नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि एक कर्मचारी अपनी पसंद के स्थान पर स्थानांतरण (transfer) के लिए आवेदन नहीं कर सकता है. यह नियोक्ता पर निर्भर करता है कि वह आवश्यकतानुसार अपने कर्मचारी के तबादले पर फैसला ले.
शीर्ष अदालत ने यह बात एक लेक्चरर की याचिका को खारिज करते हुए कही, जिसमें याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के अक्टूबर 2017 में दिये एक आदेश को चुनौती दी थी.
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने उस विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता ने स्वयं को दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण करने की मांग की थी. इस याचिका को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पहले ही हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था.
बता दें कि याचिकाकर्ता उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में बतौर लेक्चरर नियुक्त हुईं हैं. उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा था कि उसने गौतम बुद्ध नगर के एक कॉलेज में अपने स्थानांतरण के लिए एक अभ्यावेदन दिया था और इसे सितंबर 2017 में प्राधिकरण द्वारा खारिज कर दिया गया था.
लेक्चरर के वकील ने 2017 में उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया था कि वह पिछले चार वर्षों से अमरोहा में काम कर रही थी और सरकार की नीति के तहत स्थानांतरण की हकदार है.
पीठ ने आक्षेपित आदेश को ध्यान में रखा, जिसमें कहा गया कि लेक्चरर दिसम्बर 2000 से अगस्त 2013 तक लगभग 13 वर्षों तक गौतम बुद्ध नगर के एक कॉलेज में तैनात थी और इसलिए उनके दोबारा उसी संस्थान में नियुक्ति का अनुरोध तर्कसंगत नहीं था.
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी वर्तमान पोस्टिंग के स्थान पर अपेक्षित वर्ष पूरे कर लिए हैं, तो वह किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरण के लिए अनुरोध कर सकती है, लेकिन उस स्थान पर नहीं जहां उसने पहले से ही 13 वर्षों तक काम किया है.
(पीटीआई)