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आय से अधिक संपत्ति मामले में पूर्व आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन ने किया सरेंडर, भेजे गए हरिद्वार जेल

आय से अधिक संपत्ति के मामले (disproportionate assets case) में सात साल की सजा होने पर श्वेताभ सुमन को 2019 में देहरादून जेल में मोबाइल पकड़े जाने के बाद हरिद्वार जेल शिफ्ट किया गया था. जिसके कुछ महीने बाद ही उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया था. इस बीच पिछले 5 मार्च 2022 को नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व की सजा बहाल करते हुए सुमन को हिरासत में लेने का आदेश दिया था.

पूर्व आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन
पूर्व आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन
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Published : May 22, 2022, 7:34 PM IST

हरिद्वार: उत्तराखंड के पूर्व आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन (Former income tax commissioner shewtabh suman) ने गुपचुप तरीके से जिला कारागार रोशनाबाद में सरेंडर कर दिया है. आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले सुप्रीम कोर्ट से जमानत को लेकर राहत न मिलने के बाद कोर्ट ने उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा था.

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में करीब 15 साल पहले देहरादून में तैनात आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. वहीं, कुछ समय पूर्व वह जमानत पर रिहा भी हो गए थे. लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व की सजा को बहाल रखा.

वहीं, सुप्रीम कोर्ट में भी जमानत को लेकर श्वेताभ सुमन को राहत नहीं मिल सकी. 2019 में श्वेताभ सुमन को हरिद्वार जेल शिफ्ट किया गया था. ऐसे में कोर्ट के आदेश पर जमानत की मोहलत खत्म होने के बाद श्वेताभ सुमन ने जिला कारागार रोशनाबाद पहुंचकर गुपचुप तरीके से सरेंडर कर दिया है.

पढ़ें- काशीपुर में मामी के प्यार में 'कंस' बना भांजा, मामा को उतारा मौत के घाट

वहीं, आय से अधिक संपत्ति के मामले में सात साल की सजा होने पर श्वेताभ सुमन को 2019 में देहरादून जेल में मोबाइल पकड़े जाने के बाद हरिद्वार जेल शिफ्ट किया गया था. जिसके कुछ महीने बाद ही उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया था. इस बीच पिछले 5 मार्च 2022 को नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व की सजा बहाल करते हुए श्वेताभ सुमन, डॉ अरुण कुमार सिंह और राजेंद्र विक्रम सिंह के बेल बॉन्ड को खारिज करते हुए हिरासत में लेने के आदेश दिए थे.

ऐसे में इस आदेश के खिलाफ श्वेताभ सुमन ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की थी लेकिन कोर्ट ने 22 अप्रैल को विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए सरेंडर के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई को अपने आदेश में सात दिन के अंदर सरेंडर के आदेश दिए थे. साथ कोर्ट ने एक हफ्ते के अंदर सरेंडर से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी करने को भी कहा था. जिसके बाद गुपचुप तरीके से आखिरकार श्वेताभ सुमन ने जिला कारागार रोशनाबाद पहुंचकर सरेंडर कर दिया. जिला कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक मनोज कुमार आर्य ने इसकी पुष्टि की है.

यह है मामलाः सीबीआई दिल्ली शाखा में 2 अगस्त 2015 को श्वेताभ सुमन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज हुआ था. 5 अगस्त 2005 को सीबीआई ने श्वेताभ के दून, बिहार, यूपी समेत 14 ठिकानों पर छापे मारे थे. इसमें आय से अधिक संपत्ति के दस्तावेज बरामद हुए.

सीबीआई के लोक अभियोजक सतीश कुमार ने बताया कि 23 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अदालत में श्वेताभ सुमन निवासी बारा जिला औरंगाबाद (बिहार) मां गुलाब देवी, जीजा डॉ. अरुण कुमार सिंह, निवासी वासुदेवपुर, चंदेल जिला वैशाली (बिहार), राजेंद्र विक्रम सिंह निवासी 90 इंदिरानगर (देहरादून) समेत 6 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. दो लोगों की ट्रायल के दौरान मौत हो गई है. इसके बाद श्वेताभ, मां, जीजा और करीबी राजेंद्र पर मामला चल रहा है.

हरिद्वार: उत्तराखंड के पूर्व आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन (Former income tax commissioner shewtabh suman) ने गुपचुप तरीके से जिला कारागार रोशनाबाद में सरेंडर कर दिया है. आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले सुप्रीम कोर्ट से जमानत को लेकर राहत न मिलने के बाद कोर्ट ने उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा था.

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में करीब 15 साल पहले देहरादून में तैनात आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. वहीं, कुछ समय पूर्व वह जमानत पर रिहा भी हो गए थे. लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व की सजा को बहाल रखा.

वहीं, सुप्रीम कोर्ट में भी जमानत को लेकर श्वेताभ सुमन को राहत नहीं मिल सकी. 2019 में श्वेताभ सुमन को हरिद्वार जेल शिफ्ट किया गया था. ऐसे में कोर्ट के आदेश पर जमानत की मोहलत खत्म होने के बाद श्वेताभ सुमन ने जिला कारागार रोशनाबाद पहुंचकर गुपचुप तरीके से सरेंडर कर दिया है.

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वहीं, आय से अधिक संपत्ति के मामले में सात साल की सजा होने पर श्वेताभ सुमन को 2019 में देहरादून जेल में मोबाइल पकड़े जाने के बाद हरिद्वार जेल शिफ्ट किया गया था. जिसके कुछ महीने बाद ही उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया था. इस बीच पिछले 5 मार्च 2022 को नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व की सजा बहाल करते हुए श्वेताभ सुमन, डॉ अरुण कुमार सिंह और राजेंद्र विक्रम सिंह के बेल बॉन्ड को खारिज करते हुए हिरासत में लेने के आदेश दिए थे.

ऐसे में इस आदेश के खिलाफ श्वेताभ सुमन ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की थी लेकिन कोर्ट ने 22 अप्रैल को विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए सरेंडर के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई को अपने आदेश में सात दिन के अंदर सरेंडर के आदेश दिए थे. साथ कोर्ट ने एक हफ्ते के अंदर सरेंडर से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी करने को भी कहा था. जिसके बाद गुपचुप तरीके से आखिरकार श्वेताभ सुमन ने जिला कारागार रोशनाबाद पहुंचकर सरेंडर कर दिया. जिला कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक मनोज कुमार आर्य ने इसकी पुष्टि की है.

यह है मामलाः सीबीआई दिल्ली शाखा में 2 अगस्त 2015 को श्वेताभ सुमन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज हुआ था. 5 अगस्त 2005 को सीबीआई ने श्वेताभ के दून, बिहार, यूपी समेत 14 ठिकानों पर छापे मारे थे. इसमें आय से अधिक संपत्ति के दस्तावेज बरामद हुए.

सीबीआई के लोक अभियोजक सतीश कुमार ने बताया कि 23 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अदालत में श्वेताभ सुमन निवासी बारा जिला औरंगाबाद (बिहार) मां गुलाब देवी, जीजा डॉ. अरुण कुमार सिंह, निवासी वासुदेवपुर, चंदेल जिला वैशाली (बिहार), राजेंद्र विक्रम सिंह निवासी 90 इंदिरानगर (देहरादून) समेत 6 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. दो लोगों की ट्रायल के दौरान मौत हो गई है. इसके बाद श्वेताभ, मां, जीजा और करीबी राजेंद्र पर मामला चल रहा है.

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