ETV Bharat / bharat

Ekella Rengav Re: रविंद्र नाथ टैगोर की कविता का छत्तीसगढ़ी वर्जन "एकेल्ला रेंगव रे" की धूम

विश्व प्रसिद्ध रविंद्र नाथ टैगोर की कविता एकला चलो का छतीसगढ़ी वर्जन एकेल्ला रेंगव रे बनाया गया है. रविंद्र नाथ टैगोर की इस कविता को बंगला से छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेशन और प्रोड्यूसर सिंधु शुक्ला ने किया है. इसे छत्तीसगढ़ी में सिंगर देबजानी मुखर्जी ने गाया है. वहीं एकला चलो का छत्तीसगढ़ी वर्जन एकेल्ला रेंगव रे छत्तीसगढ़ की जनता को खूब पसंद आ रहा है.

Ekella Rengav Re
एकेल्ला रेंगव रे
author img

By

Published : May 14, 2023, 5:36 PM IST

एकेल्ला रेंगव रे की खासियत जानिए

रायपुर: छत्तीसगढ़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. ईटीवी भारत समय समय पर ऐसी प्रतिभाओं को आप से रूबरू करवाता है. इसी कड़ी में हम आपको राजधानी के एक प्रोफेसर से मिलवाने जा रहे हैं. जो हिंदी गानों को छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रोड्यूस कर रही हैं. हाल ही में ईटीवी भारत ने इस गाने की प्रोड्यूसर और सिंगर से खास बातचीत की..


सवाल: आपने रविंद्र नाथ टैगोर की कविता एकला चलव रे को छत्तीसगढ़ी भाषा में ट्रांसलेट कर प्रोड्यूस किया है, आपको यह प्रेरणा कैसे मिली?
जवाब: जो अच्छे गाने होते हैं, मैं उन गानों की खोज में रहती हूं और उन्हें छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेट करती हूं. इससे पहले ऑस्कर विनिंग नाटू नाटू गाने को मैंने छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेट कर प्रोड्यूस किया था, जिसे बहुत लोगों ने पसंद किया. उसी क्रम में मुझे तलाश थी एक प्रेरणास्पद गीत की. रविंद्र नाथ टैगोर जी की यह विश्व प्रसिद्ध रचना है. इसका अनुवाद हिंदी और अंग्रेजी भाषा में है, लेकिन अन्य किसी भाषा में नहीं था. इसलिए मुझे लगा कि इसका छत्तीसगढ़ी भाषा में भी अनुवाद होना चाहिए. एकला चलव रे का छत्तीसगढ़ी भाषा में अनुवाद करने के साथ उस गाने को हमने रिकॉर्ड करवाया.


सवाल: हिंदी गानों के छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेशन का सिलसिला कब से शुरू हुआ?
जवाब: छत्तीसगढ़ी मेरी मातृभाषा है. सबसे पहले लगभग 4 से 5 साल पहले मैंने एक हिंदी गाने को छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेट किया था. उस दौरान मैंने ट्रांसलेशन किया और अन्य भाषाओं में गाए गानों को छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेट करना मेरा शौक हो गया. एक के बाद एक मैं गाने ट्रांसलेट करती गई. कई बार ट्रांसलेशन के दौरान मुझे सटीक छत्तीसगढ़ी शब्द नहीं मिलते, तो मैं उसकी तलाश में रहती हूं. क्योंकि छत्तीसगढ़ी मेरी मातृभाषा है, इसलिए मैं गीतों को छत्तीसगढ़ी भाषा में ट्रांसलेट कर पाती हूं.


सवाल: देबजानी मुखर्जी जी, आपने यह गाना गाया है , लोग बहुत पसंद कर रहे हैं ?
जवाब: मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. इतने बड़े साहित्यकार और गीतकार रविंद्र नाथ टैगोर जी की रचना को सिंधु जी ने ट्रांसलेट किया है. यह बहुत मोटिवेशनल कविता है. जब कोई गीत या कविता अपनी भाषा में आ जाती है, तो वह हर किसी को समझ आती है. यह मेरे लिए अचीवमेंट है कि छत्तीसगढ़ के लोग इस गाने को बहुत पसंद कर रहे हैं.

  1. Mothers Day: भावुक लाइन लिखकर सीएम भूपेश ने मां को किया याद
  2. Google Celebrate Mother's day 2023 : गूगल ने इस तरह सेलिब्रेट किया मदर्स डे, बनाया स्पेशल डूडल, देखें तस्वीरें
  3. प्री वेडिंग शूट लड़कियों के भविष्य के लिए खतरनाक: किरणमयी नायक


सवाल: सिंधु शुक्ला जी और देबजानी जी, आप लोगों की मुलाकात कैसे हुई और आपने एकला चलो रे का छत्तीसगढ़ी वर्जन एकेल्ला रेंगव रे बना दिया?
जवाब: सिंधु शुक्ला ने बताया कि "मेरा इनसे परिचय 5 माह पुराना है. हम एक संगीत ग्रुप से जुड़े हुए हैं. देबजानी ने इससे पहले अजीब दस्तां का छत्तीसगढ़ ट्रांसलेशन वर्जन गया है. देबजानी के साथ मुझे कम मेहनत करनी पड़ती है. यह आसानी से धुन पकड़ लेती है, बंग्ला भाषी होने के बावजूद भी ये काफी कुछ शुद्ध छत्तीसगढ़ी भाषा में गा लेती है."


