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सांसद मिमी चक्रवर्ती के साथ धोखाधड़ी, कोलकाता में फर्जी टीकाकरण केंद्र का भंडाफोड़

पश्चिम बंगाल से एक सनसनीखेज घटना सामने आई है. भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में अधिकारी होने का दावा करने वाला एक शख्स कोरोना टीकाकरण के फर्जी रैकेट संचालन में संलिप्त पाया गया है. यह शख्स खुद को कोलकाता नगर निगम (KMC) का संयुक्त आयुक्त बताता था. जानकारी के मुताबिक इस शख्स ने तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य मिमी चक्रवर्ती (Mimi Chakraborty) को भी धोखा दिया है.

मिमी चक्रवर्ती
मिमी चक्रवर्ती
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Published : Jun 23, 2021, 5:18 PM IST

Updated : Jun 23, 2021, 6:02 PM IST

कोलकाता : नकली COVID-19 टीकाकरण रैकेट चलाने वाले एक शख्स ने अभिनेत्री से सांसद बनीं मिमी चक्रवर्ती के साथ धोखाधड़ी की है. तृणमूल सांसद मिमी चक्रवर्ती (Mimi Chakraborty) के साथ धोखाधड़ी करने वाला यह शख्स फर्जी आईएएस अधिकारी पाया गया है. इसके अलावा इसने खुद को कोलकाता नगर निगम का आयुक्त भी बताया है.

जानकारी के मुताबिक मिमी चक्रवर्ती (Mimi Chakraborty) ने कोलकाता के दक्षिणी किनारे के कस्बा (Kasba) में कोरोना टीकाकरण शिविर में वैक्सीन लगवाई. टीका लगने के एक दिन बाद भी मिमी को टीकाकरण प्रमाण पत्र नहीं मिला.

संदेह होने पर मिमी चक्रवर्ती (Mimi Chakraborty) ने राज्य मंत्री जावेद अहमद खान को सूचित किया. इसके अलावा स्थानीय पुलिस को भी मामले की सूचना दी गई. पुलिस ने कोलकाता नगर निगम (KMC) के अधिकारियों से पूछताछ की. केएमसी ने पुष्टि की कि उन्होंने कस्बा (Kasba) में कोरोना टीकाकरण शिविर को कोई अनुमति नहीं दी है.

पुलिस के अनुसार, उन्होंने जांच शुरू की और बुधवार सुबह देबांजन देब (Debanjan Deb) को गिरफ्तार किया. देबांजन ने ही खुद को केएमसी का डिप्टी कमिश्नर बताया था और कोरोना टीकाकरण शिविर का आयोजन किया था.

पुलिस ने मामले में बुधवार सुबह देबंजन देब को नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया है, जिसने केएमसी के डिप्टी कमिश्नर होने का नाटक करके शिविर का आयोजन किया था.

चक्रवर्ती ने कहा, 'वह एक आमंत्रण मिलने के बाद शिविर में गई थी, उन्हें बताया गया था कि यह थर्ड जेनडर के लोगों के टीकाकरण के लिए आयोजित किया गया है. वहां पहुंचकर मैंने खुद को भी टीका लगवाने का फैसला किया, लेकिन टीका लगवाने के बाद जब मुझे अपने मोबाइल पर सर्टिफिकेट नहीं मिला, तो मैंने देब से इसके बारे में पूछा. उन्होंने कहा कि जल्द ही सर्टिफिकेट आ जाएगा. मैंने एक दिन इंतजार किया और उसके बाद भी सर्टिफिकेट नहीं आया.'

मेरे साथियों ने जब इस मामले में पूछताछ की, तो उन्हें बताया गया कि दो-तीन दिन में सर्टिफिकेट आ जाएगा. तब मुझे संदेह हुआ. मैंने संबंधित लोगों और अधिकारियों को सूचित किया और रैकेट का भंडाफोड़ किया.

अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति एक पढ़े-लिखे परिवार से आता है, जिसके पिता सेवानिवृत्त आबकारी कलेक्टर हैं. दरअसल, देब एक आईएएस अधिकारी बनना चाहता था और यहां तक ​​कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में भी शामिल हुए था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका और उदास रहने लगा.

पढ़ें - हैदराबाद में 17.72 करोड़ रुपये की फेक करेंसी बरामद, सात गिरफ्तार

अब जांच इस बात की है कि देब इतनी मात्रा में वैक्सीन कैसे हासिल कर पाए और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कैंप में उपलब्ध टीके बिल्कुल असली हैं.

पुलिस उपायुक्त (पूर्वी उपनगरीय संभाग) राशिद मुनीर खान ने कहा कि टीके असली हैं या नहीं, यह जांच के बाद ही पता चलेगा. उन्होंने कहा, 'अगर ये टीके नकली पाए जाते हैं तो उक्त शिविर से वैक्सीन प्राप्त करने वाले लोगों को फिर से टीका लगवाना होगा.'

इस बीच, एक जांच अधिकारी ने कहा कि प्रारंभिक एकीकरण के सामने देब ने कबूल किया है कि कुछ टीके उसने नकली दस्तावेज पेश करके खरीदे थे, कुछ टीके उन्होंने कोलकाता के एक थोक बाजार के एक दवा डीलर से हासिल किए थे.

