पश्चिम चंपारण: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 का उद्घाटन किया. दिल्ली के प्रगति मैदान में वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 के दूसरे संस्करण का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने किया. आज से तीन दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में पश्चिमी चंपारण बेतिया जिले के चनपटिया के मर्चा चूड़ा निर्माता रामजी प्रसाद का चयन हुआ है. मर्चा धान के चूड़ा को जीआई टैग भी मिला हुआ है. अब 80 देशों के लोग चंपारण के खुशबूदार एवं स्वादिष्ट मर्चा चूड़ा का स्वाद लेंगे.
वर्ल्ड फूड इंडिया सेमिनार में रामजी प्रसाद का चयन: दिल्ली के प्रगति मैदान में आज 3 से 5 नवंबर तक चलने वाले वर्ल्ड फूड इंडिया सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए चनपटिया के मशहूर मर्चा चूड़ा निर्माता रामजी प्रसाद का चयन हुआ है. पश्चिमी चंपारण जिले में मर्चा धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है. यही कारण है कि मर्चा धान के चूड़ा (पोहा) को जीआई टैग मिला है.
मर्चा चूड़ा की खासियत: मर्चा धान की आकृति अन्य धान से काफी अलग काली मिर्च की तरह होता है. इसलिए इसको मर्चा या मर्चा धान के नाम से जाना जाता है. मर्चा धान की खेती पश्चिमी चंपारण जिले के नरकटियागंज, गौनाहा, सिकटा, मैनाटांड़ और रामनगर ब्लॉक के कुछ ही गांव में बड़े पैमाने पर की खेती होती है.
एक हजार एकड़ में खेती: पश्चिमी चंपारण में करीब एक हजार एकड़ में धान की खेती होती है. वहीं करीब 500 से अधिक किसान इसकी की खेती करते हैं. यह 145 से 150 दिन की क्रॉप होती है और इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल के आसपास है.
'हमें लिए गौरव की बात': मर्चा चूड़ा के कारखाने में काम करने वाले मजदूर भी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि अब हमारे चंपारण के इस मर्चा का स्वाद दूसरे देश के भी लोग लेंगे, जो हमारे लिए गौरव की बात है. उन्होंने बताया कि मर्चा चुड़ा को तैयार करने में काफी मेहनत लगती है. उन्होंने बताया कि धान को जब खेत से लाया जाता है तो उसे पानी में फुलाया जाता है फिर उसे पानी से निकलकर उसके कारीगर उसको उठाते हैं. धान को कूटते हैं, उसके बाद मर्चा चूड़ा तैयार होता है.
"काम करने में बहुत अच्छा लग रहा है. यह बहुत स्वादिष्ट होता है. इसको निकालने की प्रक्रिया में समय लगता है."- रामेंद्र रावत, मजदूर
"धान को पानी में रखा जाता है. फिर उसे पानी से निकालते हैं और कूटते हैं. यहां का चूड़ा मशहूर है. यहां से बाहर भेजा जाता है."- प्रदीप कुशवाहा, मजदूर
'मर्चा चूड़ा में चंपारण की मिट्टी की खुशबू'- रामजी प्रसाद: बड़े पैमाने पर रामजी प्रसाद के इस मिर्च कारखाने में मिर्च कचोरी तैयार होती है. फिर इसे पैक कर पूरे राज्य में जहां-जहां इसकी डिमांड होती है वहां भेजा जाता है इसका स्वाद बहुत भी स्वादिष्ट होता है. वहीं पश्चिमी चंपारण बेतिया जिले के चनपटिया के मर्चा चूड़ा निर्माता रामजी प्रसाद ने बताया कि इसमें चंपारण की मिट्टी की खुशबू है. जिस कारण मर्चा के चूड़ा का स्वाद ही अलग होता है.
"आज बहुत ही अच्छा लग रहा है कि हमारे चंपारण का मर्चा चूड़ा का स्वाद विदेश के लोग भी लेंगे. यह हमारे लिए गौरव की बात है. देश- विदेश के कोने- कोने से जो लोग आएंगे और जब मर्चा चूड़ा का स्वाद लेंगे, तब हमें बड़े पैमाने पर इसका आर्डर मिलेगा. ऑर्डर मिलने के बाद बड़े पैमाने पर यहां के किसानों के पास इसका डिमांड बढ़ेगा. जब धान का डिमांड बढ़ेगा तो किसानों को उचित दाम मिलेगा."- रामजी प्रसाद, मर्चा चूड़ा निर्माता
किसानों को होगा फायदा: मर्चा चूड़ा की विदेशों में डिमांड बढ़ने से किसानों को फायदा होगा और उन्हें उचित मूल्य मिलेगा और उनकी आमदनी दुगनी होगी. मर्चा चूड़ा में मिट्टी की खुशबू होती है और यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है. इसका स्वाद अलग होता है.
मर्चा चूड़ा को भौगोलिक दृष्टि से जीआई टैग: चंपारण की मिट्टी छोड़कर कहीं भी मर्चा चूड़ा का स्वाद ऐसा नहीं मिलेगा. देश और बिहार के कई जगहों पर इसके धान को उगाया गया है, लेकिन जो खुशबू चंपारण की मिट्टी से है वह कहीं देखने को नहीं मिलती. यही कारण है कि चंपारण के इस मिट्टी के इस मर्चा चूड़ा को भौगोलिक दृष्टि से जीआई टैग मिला है.
GI टैग वाला छठा उत्पादन मर्चा चूड़ा: पूरे बिहार में छठे उत्पादन को जीआई टैग मिला है. इससे पहले भागलपुर के कतरनी चावल, नवादा के मगही पान, भागलपुर का जर्दालु आम, मुजफ्फरपुर की शाही लीची और मिथिला के मखाना को जीआई टैग मिला हुआ है. बिहार के पश्चिम चंपारण का मर्चा चूड़ा छठा उत्पादन है जिसने जीआई टैग मिला है.
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