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केंद्र की चेतावनी के बाद भी राज्यों ने की अनदेखी, बिगड़े हालात तो पीएम ने संभाला मोर्चा

तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बाद कोविड-19 की लड़ाई में राज्यों के हालात पर केंद्र ने हस्तक्षेप किया और अब प्रधानमंत्री ने खुद मोर्चा संभाल लिया है. विपक्षी पार्टियां लगातार केंद्र सरकार पर राज्यों की अनदेखी का आरोप लगा रही थी और प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की रैलियों पर सवाल खड़े कर रही थी. जिसका जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कोविद-19 पर कई बैठकें बुलाई हैं.

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Published : Apr 22, 2021, 9:16 PM IST

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल की चार रैलियों को एक वर्चुअल रैली में समेटे हुए प्रधानमंत्री ने अब अपने चुनावी कार्यक्रमों को दरकिनार कर दिया है. लगातार विपक्ष की आलोचनाओं और सवाल के बाद केंद्र सरकार अब एक्शन में आ गई है. या यूं कहें की प्रधानमंत्री ने खुद कोरोना महामारी को लेकर मोर्चा संभाल लिया है.

घटनाक्रम को देखा जाए तो दो दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दिल्ली वालों के सामने यह कहकर सनसनी फैला दी कि उनके हाथ में अब कुछ नहीं और दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई लगभग समाप्त हो चुकी है. मगर गुरुवार को जब वे प्रेस वार्ता के लिए आए तो उनके सुर बदले हुए थे. उन्होंने एक साथ मिलकर कदमताल बढ़ाने की बात की है. यही नहीं अरविंद केजरीवाल ने दिल खोलकर केंद्र सरकार की तारीफ की और इस बात का धन्यवाद दिया की केंद्र ने उनकी मांग को ध्यान में रखते हुए दिल्ली की ऑक्सीजन सप्लाई को बढ़ा दिया है.

वहीं गुरूवार को प्रधानमंत्री ने एक के बाद एक कई मैराथन बैठकें की. जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों, दवा कंपनियों के निर्माता और तमाम अधिकारियों के साथ राय-मशविरा किया गया. इन बैठकों को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में उनकी प्रस्तावित चार रैलियों को बदलकर मात्र एक वर्चुअल रैली में तब्दील कर दिया है.

सर्कुलर
सर्कुलर

शुक्रवार को प्रधानमंत्री कोरोना वायरस को लेकर तीन महत्वपूर्ण बैठक करेंगे जिनमें सुबह 9:00 बजे आंतरिक बैठक की जाएगी. शुक्रवार को 10:00 बजे प्रधानमंत्री ऐसे राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे जहां कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा केस हैं. 12:30 बजे पीएम ऑक्सीजन निर्माताओं के साथ बैठक करेंगे. केंद्र सरकार और खुद प्रधानमंत्री एक्शन में आ चुके हैं और देश के हालात को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास में जुट गए हैं. मगर सवाल यह उठता है कि केंद्र ने इससे पहले हस्तक्षेप क्यों नहीं किया.

ईटीवी को पास मौजूद सर्कुलर जिसमें 7 जनवरी से लेकर 27 फरवरी तक केंद्र के कैबिनेट सचिव स्तर के अधिकारियों ने राज्यों को चार सर्कुलर भेजे थे. जिसमें बार-बार यह आगाह किया गया कि वह इस संबंध में तुरंत कार्रवाई करें और कोविड-19 के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए समुचित प्रबंध अपने-अपने राज्यों में करें.

केंद्र की मल्टीडिसीप्लिनरी हाई लेवल सेंट्रल टीम को इन राज्यों में जायजा भी लेने भेजा गया और कोविड-19 से संबधित की जा रही तैयारियों के बारे में चेताया गया. लेकिन राज्यों ने ध्यान नहीं दिया. लिहाजा, अप्रैल माह की शुरुआत में मरीजों की संख्या बेतहाशा बढ़ोतरी ने इन राज्यों की कमर तोड़ दी. इसके बाद राज्यों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाना शुरु कर दिया. ईटीवी के पास मौजूद सर्कुलर इस बात का प्रमाण हैं.

