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10 मार्च से शुरू होंगे होलाष्टक, दान-पुण्य से मिलेगा लाभ, जानिए महत्व...

ईटीवी भारत धर्म में आज हम आपक बताएंगे होलाष्टक के विषय में. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनिष व्यास से जानेंगे कि आखिर क्यों मनाते हैं होलाष्टक और क्या हैं उसके धार्मिक महत्व, साथ ही जानेंगे पर किए जाने वाले विशेष उपाय के बारे में.

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10 मार्च से शुरू होंगे होलाष्टक, दान-पुण्य से मिलेगा लाभ, जानिए महत्व
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Published : Mar 5, 2022, 2:24 PM IST

नई दिल्ली: होलिका दहन से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाते हैं जो 10 मार्च से 18 मार्च तक चलेंगे. फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान इन आठ दिनों में शुभ कार्य नहीं किए जाते. लेकिन देवी-देवताओं की आराधना के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं. इन आठ दिनों के मध्य विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान, जमीन, वाहन क्रय और विक्रय आदि निषेध माने गए हैं. वहीं 14 मार्च से सूर्य देव मीन राशि में गोचर करेंगे. सूर्य के मीन राशि में गोचर करने पर भी शुभ कार्य वर्जित रहते हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक होलिका दहन से आठ दिन पहले से लग जाता है. इस बार होलाष्टक 10 मार्च से 18 मार्च तक लगेगा. इस बार होलिका दहन 17 मार्च 2022 को होगा, इसलिए होलाष्टक होली से आठ दिन पहले यानी 10 मार्च 2022 से लग जाएंगे. वहीं इसके अगले दिन यानी कि शुक्रवार 18 मार्च 2022 को होली खेली जाएगी.

हिंदू धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व है. साल की शुरुआत होते ही पहला बड़ा त्योहार होली ही होता है. होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. लेकिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक लग जाता है. होलाष्टक शब्द होली और अष्टक से मिलकर बना है. इसका अर्थ है होली के आठ दिन. देशभर में होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को किया जाता है, पूर्णिमा से आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है. होलाष्टक के आठ दिनों के बीच विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान-वाहन की खरीदारी आदि किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है. हालांकि ये आठ दिन पूजा पाठ के लिहाज से काफी शुभ माने जाते हैं.

दान-पुण्य से मिलेगा लाभ : एक तरफ होलाष्टक में 16 संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है, वहीं यह समय भगवान की भक्ति के लिए भी उत्तम माना जाता है. होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करने का विशेष फल प्राप्त होता है. इस दौरान मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए, ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है और सेहत अच्छी रहती है.

होलाष्टक और इसका धार्मिक महत्व : होलाष्टक होलिका दहन से आठ दिन पहले से लग जाता है. इस बार होलाष्टक 10 मार्च से 18 मार्च तक लगेगा. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है. होलाष्टक के दिन से होली की तैयारी शुरू हो जाती है. ऐसे में होलाष्टक के दौरान लोग शुभ काम नहीं करते और करने से बचते हैं.

क्यों लगता है होलाष्टक : होलाष्टक को लेकर एक कथा प्रचलित है कि असुर राजा हिरण्य कश्यप अपने बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करना चाहता था और इसके लिए उसने इन आठ दिन प्रहलाद को कठिन यातनाएं दी. इसके बाद आठवें दिन बहन होलिका (जिसे आग में न जलने का वरदान था) के गोदी में प्रहलाद को बैठा कर जला दिया. लेकिन फिर भी प्रहलाद बच गए. अत: ऐसे में इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है और कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. होलाष्टक के दौरान सोलह संस्कार सहित सभी शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है. इन दिनों गृह प्रवेश या किसी अन्य भवन में प्रवेश करने की भी मनाही होती है. इतना ही नहीं, नई शादी हुई लड़कियों को ससुराल की पहली होली देखने की भी मनाही होती है.

होलाष्टक पर न करें ये कार्य : फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक लग जाता है. होलाष्टक लगते ही हिंदू धर्म से जुड़े सोलह संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. चाहे कोई नया घर खरीदना हो या कोई नया व्यवसाय शुरू करना हो सभी शुभ कार्य रोक दिये जाते हैं. यदि इस दौरान किसी की मृत्यु हो जाती है तो उनके अंतिम संस्कार के लिए भी शांति कराई जाती है. एक मान्यता के अनुसार किसी भी नविवाहिता को अपने ससुराल की पहली होली नहीं देखनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- Love Horoscope: नए लोगों को कर सकते हैं इम्प्रेस, हो सकती है नए रिश्तों की शुरुआत

होलाष्टक पर करें आराधना : एक तरफ होलाष्टक में 16 संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है, वहीं यह समय भगवान की भक्ति के लिए भी उत्तम माना जाता है. होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करने का विशेष फल प्राप्त होता है. इस दौरान मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए, ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है और सेहत अच्छी रहती है.

