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Positive भारत Podcast : कोबरा कमांडो दिगेन्द्र कुमार सिंह ने बदल दी करगिल युद्ध की दिशा

आज के पॅाडकास्ट में कहानी एक ऐसे फौजी की, जिसने करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के 48 फौजी मार गिराए और पाक मेजर अनवर खान का सिर काटकर तिरंगा फहरा दिया था.

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Published : Aug 14, 2021, 9:04 PM IST

नई दिल्ली : करगिल युद्ध को हुए 2 दशक से भी ज्यादा वक्त बीत चुका है, वर्ष 1999 में भारतीय सेना ने पाक के नापाक मंसूबों का मुंहतोड़ जवाब दिया था. मई से जुलाई 1999 के बीच करीब दो माह तक ऑपरेशन विजय के नाम से चले करगिल युद्ध में कई देश के कई वीरों ने अपनी भारत मां के लिए बलिदान दिया था, आज के पॅाडकास्ट में कहानी इंडियन आर्मी के सबसे खतरनाक कोबरा कमांडो में से एक दिगेन्द्र कुमार सिंह की.

राजस्थान के सीकर निवासी दिगेन्द्र कुमार सिंह ने करगिल में अदम्य साहस और वीरता का ऐसा उदाहरण पेश किया, जिस पर हिन्दुस्तान आज भी गर्व करता है. 1999 के करगिल युद्ध में 5 गोलियां लगने के बाद भी दिगेन्द्र कुमार ने पाकिस्तान के 48 फौजी मार गिराए और पाक मेजर अनवर खान का सिर काटकर तिरंगा फहरा दिया. मई 1999 में जम्मू कश्मीर के द्रास सेक्टर में क​रगिल युद्ध स्मारक के ठीक सामने स्थित तोलोलिंग की पहाड़ी को पाक के हजारों सैनिकों ने घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था.

Podcast: कोबरा कमांडो दिगेन्द्र कुमार सिंह की

तोलोगिंग को मुक्त करवाने में भारतीय सेना की 3 यूनिट फेल हो गई थी. एक यूनिट के 18, दूसरी के 22 और तीसरी यूनिट के 28 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. तोलोलिंग पर विजय पाना भारतीय सेना के लिए चुनौती बन गया था. तब भारतीय सेना की सबसे बेहतरीन बटालियन को तोलो​लिंग को मुक्त करवाने की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला लिया गया और 300 किलोमीटर दूर कुपवाड़ा से सिपाहियों की 2 राज रिफ बटालियन को द्रास बुलाया गया, जिसमें दिगेन्द्र कुमार सिंह भी शामिल थे.

2 राज रिफ बटालियन द्रास पहुंचने के बाद आर्मी चीफ ने कमांडर कर्नल रविन्द्र नाथ से सवाल किया कि क्या उसकी बटालियन में कोई ऐसा फौजी है, जो तोलोलिंग की पहाड़ी पर तिरंगा फहरा सके. यह सुनकर हर फौजी सोच में पड़ गया, तभी पीछे से आवाज आई, जय हिंद सर, बेस्ट कमांडो दिगेन्द्र कुमार उर्फ कोबरा. सेना मेडल सर. इससे कमांडर कर्नल का भरोसा बंधा, जिसके बाद 1999 के जून महीने को पूरी चार्ली कम्पनी ने तोलोलिंग पहाड़ी पर चढ़ाई के लिए आसान की बजाय दुर्गम रास्ता चुना, क्योंकि आसान रास्ते से जाने पर चोटी पर बैठे पाक घुसपैठिए उन्हें मार गिरा रहे थे. सिपाही रस्से बांधकर 14 घंटे की मशक्कत के बाद तोलोलिंग की पहाड़ी पर चढ़े.

प्लान के मुताबिक सिपाही जत्थे के 10 कमांडो को कवरिंग फायरिंग करनी थी, लेकिन 12 जून को तोलोलिंग की पहाड़ी पर पहुंचने के बाद ही पाक सैनिकों से आमना-सामना हो गया, लेकिन सिपाही तैयार थे, उन्होंने मुकाबला किया. अफसोस इसमें भारत के 9 कमांडो शहीद हो गए.

जिसके बाद दिगेन्द्र कुमार सिंह ने उनका पहला टैंकर उड़ाया और फिर 11 बंकर धवस्त किए, जिसमें पाक के 48 फौजी मारे गए. 13 जून को पाकिस्तान के मेजर अनवर खान का सिर काटकर दिगेन्द्र कुमार ने उसी की मूंडी पर तोलोलिंग की पहाड़ी पर तिरंगा फहरा दिया. करगिल युद्ध में भारत की यह पहली जीत थी. इसके बाद टाइगर हिल समेत अन्य चोटियों को मुक्त करवाया. 26 जुलाई को युद्ध समाप्त हुआ.

