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दिल्ली दंगा मामले में कोर्ट की सख्ती टिप्पणी पर जानिए क्या बोले पूर्व डीसीपी, क्यों मिलेगा अपराधियों को फायदा ? - कोर्ट का दिल्ली पुलिस पर टिप्पणी

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन के दौरान दिल्ली में हिंसा भड़क उठी थी. 24-25 फरवरी 2020 में भड़की हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जबकि करीब 700 लोग घायल हो गए थे. दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली हिंसा की जांच को लेकर पुलिस पर सख्त टिप्पणी की है.

riots case
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Published : Aug 30, 2021, 9:02 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली दंगों में जांच को लेकर कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी पुलिस के लिए बेहद शर्मनाक है. वह भी ऐसे केस में जिसकी जांच तेज तर्रार SIT ने की. खुद दिल्ली पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव, विशेष आयुक्त, डीसीपी आदि वरिष्ठ अधिकारी इसकी निगरानी कर रहे थे. इसके बावजूद जांच का खराब स्तर हैरान करने वाला है. ऐसे में पुलिस के लिए विचार एवं सुधार करने का समय है. यह कहना है दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी एलएन राव का. उन्होंने बताया कि पुलिस की इस लापरवाही का फायदा अपराधियों को मिलेगा.

दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि दिल्ली पुलिस की गिनती बहुत ही बेहतरीन काम करने वाले पुलिस फोर्स में होती है, लेकिन हाल ही में अदालत ने जिस तरीके से दिल्ली दंगों को लेकर उनकी जांच पर टिप्पणी की है, वह बेहद गंभीर है. दिल्ली पुलिस को इस पर विचार करना चाहिए. अदालत ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भी इस बाबत निर्देश दिए हैं कि वह जांच में मौजूद कमियों को ध्यान दें. एलएन राव ने बताया कि किसी भी मामले की जांच होती है तो उसकी असली कसौटी अदालत में ही होती है. वहां देखा जाता है कि जांच अधिकारी ने किस तरह के साक्ष्य जुटाए हैं. किस तरह उसने मामले की जांच की है.

पुलिस की इस लापरवाही का फायदा अपराधियों को मिलेगा.
एलएन राव ने बताया कि दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम गठित की गई थी. इसमें क्राइम ब्रांच के उन चुनिंदा जांच अधिकारियों को शामिल किया गया था, जिन्हें बेहतरीन अनुभव है. खुद डीसीपी इसकी निगरानी करते हैं. जांच के बाद ट्रायल के लिए आरोपपत्र दाखिल हो चुके हैं.

आरोपपत्र तैयार होते समय विशेष आयुक्त और तत्कालीन कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव इन मामलों की निगरानी कर रहे थे. सरकार ने इन मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए एडिशनल सेशन जज विनोद यादव की कोर्ट को जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसे में अदालत की तरफ से पुलिस की जांच पर सवाल उठाना बताता है कि पुलिस की जांच में कमी है.

ये भी पढ़ें : दिल्ली दंगा : पुलिस को कोर्ट की फटकार, कहा- बड़ी संख्या में मामलों में जांच का स्तर 'काफी खराब'


एलएन राव ने बताया कि किसी भी मामले की जांच करते समय पुलिस को ध्यान रखना चाहिए कि जांच ठीक से हो. केस से संबंधित सभी महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटाए जाएं. जांच में पुलिसकर्मी किसी का कोई पक्षपात तो नहीं कर रहा. अगर जांच में कोई कमी रह जाती है तो शिकायतकर्ता को नुकसान होता है. वहीं अपराधी इस कमी का लाभ उठाते हैं. इन कमियों को ठीक से समझना चाहिए. पुलिस को देखना चाहिए कि उनकी जांच में किस जगह कमी रह गई. क्या अधिकारियों के नेतृत्व में कमी थी. इस तरह के चर्चित केस की जांच में अगर कमी होगी तो अपराधी को इसका फायदा होगा.

पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि इन दंगों में 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे. दिल्ली पुलिस के हवलदार की मौत हुई और खुद डीसीपी गंभीर रूप से घायल हुए थे. ऐसे मामले में भी अगर ठीक से जांच नहीं हुई तो यह बहुत ही गंभीर मामला है. दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना को इस पर संज्ञान लेना चाहिए. जिन मामलों में कमी रही है, उससे जुड़े पुलिसकर्मियों पर एक्शन होना चाहिए. इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि SIT की टीम ने आखिरकार ठीक से जांच क्यों नहीं की. किसी दबाव में यह जांच गलत तो नहीं हुई. आमतौर पर दबाव में ही जांच गलत होती है. दिल्ली पुलिस को इसमें सुधार करने की आवश्यकता है ताकि अपराधियों को सजा मिल सके.

