नई दिल्ली/नोएडाः जेवर एयरपोर्ट पर अब विमानों की लैंडिंग 30 नवंबर को होगी. पहले विमानों का ट्रायल आज से होना था, लेकिन DGCA ने इसकी मंजूरी नहीं दी. डीजीसीए ने यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड से कहा कि अभी इसकी जरूरत नहीं है. अब सीधे 30 नवंबर को लैंडिंग कराई जाए.
बता दें कि 30 नवंबर से पूरे क्रू मेंबर्स के साथ एयरपोर्ट का ट्रायल फुल मोड में किया जाना है. इससे पहले 15 नवंबर से विमानों की लैंडिंग की टेस्टिंग शुरू होने की सूचना थी. इसमें हर दिन तीन विमानों की लैंडिंग कराई जानी थी. लैंडिंग शुरू होने के बाद हर दिन रनवे की रिपोर्ट तैयार होगी, जिसे नागरिक उड्डयन विभाग को भेजा जाएगा.
ये हो रही है तैयारी
एयरपोर्ट के पहले चरण का संचालन शुरू करने की तैयारी चल रही है. 3900 मीटर लंबा रनवे, एक टर्मिनल बिल्डिंग व एटीसी टावर तैयार किया जा रहा है. रनवे कंप्लीट हो गया है. रनवे के ऊपर से विमान गुजर भी चुके हैं. टर्मिनल बिल्डिंग में फिनिशिंग का काम चल रहा है, जिसे 95 प्रतिशत तक पूरा करने का दावा किया गया है.
जेवर एयरपोर्ट नायल के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने कहा है कि 15 नवंबर से विमानों की लैडिंग की टेस्टिंग शुरू होने की तैयारी थी. अब डीजीसीए ने 30 नवंबर से ही लैंडिंग कराने के लिए कहा है. इसके चलते आज से विमानों की लैंडिंग की टेस्टिंग नहीं की जाएगी. इसके अलावा बाकी तैयारियां फुल स्पीड में जारी रहेंगी. जेवर एयरपोर्ट पर कैट एक और कैट तीन उपकरण स्थापित हो चुके हैं जो कोहरे में विमान की ऊंचाई और दृश्यता की जानकारी देते हैं.
'कार्गो गेटवे बनने के लिए तैयार है'
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड सीईओ, क्रिस्टोफ़ श्नेलमैन ने एक्स पर जारी वीडियो संदेश में कहा है कि एयर इंडिया सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 80 एकड़ से अधिक भूमि पर एक मल्टीमॉडल कार्गो हब विकसित कर रहा है, वो अब लगभग बन कर तैयार है. यह मल्टीमॉडल कार्गो हब यूपी के कृषि क्षेत्रों और नोएडा में बढ़ते मैन्युफैक्चरिंग हब की सेवा करेगा. यह सुविधा सालाना ढाई लाख टन कार्गो को रखने में सक्षम होगी.
मल्टीमॉडल कार्गो हब में एक्सप्रेस कार्गो
मल्टीमॉडल कार्गो हब में एक्सप्रेस कार्गो, सामान्य कार्गो, आयात, निर्यात, खराब होने वाली वस्तुएं, कृषि सामान, बाजार की मांग वाले सभी प्रकार के एयर कार्गो को रखने की क्षमता है. मल्टीमॉडल कार्गो हब जो कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, उससे उद्योग के लिए इंतजार का समय कम हो जाएगा, और यहां उत्तर भारत में मैन्युफैक्चरिंग से लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी आएगी.
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