मुंबई : मुंबई पुलिस ने शुक्रवार को दावा किया कि ब्रॉडकास्ट रिसर्च ऑडियंस काउंसिल (बीएआरसी) के पूर्व सीईओ पार्थ दासगुप्ता ने रिपब्लिक टीवी सहित कुछ टीवी चैनलों की टीआरपी की हेराफेरी में मुख्य भूमिका रही थी.
इससे पहले रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने दिन में एक बयान जारी कर कहा कि पुलिस के आरोप हास्यास्पद हैं और जांच का एकमात्र मकसद रिपब्लिक टीवी को निशाना बनाना है.
मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने बृहस्पतिवार को 55 वर्षीय दासगुप्ता को पुणे जिले में तब गिरफ्तार किया, जब वह गोवा से पुणे जा रहे थे. उन्हें शुक्रवार को मुंबई की एक अदालत में पेश किया गया और अदालत ने उन्हें 28 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया.
पुलिस ने शुक्रवार को एक विज्ञप्ति में उन्हें गिरोह का 'सरगना' बताया. पुलिस ने कहा कि बीएआरसी के पूर्व मुख्य परिचालन अधिकारी रोमिल रामगढ़िया से पूछताछ में पता चला कि वह दासगुप्ता की मिलीभगत से टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) फर्जीवाड़े में शामिल थे. रामगढ़िया को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है.
दासगुप्ता जून 2013 से नवंबर 2019 के बीच बीएआरसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) थे.
रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क पहले ही किसी गलत काम से इनकार कर चुका है और उसने दावा किया कि पूरे मामले में पुलिस के आरोप हास्यास्यपद हैं. मीडिया कंपनी ने दावा किया कि जांच फर्जी थी और इसका एकमात्र मकसद रिपब्लिक टीवी को निशाना बनाना था.
दासगुप्ता फर्जी टीआरपी मामले में गिरफ्तार किए गए 15वें व्यक्ति हैं. मामले के ज्यादातर आरोपी अभी जमानत पर हैं.
मुंबई पुलिस ने बीएआरसी की इस शिकायत पर जांच शुरू की कि कुछ चैनलों द्वारा टीआरपी में हेराफेरी की जा रही है.
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टीआरपी से दर्शकों की संख्या का पता लगाया जाता है. यह काफी अहम है, क्योंकि इससे टीवी चैनलों को विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करने में मदद मिलती है.