नई दिल्ली : दिल्ली दंगों में जांच को लेकर कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी पुलिस के लिए बेहद शर्मनाक है. वह भी ऐसे केस में जिसकी जांच तेज तर्रार SIT ने की. खुद दिल्ली पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव, विशेष आयुक्त, डीसीपी आदि वरिष्ठ अधिकारी इसकी निगरानी कर रहे थे. इसके बावजूद जांच का खराब स्तर हैरान करने वाला है. ऐसे में पुलिस के लिए विचार एवं सुधार करने का समय है. यह कहना है दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी एलएन राव का. उन्होंने बताया कि पुलिस की इस लापरवाही का फायदा अपराधियों को मिलेगा.

दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि दिल्ली पुलिस की गिनती बहुत ही बेहतरीन काम करने वाले पुलिस फोर्स में होती है, लेकिन हाल ही में अदालत ने जिस तरीके से दिल्ली दंगों को लेकर उनकी जांच पर टिप्पणी की है, वह बेहद गंभीर है. दिल्ली पुलिस को इस पर विचार करना चाहिए. अदालत ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भी इस बाबत निर्देश दिए हैं कि वह जांच में मौजूद कमियों को ध्यान दें. एलएन राव ने बताया कि किसी भी मामले की जांच होती है तो उसकी असली कसौटी अदालत में ही होती है. वहां देखा जाता है कि जांच अधिकारी ने किस तरह के साक्ष्य जुटाए हैं. किस तरह उसने मामले की जांच की है.

पुलिस की इस लापरवाही का फायदा अपराधियों को मिलेगा.
एलएन राव ने बताया कि दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम गठित की गई थी. इसमें क्राइम ब्रांच के उन चुनिंदा जांच अधिकारियों को शामिल किया गया था, जिन्हें बेहतरीन अनुभव है. खुद डीसीपी इसकी निगरानी करते हैं. जांच के बाद ट्रायल के लिए आरोपपत्र दाखिल हो चुके हैं.

आरोपपत्र तैयार होते समय विशेष आयुक्त और तत्कालीन कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव इन मामलों की निगरानी कर रहे थे. सरकार ने इन मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए एडिशनल सेशन जज विनोद यादव की कोर्ट को जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसे में अदालत की तरफ से पुलिस की जांच पर सवाल उठाना बताता है कि पुलिस की जांच में कमी है.

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एलएन राव ने बताया कि किसी भी मामले की जांच करते समय पुलिस को ध्यान रखना चाहिए कि जांच ठीक से हो. केस से संबंधित सभी महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटाए जाएं. जांच में पुलिसकर्मी किसी का कोई पक्षपात तो नहीं कर रहा. अगर जांच में कोई कमी रह जाती है तो शिकायतकर्ता को नुकसान होता है. वहीं अपराधी इस कमी का लाभ उठाते हैं. इन कमियों को ठीक से समझना चाहिए. पुलिस को देखना चाहिए कि उनकी जांच में किस जगह कमी रह गई. क्या अधिकारियों के नेतृत्व में कमी थी. इस तरह के चर्चित केस की जांच में अगर कमी होगी तो अपराधी को इसका फायदा होगा.

पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि इन दंगों में 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे. दिल्ली पुलिस के हवलदार की मौत हुई और खुद डीसीपी गंभीर रूप से घायल हुए थे. ऐसे मामले में भी अगर ठीक से जांच नहीं हुई तो यह बहुत ही गंभीर मामला है. दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना को इस पर संज्ञान लेना चाहिए. जिन मामलों में कमी रही है, उससे जुड़े पुलिसकर्मियों पर एक्शन होना चाहिए. इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि SIT की टीम ने आखिरकार ठीक से जांच क्यों नहीं की. किसी दबाव में यह जांच गलत तो नहीं हुई. आमतौर पर दबाव में ही जांच गलत होती है. दिल्ली पुलिस को इसमें सुधार करने की आवश्यकता है ताकि अपराधियों को सजा मिल सके.

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