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म्यांमार की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे विदेश सचिव श्रृंगला

म्यांमार के सैन्य शासकों द्वारा लोकतंत्र समर्थकों के खिलाफ लगातार की जा रही कार्रवाई के बीच विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla) की यह यात्रा काफी होगी. इस दौरान वह म्यांमार को मानवीय सहायता, सुरक्षा और भारत-म्यांमार सीमा से जुड़ी चिंताओं तथा म्यांमार में राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करेंगे.

Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला
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Published : Dec 21, 2021, 8:07 PM IST

नई दिल्ली : विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla) बुधवार से म्यांमार की दो दिवसीय यात्रा करेंगे. विदेश मंत्रालय ने कहा कि विदेश सचिव की यात्रा के दौरान म्यांमार को मानवीय सहायता और उस देश में राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की जाएगी. म्यांमार में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद से यह भारत की तरफ से पहली उच्च स्तरीय यात्रा होगी.

विदेश मंत्रालय ने कहा, 'यात्रा के दौरान विदेश सचिव राज्य प्रशासन परिषद, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ चर्चा करेंगे.'

म्यांमार के सैन्य शासकों द्वारा लोकतंत्र समर्थकों के खिलाफ लगातार की जा रही कार्रवाई के बीच श्रृंगला वहां की यात्रा करने जा रहे हैं. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'म्यांमार को मानवीय सहायता, सुरक्षा और भारत-म्यांमार सीमा से जुड़ी चिंताओं तथा म्यांमार में राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की जाएगी.'

सूत्रों के अनुसार विदेश सचिव के एजेंडे में राज्य प्रशासन परिषद (State Administration Council), राजनीतिक दलों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ चर्चा शामिल है. साथ ही श्रृंगला के एजेंडे में सीमा पार से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा साझेदारी का विस्तार भी शामिल है.

बता दें कि भारत ने म्यांमार को मानवीय सहायता के रूप में कोविड-19 के टीके उपलब्ध कराए हैं.

विदेश सचिव श्रृंगला की यात्रा म्यांमार द्वारा पिछले सप्ताह मणिपुर के पांच विद्रोहियों को सौंपे जाने की पृष्ठभूमि में हो रही है. भारत म्यांमार के साथ 1,600 किमी से अधिक लंबी सीमा साझा करता है, जो भारत की विदेश नीति में मुख्य रूप से शामिल है.

यह भी पढ़ें- भारत के पड़ोसी देशों में चीन के लिए खड़ी हुईं मुश्किलें

भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने अक्टूबर 2020 में म्यांमार का दौरा किया. उस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर प्रगति की समीक्षा करने का अवसर प्रदान किया था.

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट (myanmar military coup) के बाद भारत ने कहा था कि वह पड़ोसी देश में लोकतांत्रिक परिवर्तन की प्रक्रिया का समर्थन में हमेशा दृढ़ रहा है. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत का मानना है कि कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कायम रखा जाना चाहिए.

नई दिल्ली : विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla) बुधवार से म्यांमार की दो दिवसीय यात्रा करेंगे. विदेश मंत्रालय ने कहा कि विदेश सचिव की यात्रा के दौरान म्यांमार को मानवीय सहायता और उस देश में राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की जाएगी. म्यांमार में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद से यह भारत की तरफ से पहली उच्च स्तरीय यात्रा होगी.

विदेश मंत्रालय ने कहा, 'यात्रा के दौरान विदेश सचिव राज्य प्रशासन परिषद, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ चर्चा करेंगे.'

म्यांमार के सैन्य शासकों द्वारा लोकतंत्र समर्थकों के खिलाफ लगातार की जा रही कार्रवाई के बीच श्रृंगला वहां की यात्रा करने जा रहे हैं. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'म्यांमार को मानवीय सहायता, सुरक्षा और भारत-म्यांमार सीमा से जुड़ी चिंताओं तथा म्यांमार में राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की जाएगी.'

सूत्रों के अनुसार विदेश सचिव के एजेंडे में राज्य प्रशासन परिषद (State Administration Council), राजनीतिक दलों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ चर्चा शामिल है. साथ ही श्रृंगला के एजेंडे में सीमा पार से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा साझेदारी का विस्तार भी शामिल है.

बता दें कि भारत ने म्यांमार को मानवीय सहायता के रूप में कोविड-19 के टीके उपलब्ध कराए हैं.

विदेश सचिव श्रृंगला की यात्रा म्यांमार द्वारा पिछले सप्ताह मणिपुर के पांच विद्रोहियों को सौंपे जाने की पृष्ठभूमि में हो रही है. भारत म्यांमार के साथ 1,600 किमी से अधिक लंबी सीमा साझा करता है, जो भारत की विदेश नीति में मुख्य रूप से शामिल है.

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भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने अक्टूबर 2020 में म्यांमार का दौरा किया. उस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर प्रगति की समीक्षा करने का अवसर प्रदान किया था.

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट (myanmar military coup) के बाद भारत ने कहा था कि वह पड़ोसी देश में लोकतांत्रिक परिवर्तन की प्रक्रिया का समर्थन में हमेशा दृढ़ रहा है. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत का मानना है कि कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कायम रखा जाना चाहिए.

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