नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए की गईं 'पनौती', 'जेबकतरे' और कर्ज माफी संबंधी टिप्पणियों के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुरुवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया. आयोग ने उनसे शनिवार शाम तक जवाब देने को कहा है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटाया था.
बीजेपी ने आयोगा से कहा था कि एक वरिष्ठ नेता द्वारा इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना दुर्भाग्यपूर्ण है. निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी को याद दिलाया कि आदर्श चुनाव आचार संहिता नेताओं को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ असत्यापित आरोप लगाने से रोकती है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राजस्थान में हाल की रैलियों में प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए 'पनौती', 'जेबकतरे' व अन्य टिप्पणियां की थी.
चुनाव आयोग के नोटिस में कहा गया है कि अभिव्यक्ति 'पनौती' पहली नजर में भ्रष्ट आचरण से निपटने के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के निषेध की इक्विटी में आती है. कांग्रेस नेता ने राजस्थान में एक चुनावी भाषण में मोदी के खिलाफ 'पनौती' शब्द का इस्तेमाल किया था, क्योंकि प्रधानमंत्री विश्व कप क्रिकेट फाइनल में शामिल हुए थे, जिसमें भारत टूर्नामेंट में लगातार 10 जीत के बाद ऑस्ट्रेलिया से हार गया था.
एक हिंदी कठबोली, 'पनौती' का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो दुर्भाग्य लाता है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने बुधवार को एक चुनावी भाषण के दौरान मोदी पर 'जेबकतरे' शब्द का कटाक्ष भी किया और आरोप लगाया कि 'प्रधानमंत्री लोगों का ध्यान भटकाते हैं, जबकि उद्योगपति गौतम अडानी उनकी जेबें काटते हैं. इस तरह काम करते हैं जेबकतरे.'
नोटिस में चुनाव आयोग द्वारा जारी एक सामान्य सलाह को भी याद किया गया, जिसमें चुनाव पैनल ने चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक भाषणों के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त की थी. आयोग ने गांधी को सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी के बारे में भी बताया कि यदि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) द्वारा संरक्षित है, प्रतिष्ठा का अधिकार भी अनुच्छेद 21 द्वारा संरक्षित जीवन के अधिकार का एक अभिन्न अंग माना जाता है और इन दोनों अधिकारों को संतुलित करना एक संवैधानिक आवश्यकता है.