देहरादून: वन अनुसंधान संस्थान (Forest Research Institute) देहरादून में तेंदुए की दस्तक के बाद लोग काफी डरे हुए हैं. पर्यटकों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा को देखते हुए वन अनुसंधान संस्थान को 29 दिसंबर से 15 जनवरी तक बंद कर दिया गया है. वन विभाग की टीम भी तेंदुए की दस्तक से अलर्ट हो गई है.
वन अनुसंधान संस्थान (FRI) देहरादून रोजाना बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने के लिए पहुंचे थे. इसके अलावा स्थानीय लोग भी सुबह-शाम टहलने के लिए आते हैं. ऐसे में लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वन अनुसंधान संस्थान प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि आगामी 29 दिसंबर से 15 जनवरी तक पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए कैंपस को बंद रखा जाएगा.
वन अनुसंधान संस्थान के कुलसचिव की तरफ से बकायदा इसके लिए पत्र जारी किया गया है. जिसमें सीधे तौर पर गुलदार और उसके बच्चों को देखे जाने की बात कही गई है. इसमें बताया गया है कि क्योंकि इस गुलदार को कई बार देखा जा चुका है और जिस तरह एफआरआई में लोग पहुंचते हैं, उससे इस गुलदार से लोगों को खतरा हो सकता है. लिहाजा 15 जनवरी 2023 तक लोगों की अनुसंधान परिसर में एंट्री पर रोक लगा दी गई है.
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बता दें कि कौलागढ़ देहरादून के आसपास के इलाकों में पहले ही वन्यजीवों की आवाजाही देखी जा चुकी है. जिसके कारण लोग यहां पर काफी डरे हुए रहे हैं. वहीं इससे पहले ही कई बार गुलदार और तेंदुए वन अनुसंधान संस्थान देहरादून में देखे जा चुका हैं.
क्यों खास है FRI: वन अनुसंधान संस्थान का भवन बहुत शानदार है. इसमें एक संग्रहालय भी है. इसकी स्थापना 1906 में इंपीरियल फॉरेस्ट इंस्टीट्यूट के रूप में की गई थी. यह इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट रिसर्च एंड एडूकेशन के अंतर्गत एक प्रमुख संस्थान है. इसकी शैली ग्रीक-रोमन वास्तुकला है. इसके मुख्य भवन को राष्ट्रीय विरासत घोषित किया जा चुका है. इसका उद्घघाटन 1921 में किया गया था. यह वन से संबंधित हर प्रकार के अनुसंधान के लिए में प्रसिद्ध है.
एशिया में अपनी तरह के इकलौते संस्थान के रूप में यह दुनिया भर में प्रख्यात है. 2000 एकड़ में फैला एफआरआई का डिजाइन विलियम लुटियंस द्वारा किया गया था. इसमें 7 संग्रहालय हैं और तिब्बत से लेकर सिंगापुर तक सभी तरह के पेड़-पौधे यहां पर हैं. तभी तो इसे देहरादून की पहचान और गौरव कहा जाता है.