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किसानों की अजीब दुविधा...रहते राजस्थान में हैं, खेती करने मध्यप्रदेश जाना पड़ता है

राजस्थान में प्रतापगढ़ जिले के एक गांव के किसान दो प्रदेशों के बीच फंस गए हैं. वह रहते तो राजस्थान में हैं, लेकिन उनकी खेती मध्य प्रदेश में है. इसके कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता. खेतों तक आने-जाने में भी काफी समस्या होती है (People Facing Problem Living in Rajpuria Border).

Farmers Living on Border in Pratapgarh of Rajasthan
किसानों की अजीब दुविधा
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Published : Mar 24, 2022, 8:33 PM IST

प्रतापगढ़ : सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले किसान राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच पिस रहे हैं. राजस्थान के जिला प्रतापगढ़ का गांव राजपुरिया राज्य का अंतिम गांव है. इसके आगे मध्यप्रदेश की सीमा शुरू हो जाती है. राजपुरिया के किसान रहते तो राजस्थान में हैं, लेकिन उनके खेत मध्यप्रदेश की सीमा में आते हैं. दो राज्यों की सीमा में फंसे इन किसानों को सरकारी लाभ लेने से लेकर खेतों तक आने-जाने में (Pratapgarh Farmers on Land Problem) काफी समस्या का सामना करना पड़ता है. इससे पहले यहां किसानों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को ज्ञापन देकर समस्या के निराकरण की मांग भी की है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.

प्रतापगढ़ जिले के बॉर्डर क्षेत्र के गांव राजपुरिया निवासी करीब 20 से अधिक किसान इन्हीं समस्याओं से जूझ रहे हैं. ये सभी किसान राजस्थान के मूलनिवासी होने के बाद भी इनकी खेती की जमीन मध्यप्रदेश की सीमा में आती है. दो राज्यों की सीमाओं के बीच होने के कारण इन किसानों को खेती से जुड़े लाभ राजस्थान और एमपी दोनों राज्यों से मिलने में परेशानी होती है. किसानों ने बताया कि जमीन को राजस्थान सीमा में लेने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को ज्ञापन देकर गुहार लगा चुके हैं. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

क्या कहते हैं किसान, सुनिए

यह आती है दिक्कतः किसानों ने बताया कि उनका मूल निवास राजस्थान है लेकिन खेती की जमीन मध्यप्रदेश की सीमा में होने के कारण राजस्थान सरकार की ओर से किसानों को दिए जाने वाले लाभ से वंचित रहना पड़ता है. वहीं, एमपी में भी इन किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में परेशानी होती है. किसानों का कहना है कि खेती की जमीन एमपी राज्य की सीमा में है, लेकिन बाकी डॉक्यूमेंट राजस्थान के होने के कारण वहां केसीसी कार्ड (किसान क्रेडिट कार्ड) बनवाने समेत अन्य योजनाओं का लाभ मिलने में परेशानी होती है. खेती करने वाले अधिकतर लोग अपना जीवन यापन राजस्थान में करते है और खेती और कर्मस्थली मध्यप्रदेश को मानते हैं.

बारिश के दिनों में बढ़ जाती है परेशानीः किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी राजस्थान की सीमा को पार कर मध्यप्रदेश अपने खेतों तक जाने में होती है. किसानों को यहां एक बरसाती नाले को पार करके एमपी में खेतों तक जाना होता है (Farmers of Rajpuria Border Area Suffer due to Rainy Drain). बारिश के दिनों में इस नाले में पानी आने से किसानों को खेतों तक पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. हालात यह होते हैं कि बारिश में यदि किसान अपने घर पर है तो खेतों में नहीं पहुंच पाता, साथ ही यदि खेतों में है तो बारिश समय उसे रात भी खेतों में गुजारी पड़ती है.

किसानों का कहना है कि नाले के ऊपर पुल ना होने के कारण बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. किसानों का कहना है कि इस समस्या से लंबे समय से जूझ रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. नाले के ऊपर पुल निर्माण को लेकर राजस्थान और एमपी सरकार एक-दूसरे पर मामले को डालकर (Rajasthan Farmers Farming in Madhya Pradesh) पल्ला झाड़ते रहते हैं. किसानों का कहना है कि नेता लोग चुनाव के टाइम पर वोट लेने आते हैं. उसके बाद कोई इधर देखते भी नहीं, क्योंकि हम मध्य प्रदेश से सटे हुए गांव में रहते हैं. मध्यप्रदेश की सीमा से जुड़ा होना हमारे लिए अभिशाप बनता जा रहा है.

