रांचीः शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो इस बार भी इंटर का एग्जाम नहीं दे रहे हैं. उन्होंने अपने ही विधानसभा क्षेत्र के नावाडीह इंटर कॉलेज में इंटरमीडिएट आर्ट्स में एडमिशन लिया था, लेकिन इसके 1 महीने के बाद ही गंभीर रूप से कोरोना संक्रमित हो गए थे. जिसके कारण पिछली बार वे एग्जाम का फॉर्म भरने के बाद भी परीक्षा नहीं दे पाए थे. इस बार भी वह पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं जिसके कारण उन्होंने परीक्षा की तैयारी नहीं की. यही वजह है कि उन्होंने इस बार भी इंटर की परीक्षा से दूरी बना ली.
झारखंड के शिक्षा मंत्री जरनाथ महतो भले ही खुद इंटर की परीक्षा में शामिल नहीं हुए हैं लेकिन उन्होंने परीक्षा में शामिल होने वाले इंटर और मैट्रिक के विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी हैं. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि एग्जाम में सिर्फ शामिल होना ही नहीं होता बल्कि उसकी तैयारी भी करनी होती है. उन्होंने कहा कि अभी वे पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं, ऐसे में एग्जाम को लेकर तैयारी नहीं हुई है. जिसके कारण वे इंटर की परीक्षा में शामिल नहीं हो रहे हैं.
जगरनाथ महतो ने कहा कि विभाग की ओर से एग्जाम को लेकर तैयारी पूरी है. उन्होंने कहा कि टॉप करने वाले विद्यार्थियों को जिस तरीके से पिछले बार हमारी सरकार ने पुरस्कार दिया था, इस बार भी पुरस्कार देगी. उन्होंने कहा कि इस बार सरकार पिछली बार से बेहतर पुरस्कार देगी, इसलिए विद्यार्थी मन लगाकर पढ़ें और एग्जाम दें.
शिक्षा मंत्री ने अगस्त 2020 में लिया था एडमिशन: अगस्त 2020 में शिक्षा मंत्री ने अपने विधानसभा क्षेत्र डुमरी स्थित देवी महतो स्मारक इंटर महाविद्यालय नावाडीह में छात्रों के साथ लाइन में लगकर अपना दाखिला कराया था. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने बताया था कि उन्होंने 1995 में नेहरू उच्च विद्यालय तेलो से मैट्रिक की परीक्षा सेकंड डिवीजन से पास किया है. उसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से दसवीं पास शिक्षा मंत्री बोले जाने को उन्होंने चुनौती के रूप में लिया है. विपक्ष के नेताओं को करारा जवाब देने के उद्देश्य से 11वीं में एडमिशन लिया है. उन्होंने कहा कि वह खुद भी पढ़ेंगे और बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का भी काम करेंगे.
कोरोना से हुए थे संक्रमित: इसी बीच वर्ष 2020 के सितंबर महीने में वह कोरोना संक्रमित हुए और उन्हें रिम्स के कोविड-19 वार्ड में भर्ती कराया गया था. लेकिन सांस लेने में तकलीफ होने के बाद बेहतर इलाज के उन्हें राजधानी रांची के ही एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 20 दिनों तक इलाज के बाद भी जब उनकी स्थिति नहीं सुधरी तो चेन्नई स्थित एमजीएम अस्पताल एयरलिफ्ट कर ले जाया गया. कोरोना संक्रमण के कारण उनका फेफड़ा पूरी तरह बर्बाद हो गया था. फिर चिकित्सकों की सलाह और देखरेख पर उनका लंग्स ट्रांसप्लांट करवाया गया.
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सकारात्मक सोच: शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि कोरोना महामारी के कारण पूरे देश के साथ-साथ विश्व प्रभावित है. शिक्षा जगत सबसे ज्यादा प्रभावित दिख रहा है. वहीं, उन्होंने बताया कि वह खुद भी इस महामारी से इस कदर प्रभावित हुए हैं कि वह मौत के मुंह से निकलकर आज सबके बीच हैं. पत्रकारों ने जब उन्हें इंटरमीडिएट में नामांकन का दौर याद दिलाया तो उन्होंने कहा कि इंटरमीडिएट पास करने के उद्देश्य से ही उन्होंने एडमिशन लिया था, लेकिन अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी और पूरा वर्ष बर्बाद हो गया. ऐसे में उन्होंने कहा कि अगर जिंदा रहा तो अगले साल इंटरमीडिएट का परीक्षा भी देंगे और वह पास भी जरूर करेंगे.