नई दिल्ली: भारतीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team) ने टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में कांस्य पदक जीता तो पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई. 40 वर्ष बाद भारत को हॉकी में कोई ओलंपिक पदक जीतने का अवसर मिला है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की भारतीय हॉकी के पूर्व कप्तान, तीन बार विश्व चैंपियन टीम का हिसा रहे अजीत पाल सिंह से. अजीत पाल 1971,73 और 1975 में भारतीय हॉकी टीम के हिस्सा थे और 1975 में इनकी कप्तानी में ही भारत ने विश्व कप जीता था. 1968 और 1972 में अजीत पाल ओलंपिक में भी भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं और 1972 में भी भारतीय टीम ने ब्रॉन्ज मेडल ही जीती थी.
अजीत पाल ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि उन्हें गर्व है कि लंबे अरसे बाद भारत ने हॉकी में ओलंपिक मैडल जीता है, लेकिन हम और बेहतर कर सकते हैं. यह बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा है. भारत में एक समय ऐसा लग रहा था जैसे हॉकी यहां से विलुप्त हो रही है. हमारा प्रदर्शन लगातार गिरता रहा, लेकिन ये मेडल एक बार फिर से हॉकी को देश में उभारने का काम करेगी. हमारे खिलाड़ी और ज्यादा मेहनत करें और इस ब्रॉन्ज मेडल को सिल्वर और गोल्ड में बदलने का काम करें.
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अजीत पाल ने बताया कि उनके जमाने में जब हॉकी अपने शिखर पर था और भारत का नाम पूरे विश्व में माना जाता था तब प्रतिस्पर्धा आज के मुकाबले कम थी. आज कृत्रिम टर्फ पर मैच होते हैं और खेल में प्रतिस्पर्धा और तकनीक का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. ऐसे में यह मेडल निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि है. भारत आज विश्व के टॉप चार टीमों में शुमार है और यहां से हम और ऊपर ही जाएंगे.