ETV Bharat / bharat

किसान विरोध प्रदर्शन तेज हो रहा है, सरकार को झुकना पड़ेगा : अशोक धावले

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान प्रदर्शन को लेकर ऑल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावले ने कहा कि आंदोलन हर रोज तेज हो रहा है और सरकार को किसानों के सामने झुकना पड़ेगा.

ईटीवी भारत से बात करते अशोक धावले
ईटीवी भारत से बात करते अशोक धावले
author img

By

Published : Feb 19, 2021, 8:21 PM IST

Updated : Feb 19, 2021, 8:53 PM IST

नई दिल्ली : तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का विरोध 87 दिनों के बाद भी जारी है. साथ ही सरकार और प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के बीच भी गतिरोध बना हुआ है. संयुक्ता किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच 11 विफल दौरों के बाद, दोनों पक्षों का कहना है कि वह वार्ता के लिए तैयार हैं, हालांकि अभी तक कोई औपचारिक प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है.

जहां किसान यूनियन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांगों पर अड़ी हुई हैं और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सुनिश्चित की मांग कर रही हैं, वहीं अखिल भारतीय किसान सभा, सीपीआईएम की किसान विंग किसान आंदोलन में सबसे आगे रही है और वाम दलों के बैकअप वाले संगठन ने तीनों कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को आगे बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है.

ईटीवी भारत से बात करते अशोक धावले

इस बीच ईटीवी भारत से बात करते हुए ऑल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावले ने कहा कि सरकार इस आंदोलन के प्रति पहले दिन से प्रतिक्रियात्मक रूख अपना रही है.

वहीं 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा को लेकर उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 26 जनवरी की हिंसा भी सरकार और इसके एजेंट्स की करतूत थी.

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसानों के साथ-साथ पत्रकारों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का दमन कर रही है.

किसान नेता ने आगे कहा कि जो भी किसान आंदोलन का समर्थन कर रहा है, सरकार उस पर कार्रवाई कर रही है.

अशोक धावले ने कहा कि देशभर में सरकार के खिलाफ आक्रोश सामने आएगा, लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. 30 जनवरी को महात्मा गांधी की शहादत के दिन किसानों ने अपनी एकजुटता दिखाई.

उन्होंने कहा कि 6 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से देशव्यापी चक्का जाम किया गया.14 फरवरी को पुलवामा के शहीदों के अलावा किसानों की मौत पर दिल्ली सीमा पर श्रद्धांजलि दी गई. इसके अलावा18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन को भी देशभर में किसानों को समर्थन मिला.

उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सीमा पर हजारों की संख्या में किसान आ रहे हैं, जिससे किसान आंदोलन मजबूत हो रहा है.

उन्होंने कहा कि निर्णय सरकार को करना है, क्या वे किसानों की मांग मानेंगे या नहीं.

पंजाब में भाजपा को मिली हार पर उन्होंने कहा कि पंजाब निकाय चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव में भी भाजपा को पटखनी मिलेगी.

धावले ने कहा कि जहां तक बीच का रास्ता निकाले जाने का सवाल है, क्या सरकार ने किसानों के साथ सलाह-विचार किया.

उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को संसद में सेलेक्ट कमेटी के पास नहीं भेजा गया, ये कानून किसानों के खिलाफ हैं. कानून लागू होने पर खेती से जुड़े तमाम उपक्रम बड़े कॉरपोरेट के पास चले जाएंगे.एमएसपी सबसे अहम मुद्दा है, 94 फीसद किसान इससे वंचित हैं. खेती से जुड़ा संकट खत्म करना है तो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू की जाए.

पढ़ें - टिकैत बोले हक के लिए फसल में आग भी लगाना पड़ा तो किसान तैयार

जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि सरकार आपके सामने झुकेगी, तो उन्होंने कहा कि सरकार को झुकना ही होगा... यह एक ऐतिहासिक आंदोलन है... इसमें कहीं भी राजनीति नहीं है.

विपक्ष ने हमारा समर्थन किया है, हम इसके खिलाफ नहीं हैं. समय बीतने के साथ किसान आंदोलन जन आंदोलन बनता जा रहा है.

एक अन्य सवाल में जब उनसे पूछा गया कि वह दिल्ली सीमा पर कम हो रही आंदोलनकारियों की संख्या पर क्या कहेंगे ?तो उन्होंने जवाब दिया कि आंदोलनकारियों की संख्या में कोई कमी नहीं है, लोगों का आना-जाना नियमित प्रक्रिया है.26 जनवरी से पहले भी ऐसा हो रहा था.