नई दिल्ली : करगिल युद्ध को हुए 2 दशक से भी ज्यादा वक्त बीत चुका है, वर्ष 1999 में भारतीय सेना ने पाक के नापाक मंसूबों का मुंहतोड़ जवाब दिया था. मई से जुलाई 1999 के बीच करीब दो माह तक ऑपरेशन विजय के नाम से चले करगिल युद्ध में कई देश के कई वीरों ने अपनी भारत मां के लिए बलिदान दिया था, आज के पॅाडकास्ट में कहानी इंडियन आर्मी के सबसे खतरनाक कोबरा कमांडो में से एक दिगेन्द्र कुमार सिंह की.

राजस्थान के सीकर निवासी दिगेन्द्र कुमार सिंह ने करगिल में अदम्य साहस और वीरता का ऐसा उदाहरण पेश किया, जिस पर हिन्दुस्तान आज भी गर्व करता है. 1999 के करगिल युद्ध में 5 गोलियां लगने के बाद भी दिगेन्द्र कुमार ने पाकिस्तान के 48 फौजी मार गिराए और पाक मेजर अनवर खान का सिर काटकर तिरंगा फहरा दिया. मई 1999 में जम्मू कश्मीर के द्रास सेक्टर में क​रगिल युद्ध स्मारक के ठीक सामने स्थित तोलोलिंग की पहाड़ी को पाक के हजारों सैनिकों ने घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था.

Podcast: कोबरा कमांडो दिगेन्द्र कुमार सिंह की

तोलोगिंग को मुक्त करवाने में भारतीय सेना की 3 यूनिट फेल हो गई थी. एक यूनिट के 18, दूसरी के 22 और तीसरी यूनिट के 28 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. तोलोलिंग पर विजय पाना भारतीय सेना के लिए चुनौती बन गया था. तब भारतीय सेना की सबसे बेहतरीन बटालियन को तोलो​लिंग को मुक्त करवाने की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला लिया गया और 300 किलोमीटर दूर कुपवाड़ा से सिपाहियों की 2 राज रिफ बटालियन को द्रास बुलाया गया, जिसमें दिगेन्द्र कुमार सिंह भी शामिल थे.

2 राज रिफ बटालियन द्रास पहुंचने के बाद आर्मी चीफ ने कमांडर कर्नल रविन्द्र नाथ से सवाल किया कि क्या उसकी बटालियन में कोई ऐसा फौजी है, जो तोलोलिंग की पहाड़ी पर तिरंगा फहरा सके. यह सुनकर हर फौजी सोच में पड़ गया, तभी पीछे से आवाज आई, जय हिंद सर, बेस्ट कमांडो दिगेन्द्र कुमार उर्फ कोबरा. सेना मेडल सर. इससे कमांडर कर्नल का भरोसा बंधा, जिसके बाद 1999 के जून महीने को पूरी चार्ली कम्पनी ने तोलोलिंग पहाड़ी पर चढ़ाई के लिए आसान की बजाय दुर्गम रास्ता चुना, क्योंकि आसान रास्ते से जाने पर चोटी पर बैठे पाक घुसपैठिए उन्हें मार गिरा रहे थे. सिपाही रस्से बांधकर 14 घंटे की मशक्कत के बाद तोलोलिंग की पहाड़ी पर चढ़े.

प्लान के मुताबिक सिपाही जत्थे के 10 कमांडो को कवरिंग फायरिंग करनी थी, लेकिन 12 जून को तोलोलिंग की पहाड़ी पर पहुंचने के बाद ही पाक सैनिकों से आमना-सामना हो गया, लेकिन सिपाही तैयार थे, उन्होंने मुकाबला किया. अफसोस इसमें भारत के 9 कमांडो शहीद हो गए.

जिसके बाद दिगेन्द्र कुमार सिंह ने उनका पहला टैंकर उड़ाया और फिर 11 बंकर धवस्त किए, जिसमें पाक के 48 फौजी मारे गए. 13 जून को पाकिस्तान के मेजर अनवर खान का सिर काटकर दिगेन्द्र कुमार ने उसी की मूंडी पर तोलोलिंग की पहाड़ी पर तिरंगा फहरा दिया. करगिल युद्ध में भारत की यह पहली जीत थी. इसके बाद टाइगर हिल समेत अन्य चोटियों को मुक्त करवाया. 26 जुलाई को युद्ध समाप्त हुआ.

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