होलाष्टक पर करें ये उपाय-

संतान के लिए : यदि किसी कपल को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है तो वह होलाष्टक में लड्डु गोपाल की विधि-विधान से पूजा-पाठ करें. इस दौरान हवन भी करें जिसमें गाय का शुद्ध घी और मिश्री का इस्तेमाल करें. इस उपाय को करने से निसन्तान को भी संतान प्राप्त हो जाती है.

करियर में सफलता के लिए : यदि आप अपने करियर में तरक्की पर तरक्की चाहते हैं तो होलाष्टक में यह उपाय करें. घर या ऑफिस में जौ, तिल और शक्कर से हवन करवाएं. ऐसा कर आपके करियर में आने वाली सभी बाधाएं खत्म हो जाएंगी. आप जिस भी फील्ड में काम स्टार्ट करेंगे उसमें आसानी से सफलता का स्वाद चख सकेंगे.

धन प्राप्ति के लिए : यदि आप आर्थिक रूप से कमजोर हैं या अत्यधिक धन की कामना रखते हैं तो होलाष्टक में यह उपाय जरूर करें. कनेर के फूल, गांठ वाली हल्दी, पीली सरसों और गुड़ के द्वारा अपने घर में हवन करें. ऐसा करने से पैसों से जुड़ी सभी दिक्कतें दूर हो जाएंगी. इतना ही नहीं संपत्ति से जुड़े मामलों में भी लाभ होगा.

अच्छी हेल्थ के लिए : अपनी अच्छी सेहत के लिए आपको होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए. ये जाप करने के बाद गुग्गल से हवन भी करना न भूलें. मान्यता के अनुसार ऐसा करने से असाध्य रोग से मुक्ति प्राप्त होती है.

सुखमय जीवन के लिए : यदि आपके जीवन में अत्यधिक दुख है तो होलाष्टक में हनुमान चालीसा और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना शुरू कर दें. इससे आपके सभी दुख समाप्त हो जाएंगे. जीवन में खुशियां ही खुशियां होंगी. आपकी लाइफ सुख सुविधाओं से सज्जित होगी.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

नई दिल्ली: होलिका दहन से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाते हैं जो 10 मार्च से 18 मार्च तक चलेंगे. फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान इन आठ दिनों में शुभ कार्य नहीं किए जाते. लेकिन देवी-देवताओं की आराधना के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं. इन आठ दिनों के मध्य विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान, जमीन, वाहन क्रय और विक्रय आदि निषेध माने गए हैं. वहीं 14 मार्च से सूर्य देव मीन राशि में गोचर करेंगे. सूर्य के मीन राशि में गोचर करने पर भी शुभ कार्य वर्जित रहते हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक होलिका दहन से आठ दिन पहले से लग जाता है. इस बार होलाष्टक 10 मार्च से 18 मार्च तक लगेगा. इस बार होलिका दहन 17 मार्च 2022 को होगा, इसलिए होलाष्टक होली से आठ दिन पहले यानी 10 मार्च 2022 से लग जाएंगे. वहीं इसके अगले दिन यानी कि शुक्रवार 18 मार्च 2022 को होली खेली जाएगी.

हिंदू धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व है. साल की शुरुआत होते ही पहला बड़ा त्योहार होली ही होता है. होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. लेकिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक लग जाता है. होलाष्टक शब्द होली और अष्टक से मिलकर बना है. इसका अर्थ है होली के आठ दिन. देशभर में होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को किया जाता है, पूर्णिमा से आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है. होलाष्टक के आठ दिनों के बीच विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान-वाहन की खरीदारी आदि किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है. हालांकि ये आठ दिन पूजा पाठ के लिहाज से काफी शुभ माने जाते हैं.

दान-पुण्य से मिलेगा लाभ : एक तरफ होलाष्टक में 16 संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है, वहीं यह समय भगवान की भक्ति के लिए भी उत्तम माना जाता है. होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करने का विशेष फल प्राप्त होता है. इस दौरान मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए, ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है और सेहत अच्छी रहती है.