इस बारे में ईटीवी भारत ने जब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा से पूछा तो उन्होंने कहा कि जो लोग कृत्रिम दिक्कतें पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं और केंद्र को कोस रहे हैं उन्हें यह बात समझनी चाहिए कि पिछली बार लॉकडाउन हुआ तो केंद्र ने प्रोटोकॉल बनाया था. तब राज्यों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राज्यों पर नियम न थोपे जाएं और उन्हें इससे लड़ने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया जाना चाहिए.

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि जब केंद्र ने राज्यों को उनके भरोसे छोड़ा तो राज्यों ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि केंद्र ने समय-समय पर सर्कुलर भेजकर चेतावनी दी. तब इन राज्यों ने कुछ नहीं किया और अंतिम समय में सारा ठीकरा केंद्र पर फोड़ना शुरु कर दिया. उन्होंने कहा कि यदि अब राज्यों ने सारी जिम्मेदारी केंद्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर डाल दी है तो उसमें भी नरेंद्र मोदी ने समय पर उचित कार्रवाई की है.

उन्होंने कहा कि राज्य एक कृत्रिम क्राइसिस पैदा कर रहे हैं और ऑक्सीजन की जमाखोरी करने में जुट गए हैं. यदि अस्पताल कह रहा है कि आप अपने ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आइए तो जाहिर है लोग ऑक्सीजन की जमाखोरी करेंगे इसलिए किसी सरकार को लोगों के बीच में इस तरह का पैनिक नहीं फैलाना चाहिए.

यह भी पढ़ें-पीएम ने की ऑक्सीजन संकट की समीक्षा, राज्यों को निर्बाध सप्लाई के निर्देश

उन्होंने यह भी दावा किया कि रेमेडेसिविर की कालाबाजारी शुरू हो गई थी और इसे लेकर भी पैनिक फैलाया गया. अब प्रधानमंत्री ने इन बातों का जायजा लिया है और इनकी आपूर्ति बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. जल्द ही स्थितियां धीरे-धीरे सामान्य हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में सबको मिलकर काम करना होगा और इस पर राजनीति बंद करनी होगी.

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल की चार रैलियों को एक वर्चुअल रैली में समेटे हुए प्रधानमंत्री ने अब अपने चुनावी कार्यक्रमों को दरकिनार कर दिया है. लगातार विपक्ष की आलोचनाओं और सवाल के बाद केंद्र सरकार अब एक्शन में आ गई है. या यूं कहें की प्रधानमंत्री ने खुद कोरोना महामारी को लेकर मोर्चा संभाल लिया है.

घटनाक्रम को देखा जाए तो दो दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दिल्ली वालों के सामने यह कहकर सनसनी फैला दी कि उनके हाथ में अब कुछ नहीं और दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई लगभग समाप्त हो चुकी है. मगर गुरुवार को जब वे प्रेस वार्ता के लिए आए तो उनके सुर बदले हुए थे. उन्होंने एक साथ मिलकर कदमताल बढ़ाने की बात की है. यही नहीं अरविंद केजरीवाल ने दिल खोलकर केंद्र सरकार की तारीफ की और इस बात का धन्यवाद दिया की केंद्र ने उनकी मांग को ध्यान में रखते हुए दिल्ली की ऑक्सीजन सप्लाई को बढ़ा दिया है.

वहीं गुरूवार को प्रधानमंत्री ने एक के बाद एक कई मैराथन बैठकें की. जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों, दवा कंपनियों के निर्माता और तमाम अधिकारियों के साथ राय-मशविरा किया गया. इन बैठकों को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में उनकी प्रस्तावित चार रैलियों को बदलकर मात्र एक वर्चुअल रैली में तब्दील कर दिया है.