पढ़ें- बंजर भूमि में महिला किसान उगा रही 'सोना', जानें पूरी कहानी

पढ़ें- नायाब आइडिया : 'भालू' को बनाया फसलों का पहरेदार, भागे जंगली जानवर

प्रतापगढ़ : सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले किसान राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच पिस रहे हैं. राजस्थान के जिला प्रतापगढ़ का गांव राजपुरिया राज्य का अंतिम गांव है. इसके आगे मध्यप्रदेश की सीमा शुरू हो जाती है. राजपुरिया के किसान रहते तो राजस्थान में हैं, लेकिन उनके खेत मध्यप्रदेश की सीमा में आते हैं. दो राज्यों की सीमा में फंसे इन किसानों को सरकारी लाभ लेने से लेकर खेतों तक आने-जाने में (Pratapgarh Farmers on Land Problem) काफी समस्या का सामना करना पड़ता है. इससे पहले यहां किसानों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को ज्ञापन देकर समस्या के निराकरण की मांग भी की है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.

प्रतापगढ़ जिले के बॉर्डर क्षेत्र के गांव राजपुरिया निवासी करीब 20 से अधिक किसान इन्हीं समस्याओं से जूझ रहे हैं. ये सभी किसान राजस्थान के मूलनिवासी होने के बाद भी इनकी खेती की जमीन मध्यप्रदेश की सीमा में आती है. दो राज्यों की सीमाओं के बीच होने के कारण इन किसानों को खेती से जुड़े लाभ राजस्थान और एमपी दोनों राज्यों से मिलने में परेशानी होती है. किसानों ने बताया कि जमीन को राजस्थान सीमा में लेने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को ज्ञापन देकर गुहार लगा चुके हैं. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

क्या कहते हैं किसान, सुनिए

यह आती है दिक्कतः किसानों ने बताया कि उनका मूल निवास राजस्थान है लेकिन खेती की जमीन मध्यप्रदेश की सीमा में होने के कारण राजस्थान सरकार की ओर से किसानों को दिए जाने वाले लाभ से वंचित रहना पड़ता है. वहीं, एमपी में भी इन किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में परेशानी होती है. किसानों का कहना है कि खेती की जमीन एमपी राज्य की सीमा में है, लेकिन बाकी डॉक्यूमेंट राजस्थान के होने के कारण वहां केसीसी कार्ड (किसान क्रेडिट कार्ड) बनवाने समेत अन्य योजनाओं का लाभ मिलने में परेशानी होती है. खेती करने वाले अधिकतर लोग अपना जीवन यापन राजस्थान में करते है और खेती और कर्मस्थली मध्यप्रदेश को मानते हैं.

बारिश के दिनों में बढ़ जाती है परेशानीः किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी राजस्थान की सीमा को पार कर मध्यप्रदेश अपने खेतों तक जाने में होती है. किसानों को यहां एक बरसाती नाले को पार करके एमपी में खेतों तक जाना होता है (Farmers of Rajpuria Border Area Suffer due to Rainy Drain). बारिश के दिनों में इस नाले में पानी आने से किसानों को खेतों तक पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. हालात यह होते हैं कि बारिश में यदि किसान अपने घर पर है तो खेतों में नहीं पहुंच पाता, साथ ही यदि खेतों में है तो बारिश समय उसे रात भी खेतों में गुजारी पड़ती है.

किसानों का कहना है कि नाले के ऊपर पुल ना होने के कारण बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. किसानों का कहना है कि इस समस्या से लंबे समय से जूझ रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. नाले के ऊपर पुल निर्माण को लेकर राजस्थान और एमपी सरकार एक-दूसरे पर मामले को डालकर (Rajasthan Farmers Farming in Madhya Pradesh) पल्ला झाड़ते रहते हैं. किसानों का कहना है कि नेता लोग चुनाव के टाइम पर वोट लेने आते हैं. उसके बाद कोई इधर देखते भी नहीं, क्योंकि हम मध्य प्रदेश से सटे हुए गांव में रहते हैं. मध्यप्रदेश की सीमा से जुड़ा होना हमारे लिए अभिशाप बनता जा रहा है.

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