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इटावा में बाढ़ से बर्बाद हो गई पूरी फसल, इंश्योरेंस कंपनी ने किसान को मुआवजा दिया सिर्फ 129 रुपये - joke with farmers in etawah

जब किसानों ने फसलों का बीमा कराना शुरू हुआ तो आपदा में बेहतर मुआवजे की उम्मीद बंधी. मगर इटावा में किसान अब ठगा महसूस कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें मुआवजे के तौर पर 129 रुपये का मुआवजा दिया जा रहा है.

इटावा में बाढ़ से बर्बाद हो गई पूरी फसल
इटावा में बाढ़ से बर्बाद हो गई पूरी फसल
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Published : Mar 21, 2023, 8:09 PM IST

पूरी फसल बर्बाद होने पर किसान को सिर्फ 129 रुपये मिला मुआवजा.

इटावा : उत्तरप्रदेश के इटावा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मुआवजे के नाम पर किसानों का मजाक उड़ाया जा रहा है. किसानों का आरोप है कि उन्होंने बीमा की सभी किस्तें जमा कीं मगर अब उन्हें कुछ सौ रुपये दिए जा रहे हैं. पिछले साल इटावा के चकरनगर तहसील क्षेत्र के अंतर्गत चंबल और यमुना नदी में बाढ़ की वजह से इलाके में खड़ी फसल बर्बाद हो गई थी. ऐसे ही बाढ़ पीड़ित किसान को इंश्योरेंस कंपनी ने 129 रुपये का मुआवजा दिया है.

किसानों ने बताया कि इटावा में 8 ब्लॉक के लगभग 12,315 किसानों की खरीफ की फसल का बीमा कराया था. इसके लिए बीमा करने वाली यूनिवर्सल सोपो जनरल इंश्योरेंस कंपनी को करीब 3 करोड़ रुपये का प्रीमियम दिया गया था. बारिश के मौसम में अंतर्गत चंबल और यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण चकरनगर तहसील क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे. इस कारण हजारों बीघे की फसल बर्बाद हो गई थी. डिभौली गांव के किसान राकेश कुमार ने बताया कि उन्होंने अपनी 5 बीघे के खेत में बाजरा की फसल की थी. जब बाजरा पूरा तैयार हो गया, तभी बाढ़ आ गई और पूरी फसल जलमग्न हो गई. तब नियम के अनुसार 72 घंटे के भीतर बीमा कंपनी और प्रशासन को फसल नष्ट होने की सूचना भी दी गई.

जब मुआवजा देने की बारी आई तो बीमा कंपनी की ओर से कुछ सौ रुपये किसानों को थमा दिए गए. सुनीता देवी को 15 बीघे की फसल नष्ट होने के बाद 129 रुपये का मुआवजा दिया गया. सुनीता देवी ने बताया कि उन्हें मुआवजे के तौर पर 1629 रुपये दिए गए. फिर उसमें से 1500 रुपये काट भी लिए गए.अब सुनीता का सवाल है कि एक तो उन्हें कम मुआवजा मिला. इसके बाद भी सरकार ने 1500 रुपये काट लिए. जब रुपये काटने ही थे तो सरकार ने अकाउंट में 1629 डाले ही क्यों?

किसानों का कहना है कि इटावा के इस इलाके में खरीफ की फसल में प्रमुख तौर पर धान, बाजरा और मक्का की पैदावार होती है. किसान अपनी जेब से खाद, बीज और सिंचाई पर खर्च करता है. इसके अलावा बीमा कंपनी को भी रकम देता है. बाढ़ से लेकर सूखे तक से किसानों को हर साल जूझना पड़ता है. इन प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को भारी नुकसान होता है. ऐसे में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से उम्मीद बंधी थी, मगर 129 रुपये का मुआवजा उन्हें निराश करता है.

इटावा के कृषि उप निदेशक आरएन सिंह ने बताया कि कम मुआवजा मिलने का मामला संज्ञान में आया है. इसकी जांच कराई जाएगी. जो उचित होगा, पूरा मुआवजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें-आरटीओ ऑफिस की 'पिंकी' करती है चूहों का शिकार, बनी कर्मचारियों की लाडली

पूरी फसल बर्बाद होने पर किसान को सिर्फ 129 रुपये मिला मुआवजा.

इटावा : उत्तरप्रदेश के इटावा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मुआवजे के नाम पर किसानों का मजाक उड़ाया जा रहा है. किसानों का आरोप है कि उन्होंने बीमा की सभी किस्तें जमा कीं मगर अब उन्हें कुछ सौ रुपये दिए जा रहे हैं. पिछले साल इटावा के चकरनगर तहसील क्षेत्र के अंतर्गत चंबल और यमुना नदी में बाढ़ की वजह से इलाके में खड़ी फसल बर्बाद हो गई थी. ऐसे ही बाढ़ पीड़ित किसान को इंश्योरेंस कंपनी ने 129 रुपये का मुआवजा दिया है.

किसानों ने बताया कि इटावा में 8 ब्लॉक के लगभग 12,315 किसानों की खरीफ की फसल का बीमा कराया था. इसके लिए बीमा करने वाली यूनिवर्सल सोपो जनरल इंश्योरेंस कंपनी को करीब 3 करोड़ रुपये का प्रीमियम दिया गया था. बारिश के मौसम में अंतर्गत चंबल और यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण चकरनगर तहसील क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे. इस कारण हजारों बीघे की फसल बर्बाद हो गई थी. डिभौली गांव के किसान राकेश कुमार ने बताया कि उन्होंने अपनी 5 बीघे के खेत में बाजरा की फसल की थी. जब बाजरा पूरा तैयार हो गया, तभी बाढ़ आ गई और पूरी फसल जलमग्न हो गई. तब नियम के अनुसार 72 घंटे के भीतर बीमा कंपनी और प्रशासन को फसल नष्ट होने की सूचना भी दी गई.

जब मुआवजा देने की बारी आई तो बीमा कंपनी की ओर से कुछ सौ रुपये किसानों को थमा दिए गए. सुनीता देवी को 15 बीघे की फसल नष्ट होने के बाद 129 रुपये का मुआवजा दिया गया. सुनीता देवी ने बताया कि उन्हें मुआवजे के तौर पर 1629 रुपये दिए गए. फिर उसमें से 1500 रुपये काट भी लिए गए.अब सुनीता का सवाल है कि एक तो उन्हें कम मुआवजा मिला. इसके बाद भी सरकार ने 1500 रुपये काट लिए. जब रुपये काटने ही थे तो सरकार ने अकाउंट में 1629 डाले ही क्यों?

किसानों का कहना है कि इटावा के इस इलाके में खरीफ की फसल में प्रमुख तौर पर धान, बाजरा और मक्का की पैदावार होती है. किसान अपनी जेब से खाद, बीज और सिंचाई पर खर्च करता है. इसके अलावा बीमा कंपनी को भी रकम देता है. बाढ़ से लेकर सूखे तक से किसानों को हर साल जूझना पड़ता है. इन प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को भारी नुकसान होता है. ऐसे में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से उम्मीद बंधी थी, मगर 129 रुपये का मुआवजा उन्हें निराश करता है.

इटावा के कृषि उप निदेशक आरएन सिंह ने बताया कि कम मुआवजा मिलने का मामला संज्ञान में आया है. इसकी जांच कराई जाएगी. जो उचित होगा, पूरा मुआवजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा.

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