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ईटीवी भारत की होली पर खास पेशकश जोगीरा सा..रा..रा..रा...

माहौल चुनावी हो तो मतभेद और मनभेद का अंतर्नाद हर ओर सुनाई देता है. ऐसे मद भरे अंतर्नाद और ऐसी जंग की काली और रक्तरंजित परछाइयों को दूर करता है रंग-तरंग से मतंग हुआ मन. जो साल में एक ही बार हर तन मे बसता है. जब आती है हमारे देश में होली.

ईटीवी भारत की होली
ईटीवी भारत की होली
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Published : Mar 17, 2022, 7:17 PM IST

Updated : Mar 17, 2022, 7:41 PM IST

नई दिल्ली : राग-द्वेष, रक्तपात, जंग और लड़ाइयां इंसानी फितरत का हिस्सा सदियों से हैं. इंसान जरा-सी बात पर रोता और जर्रे के बहाने पर हंसता है. अना और मद में जब चूर हो जाए तो इसे भला कौन मना पाए. ऐसी ही तमाम मन-मतंग हरकतों का नतीजा लड़ाइयां होती हैं. वहीं, मनभेद और मतभेद की काली छाया भी पड़ जाती है.

ईटीवी भारत की होली पर खास पेशकश

माहौल चुनावी हो तो मतभेद और मनभेद का अंतर्नाद हर ओर सुनाई देता है. ऐसे मद भरे अंतर्नाद और ऐसी जंग की काली और रक्तरंजित परछाइयों को रंग-तरंग से मतंग हुआ मन दूर करता है. जो साल में एक ही हर तन में चढ़ता है जब देशभर में होली मनायी जाती है. होली के रंगों में छाई रंगीनियां और हवाओं में घुला नशा हर बुरी याद, हर काली छाप, नेस्तोनाबूद, अस्तित्वहीन और बेवजूद कर देता है. यही तो है, हमारी भारतीय संस्कृति का अनमोल पर्व. होली के रंग और सियासी तरंग से सराबोर है ईटीवी की खास पेशकश जोगीरा सा..रा..रा..रा...

पढ़ें : ऐसी होती थी लालू यादव की 'कुर्ता फाड़' होली, विदेशों तक छाया था गंवई अंदाज

हाल ही में, देश के पांच राज्यों में चुनावी अंतर्नाद और सियासी द्वंद्व का अंत हुआ है. लोकतंत्र की पृष्भूमि पर नए दौर का आगाज हुआ है. पांच नदियों के जल से सिंचित पंजाब में झाड़ू की सत्ता है तो यूपी समेत बाकी चार राज्यों में कमल नई अंगड़ाई के साथ खिला है. सियासी रंग-तरंग से लबरेज इस बेला में कांग्रेस के पंजे की छाप कहीं नजर नहीं आ रही है. गांधी परिवार के गढ़ में ही पंजा पंगु बन गया है तो साइकिल दहाड़ के शिखर से पहले ही पंचर हो गई है. ऐसे में पतझड़ के बाद होली की हरियाली नशे की नई खुमारी के साथ हर मन पर छाई हुई है. सियासी रंग-तरंग और होली की मस्ती में राजनीति के गलियारे में भी गूंज रहा है...जोगीरा सारा..रा..रा..रा...सुनिए, स्नेहा केलकर की आवाज में.

नई दिल्ली : राग-द्वेष, रक्तपात, जंग और लड़ाइयां इंसानी फितरत का हिस्सा सदियों से हैं. इंसान जरा-सी बात पर रोता और जर्रे के बहाने पर हंसता है. अना और मद में जब चूर हो जाए तो इसे भला कौन मना पाए. ऐसी ही तमाम मन-मतंग हरकतों का नतीजा लड़ाइयां होती हैं. वहीं, मनभेद और मतभेद की काली छाया भी पड़ जाती है.

ईटीवी भारत की होली पर खास पेशकश

माहौल चुनावी हो तो मतभेद और मनभेद का अंतर्नाद हर ओर सुनाई देता है. ऐसे मद भरे अंतर्नाद और ऐसी जंग की काली और रक्तरंजित परछाइयों को रंग-तरंग से मतंग हुआ मन दूर करता है. जो साल में एक ही हर तन में चढ़ता है जब देशभर में होली मनायी जाती है. होली के रंगों में छाई रंगीनियां और हवाओं में घुला नशा हर बुरी याद, हर काली छाप, नेस्तोनाबूद, अस्तित्वहीन और बेवजूद कर देता है. यही तो है, हमारी भारतीय संस्कृति का अनमोल पर्व. होली के रंग और सियासी तरंग से सराबोर है ईटीवी की खास पेशकश जोगीरा सा..रा..रा..रा...

पढ़ें : ऐसी होती थी लालू यादव की 'कुर्ता फाड़' होली, विदेशों तक छाया था गंवई अंदाज

हाल ही में, देश के पांच राज्यों में चुनावी अंतर्नाद और सियासी द्वंद्व का अंत हुआ है. लोकतंत्र की पृष्भूमि पर नए दौर का आगाज हुआ है. पांच नदियों के जल से सिंचित पंजाब में झाड़ू की सत्ता है तो यूपी समेत बाकी चार राज्यों में कमल नई अंगड़ाई के साथ खिला है. सियासी रंग-तरंग से लबरेज इस बेला में कांग्रेस के पंजे की छाप कहीं नजर नहीं आ रही है. गांधी परिवार के गढ़ में ही पंजा पंगु बन गया है तो साइकिल दहाड़ के शिखर से पहले ही पंचर हो गई है. ऐसे में पतझड़ के बाद होली की हरियाली नशे की नई खुमारी के साथ हर मन पर छाई हुई है. सियासी रंग-तरंग और होली की मस्ती में राजनीति के गलियारे में भी गूंज रहा है...जोगीरा सारा..रा..रा..रा...सुनिए, स्नेहा केलकर की आवाज में.

Last Updated : Mar 17, 2022, 7:41 PM IST
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