सर्कुलर
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शुक्रवार को प्रधानमंत्री कोरोना वायरस को लेकर तीन महत्वपूर्ण बैठक करेंगे जिनमें सुबह 9:00 बजे आंतरिक बैठक की जाएगी. शुक्रवार को 10:00 बजे प्रधानमंत्री ऐसे राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे जहां कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा केस हैं. 12:30 बजे पीएम ऑक्सीजन निर्माताओं के साथ बैठक करेंगे. केंद्र सरकार और खुद प्रधानमंत्री एक्शन में आ चुके हैं और देश के हालात को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास में जुट गए हैं. मगर सवाल यह उठता है कि केंद्र ने इससे पहले हस्तक्षेप क्यों नहीं किया.

ईटीवी को पास मौजूद सर्कुलर जिसमें 7 जनवरी से लेकर 27 फरवरी तक केंद्र के कैबिनेट सचिव स्तर के अधिकारियों ने राज्यों को चार सर्कुलर भेजे थे. जिसमें बार-बार यह आगाह किया गया कि वह इस संबंध में तुरंत कार्रवाई करें और कोविड-19 के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए समुचित प्रबंध अपने-अपने राज्यों में करें.

केंद्र की मल्टीडिसीप्लिनरी हाई लेवल सेंट्रल टीम को इन राज्यों में जायजा भी लेने भेजा गया और कोविड-19 से संबधित की जा रही तैयारियों के बारे में चेताया गया. लेकिन राज्यों ने ध्यान नहीं दिया. लिहाजा, अप्रैल माह की शुरुआत में मरीजों की संख्या बेतहाशा बढ़ोतरी ने इन राज्यों की कमर तोड़ दी. इसके बाद राज्यों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाना शुरु कर दिया. ईटीवी के पास मौजूद सर्कुलर इस बात का प्रमाण हैं.

इस बारे में ईटीवी भारत ने जब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा से पूछा तो उन्होंने कहा कि जो लोग कृत्रिम दिक्कतें पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं और केंद्र को कोस रहे हैं उन्हें यह बात समझनी चाहिए कि पिछली बार लॉकडाउन हुआ तो केंद्र ने प्रोटोकॉल बनाया था. तब राज्यों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राज्यों पर नियम न थोपे जाएं और उन्हें इससे लड़ने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया जाना चाहिए.

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि जब केंद्र ने राज्यों को उनके भरोसे छोड़ा तो राज्यों ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि केंद्र ने समय-समय पर सर्कुलर भेजकर चेतावनी दी. तब इन राज्यों ने कुछ नहीं किया और अंतिम समय में सारा ठीकरा केंद्र पर फोड़ना शुरु कर दिया. उन्होंने कहा कि यदि अब राज्यों ने सारी जिम्मेदारी केंद्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर डाल दी है तो उसमें भी नरेंद्र मोदी ने समय पर उचित कार्रवाई की है.

उन्होंने कहा कि राज्य एक कृत्रिम क्राइसिस पैदा कर रहे हैं और ऑक्सीजन की जमाखोरी करने में जुट गए हैं. यदि अस्पताल कह रहा है कि आप अपने ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आइए तो जाहिर है लोग ऑक्सीजन की जमाखोरी करेंगे इसलिए किसी सरकार को लोगों के बीच में इस तरह का पैनिक नहीं फैलाना चाहिए.

यह भी पढ़ें-पीएम ने की ऑक्सीजन संकट की समीक्षा, राज्यों को निर्बाध सप्लाई के निर्देश

उन्होंने यह भी दावा किया कि रेमेडेसिविर की कालाबाजारी शुरू हो गई थी और इसे लेकर भी पैनिक फैलाया गया. अब प्रधानमंत्री ने इन बातों का जायजा लिया है और इनकी आपूर्ति बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. जल्द ही स्थितियां धीरे-धीरे सामान्य हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में सबको मिलकर काम करना होगा और इस पर राजनीति बंद करनी होगी.

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