जब उनसे पूठा गया कि क्या किसान संगठन अनंत समय तक आंदोलन के लिए तैयार हैं ? तो उन्होंने जवाब दिया कि मांगे पूरी होने तक हम आंदोलन जारी रखेंगे, आने वाले समय में संयुक्त किसान मोर्चा शक्तिशाली आह्वान करेगा.

नई दिल्ली : तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का विरोध 87 दिनों के बाद भी जारी है. साथ ही सरकार और प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के बीच भी गतिरोध बना हुआ है. संयुक्ता किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच 11 विफल दौरों के बाद, दोनों पक्षों का कहना है कि वह वार्ता के लिए तैयार हैं, हालांकि अभी तक कोई औपचारिक प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है.

जहां किसान यूनियन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांगों पर अड़ी हुई हैं और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सुनिश्चित की मांग कर रही हैं, वहीं अखिल भारतीय किसान सभा, सीपीआईएम की किसान विंग किसान आंदोलन में सबसे आगे रही है और वाम दलों के बैकअप वाले संगठन ने तीनों कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को आगे बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है.

ईटीवी भारत से बात करते अशोक धावले

इस बीच ईटीवी भारत से बात करते हुए ऑल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावले ने कहा कि सरकार इस आंदोलन के प्रति पहले दिन से प्रतिक्रियात्मक रूख अपना रही है.

वहीं 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा को लेकर उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 26 जनवरी की हिंसा भी सरकार और इसके एजेंट्स की करतूत थी.

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसानों के साथ-साथ पत्रकारों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का दमन कर रही है.

किसान नेता ने आगे कहा कि जो भी किसान आंदोलन का समर्थन कर रहा है, सरकार उस पर कार्रवाई कर रही है.

अशोक धावले ने कहा कि देशभर में सरकार के खिलाफ आक्रोश सामने आएगा, लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. 30 जनवरी को महात्मा गांधी की शहादत के दिन किसानों ने अपनी एकजुटता दिखाई.

उन्होंने कहा कि 6 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से देशव्यापी चक्का जाम किया गया.14 फरवरी को पुलवामा के शहीदों के अलावा किसानों की मौत पर दिल्ली सीमा पर श्रद्धांजलि दी गई. इसके अलावा18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन को भी देशभर में किसानों को समर्थन मिला.

उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सीमा पर हजारों की संख्या में किसान आ रहे हैं, जिससे किसान आंदोलन मजबूत हो रहा है.

उन्होंने कहा कि निर्णय सरकार को करना है, क्या वे किसानों की मांग मानेंगे या नहीं.

पंजाब में भाजपा को मिली हार पर उन्होंने कहा कि पंजाब निकाय चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव में भी भाजपा को पटखनी मिलेगी.

धावले ने कहा कि जहां तक बीच का रास्ता निकाले जाने का सवाल है, क्या सरकार ने किसानों के साथ सलाह-विचार किया.

उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को संसद में सेलेक्ट कमेटी के पास नहीं भेजा गया, ये कानून किसानों के खिलाफ हैं. कानून लागू होने पर खेती से जुड़े तमाम उपक्रम बड़े कॉरपोरेट के पास चले जाएंगे.एमएसपी सबसे अहम मुद्दा है, 94 फीसद किसान इससे वंचित हैं. खेती से जुड़ा संकट खत्म करना है तो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू की जाए.

पढ़ें - टिकैत बोले हक के लिए फसल में आग भी लगाना पड़ा तो किसान तैयार

जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि सरकार आपके सामने झुकेगी, तो उन्होंने कहा कि सरकार को झुकना ही होगा... यह एक ऐतिहासिक आंदोलन है... इसमें कहीं भी राजनीति नहीं है.

विपक्ष ने हमारा समर्थन किया है, हम इसके खिलाफ नहीं हैं. समय बीतने के साथ किसान आंदोलन जन आंदोलन बनता जा रहा है.

एक अन्य सवाल में जब उनसे पूछा गया कि वह दिल्ली सीमा पर कम हो रही आंदोलनकारियों की संख्या पर क्या कहेंगे ?तो उन्होंने जवाब दिया कि आंदोलनकारियों की संख्या में कोई कमी नहीं है, लोगों का आना-जाना नियमित प्रक्रिया है.26 जनवरी से पहले भी ऐसा हो रहा था.

जब उनसे पूठा गया कि क्या किसान संगठन अनंत समय तक आंदोलन के लिए तैयार हैं ? तो उन्होंने जवाब दिया कि मांगे पूरी होने तक हम आंदोलन जारी रखेंगे, आने वाले समय में संयुक्त किसान मोर्चा शक्तिशाली आह्वान करेगा.

Last Updated : Feb 19, 2021, 8:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.