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Constitution Day : संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी शिमला में सुरक्षित - Constitution Day 26 November

आजाद भारत के इतिहास में 26 नवंबर का दिन खास है. देश में इस दिन बड़े ही हर्ष के साथ संविधान दिवस (Constitution Day) मनाया जाता है. देश की आम जनता को शायद ही मालूम होगा कि संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी (First Printed copy of constitution) शिमला में सुरक्षित है. आजादी के बाद वर्ष 1949 में संविधान के मुद्रण का कार्य पूरा हुआ. यह काम शिमला स्थित गवर्नमेंट ऑफ इंडिया प्रेस (Government of India Press) में पूरा हुआ.

first printed copy of constitution etv bharat
संविधान की फर्स्ट प्रिंटेड कॉपी
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Published : Nov 26, 2021, 4:06 PM IST

Updated : Nov 26, 2021, 4:48 PM IST

शिमला: देश की आम जनता को शायद ही यह मालूम होगा कि संविधान तैयार होने के बाद इसके मुद्रित होने का काम शिमला में किया गया और यह जानकारी तो बहुत ही कम लोगों को होगी कि संविधान की पहली मुद्रित प्रति शिमला में मौजूद है.

जी हां, आजादी के बाद वर्ष 1949 में संविधान के मुद्रण का कार्य पूरा हुआ. यह काम शिमला स्थित गवर्नमेंट ऑफ इंडिया प्रेस (Government of India Press) में पूरा हुआ. पुरानी दुर्लभ मशीनों के जरिए संविधान की प्रतियां मुद्रित (प्रिंट) की गईं. बाद में संविधान की पहली प्रति इसी प्रेस में रखी गई. तब से लेकर यह प्रति शिमला स्थित गवर्नमेंट ऑफ इंडिया प्रेस में सलीके से सहेज कर रखी गई है.

संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी
संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी
संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी
संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी

ब्रिटिश काल में देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला की पहचान यूं तो कई ऐतिहासिक इमारतों से की जाती है, लेकिन वर्ष 1872 में यहां स्थापित प्रिंटिग प्रेस की इमारत का अलग ही महत्व है. शिमला में टूटीकंडी में यह प्रेस स्थापित की गई.

भारत की आजादी के बाद संविधान सभा का गठन किया गया. संविधान लेखन का कार्य पूरा होने के बाद इसे प्रिंट करने का महत्वपूर्ण काम था. तब सभी ने इसके मुद्रण के लिए शिमला स्थित गवर्नमेंट ऑफ इंडिया प्रेस को उपयुक्त पाया. कारण यह था कि इस प्रेस में उस जमाने के हिसाब से आधुनिक प्रिंटिंग मशीनें मौजूद थीं.

तैयार होने के बाद संविधान की पहली प्रिंटिड कॉपी शिमला में ही रखी गई. अंग्रेजी में मुद्रित इस प्रति में कुल 289 पृष्ठ हैं.

वर्ष 2014 में शिमला में इस प्रेस में डिप्टी मैनेजर के तौर पर सेवाएं दे चुके अनुपम सक्सेना कहते थे कि यह केवल एक किताब ही नहीं है, बल्कि भारतीय जनमानस की सामूहिक चेतना का प्रतिबिंब है और इसकी पहली प्रति को सहेजे रखने का गौरव शिमला को हासिल है. उल्लेखनीय है कि शिमला में वर्ष 1872 में इस प्रेस की स्थापना की गई थी. यहां विदेशों से बड़ी और भारी मशीनों को मंगवाया गया. देश में स्थापित प्रिंटिंग प्रेस में यह सबसे पुरानी है. इसी कड़ी की एक प्रेस मिंटो रोड दिल्ली में है. संविधान की इस प्रति का पहली प्रिंटेड कॉपी होने के कारण ऐतिहासिक महत्व है.

संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी
संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी

शिमला को सपनों का शहर पुकारने वाले कवि-लेखक कुलराजीव पंत (Poet writer kulrajiv pant) का कहना है कि बेशक यह समय संचार क्रांति का है और सारी दुनिया एक छोटे से मोबाइल में कैद हो गई है, लेकिन मुद्रित शब्द का अपना ही महत्व है.

हिमाचल प्रदेश के लेखन संसार के अनमोल रत्न कहे जाने वाले लेखक-संपादक स्वर्गीय मधुकर भारती कहा करते थे कि संविधान की पहली मुद्रित प्रति शिमला में मौजूद है, यह इस ऐतिहासिक शहर के लिए गौरव की बात है उनके अनुसार संविधान भारतीय लोकतंत्र की पवित्र पुस्तक है.

