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ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने में बिल्डर की विफलता सेवा में कमी: SC

अदालत के समक्ष, फ्लैट खरीदारों ने कहा कि उन्हें 25 प्रतिशत से अधिक संपत्ति कर और जल कर देना पड़ रहा है, क्यूंकि बिल्डर ने ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं किया था. NCDRC ने इस आधार पर याचिका को खारिज कर दिया और फैसला सुनाया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत एक हाउसिंग सोसाइटी को उपभोक्ता नहीं माना जा सकता है. NCDRC के आदेश के खिलाफ अपील दायर की गई थी.

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Published : Jan 13, 2022, 2:22 PM IST

एससी
एससी

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत किसी बिल्डर द्वारा ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने (builder to obtain occupation certificate) में विफलता को सेवा में कमी मानी जाएगी. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट की कमी के कारण खरीदारों को उच्च करों के भुगतान और पानी के शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है. ऐसे में बिल्डर पैसे वापस करने के लिए जिम्मेदार (builder would be liable to refund money) होगा.

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission -NCDRC) के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील (appeal against an order of the NCDRC) पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी. जिसमें सहकारी आवास समिति द्वारा बिल्डर की कथित सेवा में कमी के कारण नगरपालिका अधिकारियों को भुगतान किए गए अतिरिक्त करों और शुल्कों की वापसी की मांग को खारिज कर दिया गया था.

अदालत के समक्ष, फ्लैट खरीदारों ने कहा कि उन्हें 25 प्रतिशत से अधिक संपत्ति कर और जल कर देना पड़ रहा है, क्यूंकि बिल्डर ने ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं किया था. NCDRC ने इस आधार पर याचिका को खारिज कर दिया और फैसला सुनाया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत एक हाउसिंग सोसाइटी को उपभोक्ता नहीं माना जा सकता है. NCDRC के आदेश के खिलाफ अपील दायर की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया कि बिल्डर खरीदार ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट देने के लिए बाध्य है और जब तक संपत्ति फ्लैट मालिकों को हस्तांतरित नहीं हो जाती है, बिल्डर नगरपालिका और जल कर आदि के लिए भी जिम्मेदार है.

(पीटीआई)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत किसी बिल्डर द्वारा ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने (builder to obtain occupation certificate) में विफलता को सेवा में कमी मानी जाएगी. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट की कमी के कारण खरीदारों को उच्च करों के भुगतान और पानी के शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है. ऐसे में बिल्डर पैसे वापस करने के लिए जिम्मेदार (builder would be liable to refund money) होगा.

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission -NCDRC) के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील (appeal against an order of the NCDRC) पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी. जिसमें सहकारी आवास समिति द्वारा बिल्डर की कथित सेवा में कमी के कारण नगरपालिका अधिकारियों को भुगतान किए गए अतिरिक्त करों और शुल्कों की वापसी की मांग को खारिज कर दिया गया था.

अदालत के समक्ष, फ्लैट खरीदारों ने कहा कि उन्हें 25 प्रतिशत से अधिक संपत्ति कर और जल कर देना पड़ रहा है, क्यूंकि बिल्डर ने ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं किया था. NCDRC ने इस आधार पर याचिका को खारिज कर दिया और फैसला सुनाया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत एक हाउसिंग सोसाइटी को उपभोक्ता नहीं माना जा सकता है. NCDRC के आदेश के खिलाफ अपील दायर की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया कि बिल्डर खरीदार ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट देने के लिए बाध्य है और जब तक संपत्ति फ्लैट मालिकों को हस्तांतरित नहीं हो जाती है, बिल्डर नगरपालिका और जल कर आदि के लिए भी जिम्मेदार है.

(पीटीआई)

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