नई दिल्ली: देश की ही नहीं एशिया की सबसे बड़ी और सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल में अब स्थितियां अराजक हो रही हैं. कभी इस जेल के नाम से ही अपराधियों की रूह कांपा करती थी, क्योंकि तिहाड़ का दूसरा नाम ही चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था और अनुशासन था. एक दौर में तिहाड़ इसीलिए भी चर्चा में आया, क्योंकि यहां कैदियों के सुधार के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए, लेकिन गुजरते वक्त के साथ तिहाड़ जेल दिनों-दिन अराजक स्थितियों की ओर बढ़ रहा है. छह जनवरी 2022 को एक साथ पांच कैदियों की आत्महत्या की कोशिशों के बाद एक बार फिर तिहाड़ सुर्खियों में है. तिहाड़ में ऐसा होना कोई नई बात नहीं, लेकिन लगातार ऐसा होते रहना बता रहा है कि सुप्रीम कोर्ट, मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाओं के दखल के बावजूद भी तिहाड़ के हालात नहीं सुधर रहे. करीब 10 हजार कैदियों की क्षमता वाले तिहाड़ जेल में 15-18 हजार कैदियों को रखने से व्यवस्थागत अव्यवस्थाएं हो रही हैं. मुद्दा उन अव्यवस्थाओं का नहीं, बल्कि तिहाड़ जेल में हो रहे अपराधों का है.
पीएमओ और गृह मंत्रालय का अधिकारी बन करोड़ों की ठगी करने वाला मास्टरमाइंड सुकेश चन्द्रशेखर भी तिहाड़ जेल में ही बंद हैं. ई़डी जांच की मीडिया रिपोर्ट्स में जिक्र है कि चन्द्रशेखर से बेरोकटोक फिल्म अभिनेत्रियां मिलने तिहाड़ जेल आया करती थीं. इसके लिए चन्द्रशेखर हर महीने जेल अधिकारियों को एक करोड़ से ज्यादा की रिश्वत देता था. पैसों के दम पर चन्द्रशेखर ने तिहाड़ के उस स्टाफ को खरीद लिया था, जिसे लेकर नियम है कि हर तीन महीने में सुरक्षाकर्मी बदल दिए जाते हैं. सुकेश के खिलाफ 200 करोड़ रुपये के मनी लॉड्रिंग समेत कई और मामले दर्ज हैं. सोचिए तिहाड़ में किस स्तर का गठजोड़ हो रहा है.
सबसे सुरक्षित जेल तिहाड़ की चारदीवारी के दरमियान अव्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार की दीमक ने इतने सुराख कर दिए हैं कि अपराधी सुधरने के बजाए अब तिहाड़ अपराधियों की आरामस्थली बन चुका है. जेल में हों या बाहर, अपराधियों का नेटवर्क बदस्तूर अपना काम करता रहता है. मामला चाहे मुकेश अंबानी को धमकी देने का हो या फिर इजराइल एंबेसी के बाहर हुए ब्लास्ट का हो. छुटभैये अपराधियों से लेकर अपराध जगत के कुख्यात चेहरे तिहाड़ से अपना नेटवर्क चलाते हैं. छोटा राजन, अबू सलेम जैसे माफिया से लेकर खूंखार आतंकवादी तिहाड़ में कैद हैं. बीते साल ही 12 राज्यों ने यह पाया कि उनके राज्यों में अपराधियों का नेटवर्क तिहाड़ से ऑपरेट हो रहा है. इधर जेल प्रबंधन का आलम यह है कि अक्टूबर 2021 में एक जेलर के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी, क्योंकि उसने अपने परिवार और दोस्तों को जेल के संवेदनशील क्षेत्रों में बतौर पर्यटक घुमाया, बल्कि फांसीघर जैसी जगहों पर फोटोशूट करवा लिया. तिहाड़ जेल का जितना बड़ा नाम है, कायदा तो यह था कि देश में जेल सुधार के लिए बनी रिपोर्ट्स सबसे पहले यहां अमल में लाई जाती, लेकिन ऐसा होता दिखा नहीं, बल्कि जेल में बैठकर अपनी गैंग को ऑपरेट करने का तरीका इसी जेल से सीखकर नए अपराधी पनप रहे हैं.
200 एकड़ में फैले तिहाड़ परिसर में कई जेलें हैं और इन जेलों में अलग-अलग व्यवस्थाओं को भ्रष्टाचार का घुन लग चुका है. इतने सालों में तिहाड़ की दीवारें तो कमजोर नहीं हुईं, लेकिन जिन इरादों की बुनियाद पर तिहाड़ जेल बनाया गया था, वो बुनियाद अब दरक रही है. मुद्दा सिर्फ तिहाड़ जेल की अव्यवस्थाओं का नहीं, बल्कि तिहाड़ जेल, एक तरह से देश में जेल व्यवस्था का प्रतिमान रही है.
तिहाड़ सुधरेगा तो देश के छोटे से छोटे जेल में भी इसकी नजीर मिलेगी. अगर तिहाड़ अराजक हुआ तो फिर देश में जेल की हवा खाने का डर खत्म हो जाएगा. इसीलिए जो न केवल अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए, बल्कि इस देश में कानून का राज कायम रखने के लिए जरूरी है कि तिहाड़ के सुराखों को तलाशा जाए, उन्हें दुरुस्त किया जाए और इस प्रक्रिया के बीच जो तिहाड़ की सुरक्षा के साथ खिलवा़ड कर रहे हैं, उन पर ऐसी कार्रवाई की जाए कि देश भर में इसका मैसेज जाए. चुनौती अब आपके पाले में है. क्या ऐसा कर पाएंगे सरकार !