होलाष्टक और इसका धार्मिक महत्व : होलाष्टक होलिका दहन से आठ दिन पहले से लग जाता है. इस बार होलाष्टक 10 मार्च से 18 मार्च तक लगेगा. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है. होलाष्टक के दिन से होली की तैयारी शुरू हो जाती है. ऐसे में होलाष्टक के दौरान लोग शुभ काम नहीं करते और करने से बचते हैं.

क्यों लगता है होलाष्टक : होलाष्टक को लेकर एक कथा प्रचलित है कि असुर राजा हिरण्य कश्यप अपने बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करना चाहता था और इसके लिए उसने इन आठ दिन प्रहलाद को कठिन यातनाएं दी. इसके बाद आठवें दिन बहन होलिका (जिसे आग में न जलने का वरदान था) के गोदी में प्रहलाद को बैठा कर जला दिया. लेकिन फिर भी प्रहलाद बच गए. अत: ऐसे में इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है और कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. होलाष्टक के दौरान सोलह संस्कार सहित सभी शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है. इन दिनों गृह प्रवेश या किसी अन्य भवन में प्रवेश करने की भी मनाही होती है. इतना ही नहीं, नई शादी हुई लड़कियों को ससुराल की पहली होली देखने की भी मनाही होती है.

होलाष्टक पर न करें ये कार्य : फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक लग जाता है. होलाष्टक लगते ही हिंदू धर्म से जुड़े सोलह संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. चाहे कोई नया घर खरीदना हो या कोई नया व्यवसाय शुरू करना हो सभी शुभ कार्य रोक दिये जाते हैं. यदि इस दौरान किसी की मृत्यु हो जाती है तो उनके अंतिम संस्कार के लिए भी शांति कराई जाती है. एक मान्यता के अनुसार किसी भी नविवाहिता को अपने ससुराल की पहली होली नहीं देखनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- Love Horoscope: नए लोगों को कर सकते हैं इम्प्रेस, हो सकती है नए रिश्तों की शुरुआत

होलाष्टक पर करें आराधना : एक तरफ होलाष्टक में 16 संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है, वहीं यह समय भगवान की भक्ति के लिए भी उत्तम माना जाता है. होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करने का विशेष फल प्राप्त होता है. इस दौरान मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए, ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है और सेहत अच्छी रहती है.

होलाष्टक पर करें ये उपाय-

संतान के लिए : यदि किसी कपल को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है तो वह होलाष्टक में लड्डु गोपाल की विधि-विधान से पूजा-पाठ करें. इस दौरान हवन भी करें जिसमें गाय का शुद्ध घी और मिश्री का इस्तेमाल करें. इस उपाय को करने से निसन्तान को भी संतान प्राप्त हो जाती है.

करियर में सफलता के लिए : यदि आप अपने करियर में तरक्की पर तरक्की चाहते हैं तो होलाष्टक में यह उपाय करें. घर या ऑफिस में जौ, तिल और शक्कर से हवन करवाएं. ऐसा कर आपके करियर में आने वाली सभी बाधाएं खत्म हो जाएंगी. आप जिस भी फील्ड में काम स्टार्ट करेंगे उसमें आसानी से सफलता का स्वाद चख सकेंगे.

धन प्राप्ति के लिए : यदि आप आर्थिक रूप से कमजोर हैं या अत्यधिक धन की कामना रखते हैं तो होलाष्टक में यह उपाय जरूर करें. कनेर के फूल, गांठ वाली हल्दी, पीली सरसों और गुड़ के द्वारा अपने घर में हवन करें. ऐसा करने से पैसों से जुड़ी सभी दिक्कतें दूर हो जाएंगी. इतना ही नहीं संपत्ति से जुड़े मामलों में भी लाभ होगा.

अच्छी हेल्थ के लिए : अपनी अच्छी सेहत के लिए आपको होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए. ये जाप करने के बाद गुग्गल से हवन भी करना न भूलें. मान्यता के अनुसार ऐसा करने से असाध्य रोग से मुक्ति प्राप्त होती है.

सुखमय जीवन के लिए : यदि आपके जीवन में अत्यधिक दुख है तो होलाष्टक में हनुमान चालीसा और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना शुरू कर दें. इससे आपके सभी दुख समाप्त हो जाएंगे. जीवन में खुशियां ही खुशियां होंगी. आपकी लाइफ सुख सुविधाओं से सज्जित होगी.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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