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Whistle Blower Protection Act: अदालत सरकार को अधिनियम पारित करने का निर्देश नहीं दे सकती-दिल्ली हाईकोर्ट - court can't direct to pass Act: HC

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम (Whistle Blower Protection Act) को लागू करने के लिए केंद्र को निर्देश (Plea Seeking to Direct The Centre) देने के लिए लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है.

Delhi High Court
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Feb 23, 2022, 6:11 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने केंद्र को कानून लागू करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. इस याचिका में व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 (Whistle Blower Protection Act, 2014) को लागू करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की अपील की गई थी. कोर्ट ने कहा कि कानून बनाना संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाने वाला एक संप्रभु कार्य है. कोई अदालत कानून पारित करने के लिए निर्देश जारी नहीं कर सकती है.

'कानून और कुछ नहीं बल्कि लोगों की इच्छा है'

हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य विधानमंडल लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है. कानून बनाना और उसे लागू करना संसद या राज्य विधानमंडल के अधीन है. कानून और कुछ नहीं बल्कि लोगों की इच्छा है. वे (राज्य विधानमंडल) लोगों की इच्छा को बल प्रदान कर रहे हैं. मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि हम संसद के संप्रभु कार्य के लिए नोटिस जारी नहीं कर सकते.

पढ़ें: ऑफलाइन बोर्ड परीक्षा रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

अदालत वर्तमान में गुरु तेग बहादुर अस्पताल में तैनात फ्रंटलाइन कोविड-19 वर्कर वरिष्ठ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मोहम्मद अजाजुर रहमान द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL Filed By Dr Mohammad Ajazur Rahman) पर सुनवाई कर रही थी. इसमें केंद्र को व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम को लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

याचिकाकर्ता के वकील पायल बहल ने कहा कि व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 को लागू नहीं किया गया है. पीठ ने कहा कि संसद द्वारा कानून बनाना और इसे लागू करना विशुद्ध रूप से संप्रभु कार्य है और इसलिए कोई रिट या आदेश या निर्देश जारी नहीं हो सकता है.

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने केंद्र को कानून लागू करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. इस याचिका में व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 (Whistle Blower Protection Act, 2014) को लागू करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की अपील की गई थी. कोर्ट ने कहा कि कानून बनाना संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाने वाला एक संप्रभु कार्य है. कोई अदालत कानून पारित करने के लिए निर्देश जारी नहीं कर सकती है.

'कानून और कुछ नहीं बल्कि लोगों की इच्छा है'

हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य विधानमंडल लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है. कानून बनाना और उसे लागू करना संसद या राज्य विधानमंडल के अधीन है. कानून और कुछ नहीं बल्कि लोगों की इच्छा है. वे (राज्य विधानमंडल) लोगों की इच्छा को बल प्रदान कर रहे हैं. मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि हम संसद के संप्रभु कार्य के लिए नोटिस जारी नहीं कर सकते.

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अदालत वर्तमान में गुरु तेग बहादुर अस्पताल में तैनात फ्रंटलाइन कोविड-19 वर्कर वरिष्ठ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मोहम्मद अजाजुर रहमान द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL Filed By Dr Mohammad Ajazur Rahman) पर सुनवाई कर रही थी. इसमें केंद्र को व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम को लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

याचिकाकर्ता के वकील पायल बहल ने कहा कि व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 को लागू नहीं किया गया है. पीठ ने कहा कि संसद द्वारा कानून बनाना और इसे लागू करना विशुद्ध रूप से संप्रभु कार्य है और इसलिए कोई रिट या आदेश या निर्देश जारी नहीं हो सकता है.

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