संविधान को लेकर एक रोचक बात और भी है. शिमला स्थित राज्य संग्रहालय (State Museum in Shimla) में लोगों की संविधान को लेकर जिज्ञासा शांत करने के लिए संविधान की एक हस्तलिखित प्रति रखी गई है. हिंदी में लिखी गई यह प्रति संविधान की मूल प्रति का सुलेख है. इसे नासिक के वसंत कृष्ण वैद्य ने हाथ से लिखा है. मिलबोर्न लोन कागज पर 500 पन्नों में यह वर्ष 1954 में पूरी हुई. शांति निकेतन से जुड़े मशहूर चित्रकार नंदलाल बोस ने इसे चार साल का समय लगाकर सजाया.

शिमला: देश की आम जनता को शायद ही यह मालूम होगा कि संविधान तैयार होने के बाद इसके मुद्रित होने का काम शिमला में किया गया और यह जानकारी तो बहुत ही कम लोगों को होगी कि संविधान की पहली मुद्रित प्रति शिमला में मौजूद है.

जी हां, आजादी के बाद वर्ष 1949 में संविधान के मुद्रण का कार्य पूरा हुआ. यह काम शिमला स्थित गवर्नमेंट ऑफ इंडिया प्रेस (Government of India Press) में पूरा हुआ. पुरानी दुर्लभ मशीनों के जरिए संविधान की प्रतियां मुद्रित (प्रिंट) की गईं. बाद में संविधान की पहली प्रति इसी प्रेस में रखी गई. तब से लेकर यह प्रति शिमला स्थित गवर्नमेंट ऑफ इंडिया प्रेस में सलीके से सहेज कर रखी गई है.

संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी
संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी
संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी
संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी

ब्रिटिश काल में देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला की पहचान यूं तो कई ऐतिहासिक इमारतों से की जाती है, लेकिन वर्ष 1872 में यहां स्थापित प्रिंटिग प्रेस की इमारत का अलग ही महत्व है. शिमला में टूटीकंडी में यह प्रेस स्थापित की गई.

भारत की आजादी के बाद संविधान सभा का गठन किया गया. संविधान लेखन का कार्य पूरा होने के बाद इसे प्रिंट करने का महत्वपूर्ण काम था. तब सभी ने इसके मुद्रण के लिए शिमला स्थित गवर्नमेंट ऑफ इंडिया प्रेस को उपयुक्त पाया. कारण यह था कि इस प्रेस में उस जमाने के हिसाब से आधुनिक प्रिंटिंग मशीनें मौजूद थीं.

तैयार होने के बाद संविधान की पहली प्रिंटिड कॉपी शिमला में ही रखी गई. अंग्रेजी में मुद्रित इस प्रति में कुल 289 पृष्ठ हैं.

वर्ष 2014 में शिमला में इस प्रेस में डिप्टी मैनेजर के तौर पर सेवाएं दे चुके अनुपम सक्सेना कहते थे कि यह केवल एक किताब ही नहीं है, बल्कि भारतीय जनमानस की सामूहिक चेतना का प्रतिबिंब है और इसकी पहली प्रति को सहेजे रखने का गौरव शिमला को हासिल है. उल्लेखनीय है कि शिमला में वर्ष 1872 में इस प्रेस की स्थापना की गई थी. यहां विदेशों से बड़ी और भारी मशीनों को मंगवाया गया. देश में स्थापित प्रिंटिंग प्रेस में यह सबसे पुरानी है. इसी कड़ी की एक प्रेस मिंटो रोड दिल्ली में है. संविधान की इस प्रति का पहली प्रिंटेड कॉपी होने के कारण ऐतिहासिक महत्व है.

संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी
संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी

शिमला को सपनों का शहर पुकारने वाले कवि-लेखक कुलराजीव पंत (Poet writer kulrajiv pant) का कहना है कि बेशक यह समय संचार क्रांति का है और सारी दुनिया एक छोटे से मोबाइल में कैद हो गई है, लेकिन मुद्रित शब्द का अपना ही महत्व है.

हिमाचल प्रदेश के लेखन संसार के अनमोल रत्न कहे जाने वाले लेखक-संपादक स्वर्गीय मधुकर भारती कहा करते थे कि संविधान की पहली मुद्रित प्रति शिमला में मौजूद है, यह इस ऐतिहासिक शहर के लिए गौरव की बात है उनके अनुसार संविधान भारतीय लोकतंत्र की पवित्र पुस्तक है.

संविधान को लेकर एक रोचक बात और भी है. शिमला स्थित राज्य संग्रहालय (State Museum in Shimla) में लोगों की संविधान को लेकर जिज्ञासा शांत करने के लिए संविधान की एक हस्तलिखित प्रति रखी गई है. हिंदी में लिखी गई यह प्रति संविधान की मूल प्रति का सुलेख है. इसे नासिक के वसंत कृष्ण वैद्य ने हाथ से लिखा है. मिलबोर्न लोन कागज पर 500 पन्नों में यह वर्ष 1954 में पूरी हुई. शांति निकेतन से जुड़े मशहूर चित्रकार नंदलाल बोस ने इसे चार साल का समय लगाकर सजाया.

Last Updated : Nov 26, 2021, 4:48 PM IST
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