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मायावती सरकार में रहे संस्कृति मंत्री, आज गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर - yashwant nikose

एक साधारण गरीब परिवार में जन्मे नागपुर के यशवंत निकोस उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के पूर्व संस्कृति मंत्री रहे हैं. अपने जीवन के 34 साल सार्वजनिक जीवन में बिताने के बाद, आज अपने गृहनगर में एक सामान्य जीवन जी रहे हैं. ऐसे व्यक्तियों को आज के राजनीतिक नेताओं द्वारा अनुकरण करने की आवश्यकता है.

यशवंत निकोस
यशवंत निकोस
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Published : Mar 18, 2021, 11:04 PM IST

मुंबई : नागपुर में एक साधारण परिवार में जन्मे यशवंत निकोस यूपी की मायावती सरकार में पहले संस्कृति सचिव और बाद में यूपी के संस्कृति मंत्री रहे हैं. आज वह गुमनामी का जीवन जीने के लिए मजबूर हैं. अपने जीवन काल में आज तक उन्होंने एक भी रुपया घूस नहीं लिया, न ही उनके ऊपर कभी भ्रष्टाचार के आरोप लगे. यही कारण है कि वह सीवर लाइन ठीक कराने के लिए हर किसी के पास दरख्वास्त दे रहे हैं.

आज यूपी के पूर्व संस्कृति मंत्री यशवंत को पास घर के नाम पर एक टीन शेड है, एक छोटी सी दुकान है. बहन, भाई और यशवंत इसी घर में रहते हैं. पिछले तीन महीनों से वह सीवर लाइन को ठीक कराने की कोशिश कर रहे हैं. AAP ने उन्हें मदद दी और समय आने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

आम आदमी की जिंदगी जी रहे यशवंत निकोस.

उनकी रुचि नाट्य और अभिनय में थी, यशवंत निकोस की 1973 में बसपा के संस्थापक अध्यक्ष काशीराम से नागपुर के गद्दीगोदाम में छोटे से कार्यालय में मुलाकात हुई. कला नाटक मंच पर यशवंत काशीराम के विचारों से प्रभावित हुए. इस बीच, उन्होंने दिल्ली जाकर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में अध्ययन किया. उस समय उनकी मुलाकात नसीरुद्दीन शाह और अनुपम खेर जैसे दिग्गज कलाकारों से हुई.

इसके बाद उन्हें नौकरी के दो अवसर मिले, लेकिन काशीराम के कथन 'समाज के पर्दा नाटक के पर्दा से बड़ा होता है' ने उनके जीवन को सामाजिक से राजनीतिक में बदल दिया. इस बीच, जब सरकार उत्तर प्रदेश में सत्ता में आई, तो उन्हें 1995 में संस्कृति सचिव का पद मिला.

उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखते हुए मायावती ने सरकार आने पर उन्हें संस्कृति मंत्री के रूप में नियुक्त करने का वादा किया. उन्हें 2007 से 2012 तक संस्कृति मंत्री का पद दिया गया.

मायावती सरकार के जाने के बाद वह वापस नागपुर लौट आए. उनका यहां बहुत ही धूमधाम से स्वागत हुआ था. धीरे-धीरे समय के बीतने के साथ वह लोगों की नजरों से ओझल हो गए.

पढ़ेंः सरकार चाहे तो केंद्र और किसान संगठनों के बीच मध्यस्थता करना चाहूंगा : के सी त्यागी

मुंबई : नागपुर में एक साधारण परिवार में जन्मे यशवंत निकोस यूपी की मायावती सरकार में पहले संस्कृति सचिव और बाद में यूपी के संस्कृति मंत्री रहे हैं. आज वह गुमनामी का जीवन जीने के लिए मजबूर हैं. अपने जीवन काल में आज तक उन्होंने एक भी रुपया घूस नहीं लिया, न ही उनके ऊपर कभी भ्रष्टाचार के आरोप लगे. यही कारण है कि वह सीवर लाइन ठीक कराने के लिए हर किसी के पास दरख्वास्त दे रहे हैं.

आज यूपी के पूर्व संस्कृति मंत्री यशवंत को पास घर के नाम पर एक टीन शेड है, एक छोटी सी दुकान है. बहन, भाई और यशवंत इसी घर में रहते हैं. पिछले तीन महीनों से वह सीवर लाइन को ठीक कराने की कोशिश कर रहे हैं. AAP ने उन्हें मदद दी और समय आने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

आम आदमी की जिंदगी जी रहे यशवंत निकोस.

उनकी रुचि नाट्य और अभिनय में थी, यशवंत निकोस की 1973 में बसपा के संस्थापक अध्यक्ष काशीराम से नागपुर के गद्दीगोदाम में छोटे से कार्यालय में मुलाकात हुई. कला नाटक मंच पर यशवंत काशीराम के विचारों से प्रभावित हुए. इस बीच, उन्होंने दिल्ली जाकर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में अध्ययन किया. उस समय उनकी मुलाकात नसीरुद्दीन शाह और अनुपम खेर जैसे दिग्गज कलाकारों से हुई.

इसके बाद उन्हें नौकरी के दो अवसर मिले, लेकिन काशीराम के कथन 'समाज के पर्दा नाटक के पर्दा से बड़ा होता है' ने उनके जीवन को सामाजिक से राजनीतिक में बदल दिया. इस बीच, जब सरकार उत्तर प्रदेश में सत्ता में आई, तो उन्हें 1995 में संस्कृति सचिव का पद मिला.

उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखते हुए मायावती ने सरकार आने पर उन्हें संस्कृति मंत्री के रूप में नियुक्त करने का वादा किया. उन्हें 2007 से 2012 तक संस्कृति मंत्री का पद दिया गया.

मायावती सरकार के जाने के बाद वह वापस नागपुर लौट आए. उनका यहां बहुत ही धूमधाम से स्वागत हुआ था. धीरे-धीरे समय के बीतने के साथ वह लोगों की नजरों से ओझल हो गए.

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