सवाल: आपके आने वाले प्रोजेक्ट कौन कौन से हैं ?
जवाब: ना मुंह छुपा के जियो..., हाल चाल ठीक है जिसे गुलजार साहब ने लिखा है यह दोनों ही पुराने गाने की छत्तीसगढ़ी भाषा में रिकॉर्डिंग हैं, और इसका वीडियो जल्दी मेरे यूट्यूब चैनल पर भी देखने को मिलेगा.


सवाल: सिंधु शुक्ला जी, छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेशन के अलावा क्या आप खुद भी लिखती हैं?
जवाब: मैंने यूथ एंथम, योग और एक राज्यगीत लिखा है. हिंदी भाषा में मैंने भगवान राम और श्री कृष्ण पर गीत लिखे हैं. छत्तीसगढ़ को लेकर मैंने जो गीत लिखा है, उसे सिंगर शान ने गाया है. वह गाना हिंदी में है, लेकिन उसमें एक अंतरा छत्तीसगढ़ी में भी है. उन्होंने इतना मधुर छत्तीसगढ़ी में गाया है कि ऐसा लगता ही नहीं है कि उसे किसी गैर छत्तीसगढ़ी ने गाया है. उस गाने को लिखने से पहले मैंने छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक, भौगोलिक और हर पहलू से छत्तीसगढ़ राज्य पर शोध करके वह शोधपूर्ण गीत लिखा था."


सवाल: सिंधु शुक्ला जी, आप प्रोफेसर हैं और इसके लिए आप समय कैसे निकाल लेते हैं?
जवाब: मैं एग्रीकल्चर कॉलेज में 43 साल से aesthetics in mathematics पढ़ा रही हूँ, इन सभी चीजों के लिए समय निकालना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए जब भी मुझे समय मिलता है. मैं लिखने और ट्रांसलेशन का काम करती हूं.


सवाल: देबजानी मुख़र्जी, आप बांग्ला भाषी हैं और आप अब छत्तीसगढ़ी गाने भी गा रहीं हैं. एक संस्कृति का दूसरे संस्कृति से मिलन आपको कैसा महसूस होता है?
जवाब: मुझे बहुत अच्छा लगता है. मैं छत्तीसगढ़ी और बांग्ला में अंतर स्पष्ट नहीं कर पाती हूं. मुझे ऐसा लगता है कि दोनों की संस्कृति, लाइफ स्टाइल और शब्दकोश मैच करती है. मुझे दिक्कत भी नहीं हुई है. गाना रिकॉर्डिंग के दौरान मैडम ने जो चीजें बताई, मैंने तुरंत समझ कर उसे गाया है. छत्तीसगढ़ी में गाना गाने में मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई.

एकेल्ला रेंगव रे की खासियत जानिए

रायपुर: छत्तीसगढ़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. ईटीवी भारत समय समय पर ऐसी प्रतिभाओं को आप से रूबरू करवाता है. इसी कड़ी में हम आपको राजधानी के एक प्रोफेसर से मिलवाने जा रहे हैं. जो हिंदी गानों को छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रोड्यूस कर रही हैं. हाल ही में ईटीवी भारत ने इस गाने की प्रोड्यूसर और सिंगर से खास बातचीत की..


सवाल: आपने रविंद्र नाथ टैगोर की कविता एकला चलव रे को छत्तीसगढ़ी भाषा में ट्रांसलेट कर प्रोड्यूस किया है, आपको यह प्रेरणा कैसे मिली?
जवाब: जो अच्छे गाने होते हैं, मैं उन गानों की खोज में रहती हूं और उन्हें छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेट करती हूं. इससे पहले ऑस्कर विनिंग नाटू नाटू गाने को मैंने छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेट कर प्रोड्यूस किया था, जिसे बहुत लोगों ने पसंद किया. उसी क्रम में मुझे तलाश थी एक प्रेरणास्पद गीत की. रविंद्र नाथ टैगोर जी की यह विश्व प्रसिद्ध रचना है. इसका अनुवाद हिंदी और अंग्रेजी भाषा में है, लेकिन अन्य किसी भाषा में नहीं था. इसलिए मुझे लगा कि इसका छत्तीसगढ़ी भाषा में भी अनुवाद होना चाहिए. एकला चलव रे का छत्तीसगढ़ी भाषा में अनुवाद करने के साथ उस गाने को हमने रिकॉर्ड करवाया.


