नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज पब्लिक सेक्टर बैंक के प्रमुखों के साथ बैठक की. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से तीखे सवाल किए. वित्त मंत्री ने पूछा, 'क्या वह (राहुल गांधी) समझते हैं कि मुद्रीकरण क्या है ? वित्त मंत्री ने कहा कि यह कांग्रेस ही थी जिसने देश के संसाधनों को बेचा और उसमें कमियां कीं.
वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने ही 8,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे का मुद्रीकरण किया था. उन्होंने कहा कि 2008 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्रस्ताव के लिए अनुरोध जारी किया गया .
उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकारी बीमा कंपनियों के कर्मचारियों को डरने की जरूरत नहीं है. सरकार उनकी चिंताओं को समझती है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से निर्यातकों के निकायों से बातचीत का आग्रह किया गया है. इससे बैंक उनकी जरूरतों के बारे में समझ सकेंगे.
वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों से राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया है, जिससे ‘एक जिला, एक निर्यात’ एजेंडा को आगे बढ़ाया जा सके. बैंकों से फिनटेक क्षेत्र को मदद देने को कहा गया है.
उन्होंने कहा कि पूर्वी भारत के राज्यों में जमा राशि बढ़ रही है, लेकिन ऋण जरूरतों को बढ़ाने की जरूरत है. वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए लॉजिस्टिक्स और निर्यात पर केंद्रित राज्यवार योजना बनाने को कहा गया है.सामूहिक रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अच्छा काम किया है और महामारी के दौरान सेवायें देने के बावजूद वे त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई से बाहर निकले हैं.
सीतारमण ने कहा किप्रोत्साहन की रफ्तार को बनाये रखने के लिए बैंक देश के प्रत्येक जिले में ऋण उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे.
वहीं वित्तीय सेवा विभाग के सचिव ने कहा कि एनपीएस के तहत कर्मचारियों की पेशन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का अंशदान 10 से बढ़ाकर 14 प्रतिशत किया गया. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मृतक कर्मचारी के परिवार को अब कर्मचारी के आखिरी वेतन के 30 प्रतिशत के बराबर पेंशन मिलेगी। पहले यह पेंशन राशि 9,284 रुपये थी.
राजस्व सचिव ने कहा कि कंपनियों के लिए विदेशी बाजारों में सीधे सूचीद्धता पर विचार-विमर्श जारी, हमें ऐसे निर्गमों की सफलता सुनिश्चित करने की भी जरूरत है.
इससे पहले राहुल गांधी ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में कहा था, नरेंद्र मोदी और भाजपा का एक नारा था कि '70 साल में कुछ नहीं हुआ' और कल वित्त मंत्री ने जो भी 70 साल में इस देश की पूंजी बनी थी, उसे बेचने का फैसला ले लिया है, मतलब प्रधानमंत्री ने सब कुछ बेच दिया.'
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राहुल ने कहा था, 'हम निजीकरण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमारी निजीकरण योजना का तर्क था. हमने रणनीतिक उद्योगों का निजीकरण नहीं किया और हम रेलवे को रणनीतिक उद्योग मानते हैं क्योंकि यह लाखों और करोड़ लोगों को ट्रांसपोर्ट करता है और बहुत से लोगों को रोजगार भी देता है.'
(पीटीआई-भाषा)