इंदौर (मध्यप्रदेश) : भारतीय रिजर्व बैंक ने एक आरटीआई पड़ताल में बताया है कि कोविड-19 संकट से बुरी तरह प्रभावित वित्तीय वर्ष 2020-21 में सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में ₹81,921.79 करोड़ की धोखाधड़ी के कुल 9,935 मामले सूचित किए गए.
सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत मिले ब्योरे के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी की यह रकम वित्तीय वर्ष 2019-20 के मुकाबले 44.75 प्रतिशत कम है, हालांकि, इस अवधि के दौरान देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तादाद 18 थी जो एक अप्रैल 2020 से प्रभावी महाविलय के बाद 12 रह गई है.
नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रविवार को बताया कि उनकी अर्जी पर रिजर्व बैंक ने उन्हें आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी दी है कि 2019-20 में तब के 18 सरकारी बैंकों में ₹1,48,252.07 करोड़ की धोखाधड़ी के कुल 12,458 मामले सूचित किए गए थे.
रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि आरटीआई अधिनियम के तहत मुहैया कराए गए आंकड़ों में शामिल धोखाधड़ी की रकम को इसे सूचित करने वाले बैंक को हुए नुकसान के बराबर नहीं माना जाना चाहिए.
इन आंकड़ों की फेहरिस्त पर गौर करें, तो पता चलता है कि 2020-21 में धोखाधड़ी का सबसे बड़ा शिकार बैंक ऑफ इंडिया बना जिसने ₹12,184.66 करोड़ की धोखाधड़ी के 177 मामले सूचित किए. इस सूची में दूसरे क्रम पर सरकारी क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक रहा जिसने ₹10,879.28 करोड़ की धोखाधड़ी के 5,725 मामले सूचित किए.
पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ओर से ₹10,434.56 करोड की धोखाधड़ी के 657 मामले और पंजाब नेशनल बैंक द्वारा ₹10,066.15 करोड़ की धोखाधड़ी के कुल 700 मामले सूचित किए गए.
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आंकड़ों के अनुसार 2020-21 में धोखाधड़ी को लेकर बैंक ऑफ बड़ौदा ने ₹7,997.74 करोड़ के 244 मामले, केनरा बैंक ने ₹7,830.73 करोड़ के 153 मामले, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने ₹4,518.32 करोड़ के 1,025 मामले, इंडियन ओवरसीज बैंक ने ₹4,148.06 करोड़ के 458 मामले, पंजाब एंड सिंध बैंक ने ₹3,825.86 करोड़ के 144 मामले, इंडियन बैंक ने ₹3,759.80 करोड़ के 219 मामले, यूको बैंक ने ₹3,336,.97 करोड़ के 379 मामले और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने ₹2,939.68 करोड़ के 54 मामले सूचित किए है.
गौरतलब है कि सरकार ने एक अप्रैल 2020 से 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर इन्हें चार बड़े बैंकों में तब्दील कर दिया था. इस महाविलय के तहत ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक में, आंध्रा बैंक व कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिला दिया गया था.
(पीटीआई-भाषा)