नई दिल्ली: जी20 देशों ने शनिवार को राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप ईंधन के रूप में कोयले के इस्तेमाल को धीरे-धीरे कम करने के प्रयासों में तेजी लाने और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के लिए पिट्सबर्ग में 2009 में किए गए अपने वादे को बरकरार रखने की प्रतिबद्धता जताई.
जी20 घोषणापत्र (नयी दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन) में कहा गया है कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के इस समूह ने कम उत्सर्जन वाली ऊर्जा प्रणालियों में परिवर्तन के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास, उपयोग और प्रसार में तेजी लाने के महत्व को स्वीकार किया. उन्होंने विशेष रूप से स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को तेजी से विस्तार देने पर जोर दिया.
जी20 घोषणापत्र में कहा गया कि हम पिट्सबर्ग में 2009 में की गई प्रतिबद्धता को लागू करने के लिए अपने प्रयासों को तेज करेंगे, ताकि अपर्याप्त जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को धीरे-धीरे कम किया सके और तर्कसंगत बनाया जा सके. इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और साथ ही सबसे गरीब लोगों के लिए लक्षित सहायता प्रदान की जाएगी.
इसमें आगे कहा गया कि हम कम उत्सर्जन वाली ऊर्जा प्रणालियों की ओर बढ़ने के मकसद से प्रौद्योगिकियों के विकास, उपयोग और प्रसार में तेजी लाने और अनुकूल नीतियों को अपनाने के महत्व को स्वीकार करते हैं. इसमें नवीकरणीय ऊर्जा सहित स्वच्छ ईंधन उत्पादन को बढ़ाना शामिल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यहां जी20 नेताओं की बैठक में घोषणापत्र को स्वीकार किए जाने की घोषणा की.
(पीटीआई-भाषा)