पटनाः जमानत पर जेल से छूटने के बाद से लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) दिल्ली में हैं, लेकिन अगले महीने उनके बिहार लौटने की संभावना है. खुद तेजस्वी यादव (RJD Tejasvi Yadav) ने कहा है कि अगले महीने लालू प्रसाद बिहार लौट सकते हैं.
इस संकेत के बाद बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में हलचल तेज हो गई है. बिहार की राजनीति में बड़े उलटफेर की संभावना जताई जा रही है.
स्थापना दिवस में शामिल होंगे लालू
बिहार आने से पहले ही यानि 5 जुलाई को पार्टी के स्थापना दिवस समारोह में लालू यादव दिल्ली से ही वर्चुअल माध्यम से शामिल होंगे. वहीं, इसके बाद जल्द ही वे पटना आ सकते हैं. बता दें कि बीते दिनों ही लालू यादव ने प्रमुख नेताओं के साथ वर्चुअल मीटिंग की थी.
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राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि 'पटना आने के बाद लालू के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी पार्टी के साथ महागठबंधन को एकजुट रखना और कांग्रेस में किसी भी संभावित टूट को टालना होगा. बिहार की सियासत में लालू यादव एक्टिव हों और कोई उठापटक ना हो, यह संभव नहीं है. बिहार आने के बाद निश्चित तौर पर लालू सियासी दांव-पेंच लगाएंगे. सारी संभावनाओं पर विचार किया जा सकता है.'
निश्चित तौर पर प्रभाव पड़ेगा : प्रेमचंद्र मिश्रा
कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा का कहना है कि 'लालू प्रसाद बिहार के सबसे बड़े राजनीतिक दल के अध्यक्ष हैं. विधानसभा में उनकी पार्टी के सबसे ज्यादा विधायक हैं. उन्होंने कई वर्षों तक राज्य के मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री के रूप में काम किया है. एक अनुभवी नेता के बिहार की राजनीति में सक्रिय होने का निश्चित तौर पर प्रभाव पड़ेगा.'
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लालू किसी मसीहा से कम नहीं : राजद नेता
राजद नेता श्याम रजक का कहना है कि 'सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगों के लिए लालू किसी मसीहा से कम नहीं हैं. उनका वापस लौटना हमारे लिए बेहद सुकून भरा और उत्साहजनक है. लालू यादव की उपस्थिति मात्र ही महागठबंधन को एकजुट करने और सबको साथ लेकर आगे बढ़ने में सहायक होगा.'
लालू के आने के बाद संभावनाएं..
- राजद के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट करना.
- सरकार के खिलाफ सियासी पिच तैयार करना.
- कांग्रेस में संभावित टूट को टालना.
- 2024-25 की तैयारियों की रणनीति तय करना.
- जदयू-भाजपा के बीच खटास का फायदा.