कोलकाता नगर निगम के बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर के अध्यक्ष फिरहाद हकीम ने कहा कि अगर निगम का कोई कर्मचारी रैकेट में शामिल पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि मिमी जादवपुर से 2019 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं थीं.

कोलकाता : नकली COVID-19 टीकाकरण रैकेट चलाने वाले एक शख्स ने अभिनेत्री से सांसद बनीं मिमी चक्रवर्ती के साथ धोखाधड़ी की है. तृणमूल सांसद मिमी चक्रवर्ती (Mimi Chakraborty) के साथ धोखाधड़ी करने वाला यह शख्स फर्जी आईएएस अधिकारी पाया गया है. इसके अलावा इसने खुद को कोलकाता नगर निगम का आयुक्त भी बताया है.

जानकारी के मुताबिक मिमी चक्रवर्ती (Mimi Chakraborty) ने कोलकाता के दक्षिणी किनारे के कस्बा (Kasba) में कोरोना टीकाकरण शिविर में वैक्सीन लगवाई. टीका लगने के एक दिन बाद भी मिमी को टीकाकरण प्रमाण पत्र नहीं मिला.

संदेह होने पर मिमी चक्रवर्ती (Mimi Chakraborty) ने राज्य मंत्री जावेद अहमद खान को सूचित किया. इसके अलावा स्थानीय पुलिस को भी मामले की सूचना दी गई. पुलिस ने कोलकाता नगर निगम (KMC) के अधिकारियों से पूछताछ की. केएमसी ने पुष्टि की कि उन्होंने कस्बा (Kasba) में कोरोना टीकाकरण शिविर को कोई अनुमति नहीं दी है.

पुलिस के अनुसार, उन्होंने जांच शुरू की और बुधवार सुबह देबांजन देब (Debanjan Deb) को गिरफ्तार किया. देबांजन ने ही खुद को केएमसी का डिप्टी कमिश्नर बताया था और कोरोना टीकाकरण शिविर का आयोजन किया था.

पुलिस ने मामले में बुधवार सुबह देबंजन देब को नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया है, जिसने केएमसी के डिप्टी कमिश्नर होने का नाटक करके शिविर का आयोजन किया था.

चक्रवर्ती ने कहा, 'वह एक आमंत्रण मिलने के बाद शिविर में गई थी, उन्हें बताया गया था कि यह थर्ड जेनडर के लोगों के टीकाकरण के लिए आयोजित किया गया है. वहां पहुंचकर मैंने खुद को भी टीका लगवाने का फैसला किया, लेकिन टीका लगवाने के बाद जब मुझे अपने मोबाइल पर सर्टिफिकेट नहीं मिला, तो मैंने देब से इसके बारे में पूछा. उन्होंने कहा कि जल्द ही सर्टिफिकेट आ जाएगा. मैंने एक दिन इंतजार किया और उसके बाद भी सर्टिफिकेट नहीं आया.'

मेरे साथियों ने जब इस मामले में पूछताछ की, तो उन्हें बताया गया कि दो-तीन दिन में सर्टिफिकेट आ जाएगा. तब मुझे संदेह हुआ. मैंने संबंधित लोगों और अधिकारियों को सूचित किया और रैकेट का भंडाफोड़ किया.

अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति एक पढ़े-लिखे परिवार से आता है, जिसके पिता सेवानिवृत्त आबकारी कलेक्टर हैं. दरअसल, देब एक आईएएस अधिकारी बनना चाहता था और यहां तक ​​कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में भी शामिल हुए था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका और उदास रहने लगा.

पढ़ें - हैदराबाद में 17.72 करोड़ रुपये की फेक करेंसी बरामद, सात गिरफ्तार

अब जांच इस बात की है कि देब इतनी मात्रा में वैक्सीन कैसे हासिल कर पाए और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कैंप में उपलब्ध टीके बिल्कुल असली हैं.

पुलिस उपायुक्त (पूर्वी उपनगरीय संभाग) राशिद मुनीर खान ने कहा कि टीके असली हैं या नहीं, यह जांच के बाद ही पता चलेगा. उन्होंने कहा, 'अगर ये टीके नकली पाए जाते हैं तो उक्त शिविर से वैक्सीन प्राप्त करने वाले लोगों को फिर से टीका लगवाना होगा.'

इस बीच, एक जांच अधिकारी ने कहा कि प्रारंभिक एकीकरण के सामने देब ने कबूल किया है कि कुछ टीके उसने नकली दस्तावेज पेश करके खरीदे थे, कुछ टीके उन्होंने कोलकाता के एक थोक बाजार के एक दवा डीलर से हासिल किए थे.

कोलकाता नगर निगम के बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर के अध्यक्ष फिरहाद हकीम ने कहा कि अगर निगम का कोई कर्मचारी रैकेट में शामिल पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि मिमी जादवपुर से 2019 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं थीं.

Last Updated : Jun 23, 2021, 6:02 PM IST
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