नई दिल्ली: आदि और अंत मात्र दो शब्द नहीं, अस्तित्व की संपूर्ण कहानी है. संसार के सृजन से लेकर ब्रह्मांड के अंत और उसके यथार्थ का सत्व है. इन्हीं के बीच जीव के जन्म और मरण का सम्पूर्ण चक्र सदियों से चलायमान है. जो बिना मां के सदैव ही मर्महीन है. मां जीवन का सार समाहित सत्य है. जो कभी बहन है तो कभी बेटी..कभी पत्नी है..तो कभी बहू...और दादी, नानी ..जीवन का हर मोड़ संबंधों के इन्हीं ख़ूबसूरत अहसास और अस्तित्व से गुलजार है.
नारी के बिना सृजन की कल्पना और जीवन का भान भी असंभव है. नारी के रूप जितने..इसके किरदार भी उतने..दहलीज के अंदर और दहलीज के बाहर किरदार का ऐसा नमूना है नारी..जिसे सही मायनों में इंसान पढ़ सके..आत्मसात कर सके..तो जीवन सफल बन जाए..जमाने में नारी त्याग, कर्म और प्यार की मूरत ही नहीं, यह कामयाबी की प्रतिमूर्ति और सफलता की सच्ची कहानी भी है. जो जीवन के आदर्श और संयम की प्रेरणा भी है.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ईटीवी भारत की शुभकामनाएं...