बेंगलुरु : कर्नाटक सरकार ने दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों डी रूपा और हेमंत निंबालकर का तबादला कर दिया है. दोनों अधिकारी बेंगलुरु शहर के प्रोजेक्ट को लेकर आमने-सामने आ गए थे.
रूपा ने शुक्रवार को कर्नाटक राज्य हस्तशिल्प विकास निगम की प्रबंध निदेशक (एमडी) का पदभार संभाल लिया.
गृह सचिव (कारागार, अपराध और सहायक सेवाएं) पद से रूपा का तबादला 619 करोड़ रुपये की बेंगलुरु सेफ सिटी प्रोजेक्ट को लेकर अधिकारियों में विवाद के परिणाम के तौर पर देखा जा रहा है.
विवाद में शामिल एक अन्य आईपीएस अधिकारी हेमंत निंबालकर का भी तबादला कर दिया गया है.
आईपीएस रूपा से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान रूपा ने कहा कि ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि एक पुलिस अधिकारी को एक हस्तशिल्प विकास निगम में स्थानांतरित करना एक सजा हो सकती है, लेकिन मेरे लिए यह एक दंड नहीं है. यह उनके लिए एक अवसर की भांति है.
उन्होंने कहा कि मैं मूल रूप से कर्नाटक से हूं. मैं यहां पैदा हुई हूं. मैंने इन सभी हस्तकलाओं को करीबी से देखा है. मुझे कर्नाटक के हस्तशिल्प कला के बारे में बहुत गर्व महसूस हो रहा है.
साथ ही उन्होंने कहा कि मैं कारीगरों से मिलने और उनके कला के कार्यों के बारे में जानने के लिए खुश हूं.
रूपा ने कहा कि यह भी जानकारी मिली है कि हस्तशिल्प विकास निगम इस समय घाटे में है, लेकिन मैं इसे अच्छे कामों के माध्यम से आगे बढ़ाने की कोशिश करूंगी.
उन्होंने कहा कि देश में कर्नाटक का हस्तशिल्प अग्रणी स्थान है. विशेष रूप से, चंदन, शीशम आदि के क्षेत्र में.
हस्तशिल्प विकास निगम की प्रबंध निदेशक (एमडी) के रूप में मैं लाखों कारीगरों के काम को प्रोत्साहन दे पाउंगी.
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उन्होंने कहा कि मैं आईपीएस के रूप में 20 वर्षों से काम कर रही हूं. इस दौरान हमने सीखा है कि इस नौकरी में बैग पैक करके सदैव तबादले के लिए तैयार रहना.
आईपीएस रूपा ने कहा कि मैं तबादले के बाद भी अपने काम को लेकर खुश हूं. क्योंकि मैंने एक सरकारी अधिकारी से जुड़े घोटाले का पता लगाया है, जो सरकार की नजरों से छुपा हुआ था. मैं उम्मीद करती हूं कि सरकार उस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.
इस समय मैं हस्तशिल्प विभाग पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं और लकड़ी की कलाकृति की मांग बजारों में बढ़ रही है.
इससे पहले आईजीपी रैंक की अधिकारी रूपा ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर स्थानांतरण को लेकर अपनी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि उनका तबादला उन्हें एक अन्य अधिकारी के साथ समान स्थान पर रखने के समान है, जिनके खिलाफ सीबीआई ने आरोपपत्र दायर किया है और एक साल पहले ही कार्रवाई की अनुशंसा की थी.