सवाल: हिंदी गानों के छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेशन का सिलसिला कब से शुरू हुआ?
जवाब: छत्तीसगढ़ी मेरी मातृभाषा है. सबसे पहले लगभग 4 से 5 साल पहले मैंने एक हिंदी गाने को छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेट किया था. उस दौरान मैंने ट्रांसलेशन किया और अन्य भाषाओं में गाए गानों को छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेट करना मेरा शौक हो गया. एक के बाद एक मैं गाने ट्रांसलेट करती गई. कई बार ट्रांसलेशन के दौरान मुझे सटीक छत्तीसगढ़ी शब्द नहीं मिलते, तो मैं उसकी तलाश में रहती हूं. क्योंकि छत्तीसगढ़ी मेरी मातृभाषा है, इसलिए मैं गीतों को छत्तीसगढ़ी भाषा में ट्रांसलेट कर पाती हूं.


सवाल: देबजानी मुखर्जी जी, आपने यह गाना गाया है , लोग बहुत पसंद कर रहे हैं ?
जवाब: मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. इतने बड़े साहित्यकार और गीतकार रविंद्र नाथ टैगोर जी की रचना को सिंधु जी ने ट्रांसलेट किया है. यह बहुत मोटिवेशनल कविता है. जब कोई गीत या कविता अपनी भाषा में आ जाती है, तो वह हर किसी को समझ आती है. यह मेरे लिए अचीवमेंट है कि छत्तीसगढ़ के लोग इस गाने को बहुत पसंद कर रहे हैं.

  1. Mothers Day: भावुक लाइन लिखकर सीएम भूपेश ने मां को किया याद
  2. Google Celebrate Mother's day 2023 : गूगल ने इस तरह सेलिब्रेट किया मदर्स डे, बनाया स्पेशल डूडल, देखें तस्वीरें
  3. प्री वेडिंग शूट लड़कियों के भविष्य के लिए खतरनाक: किरणमयी नायक


सवाल: सिंधु शुक्ला जी और देबजानी जी, आप लोगों की मुलाकात कैसे हुई और आपने एकला चलो रे का छत्तीसगढ़ी वर्जन एकेल्ला रेंगव रे बना दिया?
जवाब: सिंधु शुक्ला ने बताया कि "मेरा इनसे परिचय 5 माह पुराना है. हम एक संगीत ग्रुप से जुड़े हुए हैं. देबजानी ने इससे पहले अजीब दस्तां का छत्तीसगढ़ ट्रांसलेशन वर्जन गया है. देबजानी के साथ मुझे कम मेहनत करनी पड़ती है. यह आसानी से धुन पकड़ लेती है, बंग्ला भाषी होने के बावजूद भी ये काफी कुछ शुद्ध छत्तीसगढ़ी भाषा में गा लेती है."


सवाल: आपके आने वाले प्रोजेक्ट कौन कौन से हैं ?
जवाब: ना मुंह छुपा के जियो..., हाल चाल ठीक है जिसे गुलजार साहब ने लिखा है यह दोनों ही पुराने गाने की छत्तीसगढ़ी भाषा में रिकॉर्डिंग हैं, और इसका वीडियो जल्दी मेरे यूट्यूब चैनल पर भी देखने को मिलेगा.


सवाल: सिंधु शुक्ला जी, छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेशन के अलावा क्या आप खुद भी लिखती हैं?
जवाब: मैंने यूथ एंथम, योग और एक राज्यगीत लिखा है. हिंदी भाषा में मैंने भगवान राम और श्री कृष्ण पर गीत लिखे हैं. छत्तीसगढ़ को लेकर मैंने जो गीत लिखा है, उसे सिंगर शान ने गाया है. वह गाना हिंदी में है, लेकिन उसमें एक अंतरा छत्तीसगढ़ी में भी है. उन्होंने इतना मधुर छत्तीसगढ़ी में गाया है कि ऐसा लगता ही नहीं है कि उसे किसी गैर छत्तीसगढ़ी ने गाया है. उस गाने को लिखने से पहले मैंने छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक, भौगोलिक और हर पहलू से छत्तीसगढ़ राज्य पर शोध करके वह शोधपूर्ण गीत लिखा था."


सवाल: सिंधु शुक्ला जी, आप प्रोफेसर हैं और इसके लिए आप समय कैसे निकाल लेते हैं?
जवाब: मैं एग्रीकल्चर कॉलेज में 43 साल से aesthetics in mathematics पढ़ा रही हूँ, इन सभी चीजों के लिए समय निकालना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए जब भी मुझे समय मिलता है. मैं लिखने और ट्रांसलेशन का काम करती हूं.


सवाल: देबजानी मुख़र्जी, आप बांग्ला भाषी हैं और आप अब छत्तीसगढ़ी गाने भी गा रहीं हैं. एक संस्कृति का दूसरे संस्कृति से मिलन आपको कैसा महसूस होता है?
जवाब: मुझे बहुत अच्छा लगता है. मैं छत्तीसगढ़ी और बांग्ला में अंतर स्पष्ट नहीं कर पाती हूं. मुझे ऐसा लगता है कि दोनों की संस्कृति, लाइफ स्टाइल और शब्दकोश मैच करती है. मुझे दिक्कत भी नहीं हुई है. गाना रिकॉर्डिंग के दौरान मैडम ने जो चीजें बताई, मैंने तुरंत समझ कर उसे गाया है. छत्तीसगढ़ी में गाना गाने में मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.