई ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा पांच मिलीग्राम प्रति लीटर के निर्धारित न्यूनतम स्तर से कहीं अधिक है. नदी जल गुणवत्ता 2014 और 2021 के बीच बेहतर हुई प्रदशित हुई है.

मिश्रा ने कहा कि जल गुणवत्ता बेहतर करने के लिए उठाये गये कदमों में प्रतिष्ठानों द्वारों प्रदूषण स्रोतों का नियंत्रण या गंगा की मुख्य धारा और सहायक नदियों के तटों पर स्थित शहरों में दूषित जल शोधन संयंत्र का उन्नयन, शवदाह गृहों का निर्माण, तलछट की सफाई, नदी तट पर व बाढ़ के मैदान में ठोस कूड़ा प्रबंधन तथा गंगा नदी में गिरने वाले नालों में कचरा गिरने से रोकना आदि शामिल है.

पढ़ें : 'नमामि गंगे 2.0' परियोजना शुरू करेगी सरकार

(पीटीआई-भाषा)

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