पुणे : आज घर-घर में गणेश पूजा का आयाेजन किया जा रहा है. यहां कुछ ऐसे गणेश उत्सव के बारे में आपकाे बताने जा रहे हैं जिनका न केवल ऐतिहासिक महत्व है बल्कि ये आयाेजन भाईचारे का भी संदेश देते हैं.
1. मनाचा गणपति (कसाबा गणपति)-कसाबा गणपति को पुणे के ग्राम देवता के रूप में जाना जाता है. कसाबा गणपति का यह मंदिर छत्रपति शिवाजी महाराज के समय का बताया जाता है. सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत 1893 में हुई थी. तब से, इस गणपति को मना (first Ganapati of Mana) के पहले गणपति के रूप में जाना जाता है. इसी गणपति से पुणे का विसर्जन जुलूस शुरू होता है.
2. मनाचा गणपति (तांबड़ी जोगेश्वरी गणपति)- कसाबा गणपति की तरह तांबाडी जोगेश्वरी गणेश उत्सव 1893 से शुरू हुआ. तांबाडी जोगेश्वरी को भी पुणे के ग्राम देवता के रूप में जाना जाता है. अप्पा बलवंत चौक पर उत्सव की शुरुआत 1893 में भाऊ बेंद्रे ने की थी.
3. मनाचा गणपति (गुरुजी तालीम गणपानी)- श्री गुरुजी तालीम गणपति को हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. लोकमान्य तिलक द्वारा गणेश उत्सव शुरू करने से पहले इसे गणपति तालीम में स्थापित किया गया था. भीकू शिंदे, नानासाहेब खासगीवाले, शेख कसम वल्लाद ने इस उत्सव की नींव रखी थी.
4. मनाचा गणपति (तुलसीबाग गणपति)-इस गणेश उत्सव की शुरुआत 1900 में दक्षित तुलसीबागवाले ने की थी. वरिष्ठ मूर्तिकार डी. एस खतावकर कई वर्षों से इस गणपति को सजा रहे हैं. तुलसीबाग गणपति की मूर्ति फाइबर से बनी है.
5. मनाचा गणपति (केसरी गणपति) -केसरी वाड़ा के गणपति को पुणे के पांचवें मनचा गणपति के रूप में जाना जाता है. तिलकवाड़ा में 1905 से भगवान गणेश का उत्सव शुरू हुआ था, लोकमान्य तिलक गणपति उत्सव में व्याख्यान देते थे.
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