कोलकाता: पश्चिम बंगाल पुलिस के एक अधिकारी ने शुरुआती जांच के आधार पर बताया कि गिरफ्तार फर्जी आईएएस अधिकारी देबंजान देब गत चार महीने से खुद को कोलकाता नगर निगम में संयुक्त आयुक्त के तौर पर पेश कर रहा था और उसने नगर निकाय में ठेका दिलाने में मदद करने के नाम पर कुछ लोगों से लाखों रुपये की धोखाधड़ी की.
अधिकारी ने बताया कि देब ने अपने परिवार से भी बताया कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अधिकारी बन गया है. वह संभवत: धोखाधड़ी से प्राप्त इस राशि का इस्तेमाल फर्जी कोविड-19 टीकाकरण शिविर लगाने, कर्मचारियों को वेतन देने और कार्यालय का किराया देने में करता था. आईपीएस अधिकारी ने बताया कि 28 वर्षीय देब सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के दौरान कई पुलिस अधिकारियों और नेताओं के संपर्क में आया. उन्होंने बताया कि जांच के तहत चार और लोगों को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है.
उन्होंने बताया कि देब संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर रहा था और वर्ष 2018 में उसने अपने पिता और रिश्तेदारों को बताया कि उसने परीक्षा पास कर ली है और आईएएस अधिकारी बन गया है. गौरतलब है कि पुलिस ने फर्जी टीकाकरण शिविर की जांच के लिए शुक्रवार को विशेष जांच टीम बनाई है. देब ने शहर में दो टीकाकरण शिविर लगाए थे और संदेह है कि इनमें हजारों लोगों का टीकाकरण हुआ.
पुलिस ने देब को बुधवार को कथित तौर पर खुद को आईएएस अधिकारी के रूप में पेश करने और कस्बा इलाके में कोविड-19 टीकाकरण शिविर आयोजित करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इस शिविर में अभिनेत्री और तृणमूल कांग्रेस सांसद मिमी चक्रवर्ती को भी टीका लगाया गया था.
पीटीआई-भाषा