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मैसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस लिमिटेड के प्रमोटर व सहयोगी टेंडर घोटाले में गिरफ्तार

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Published : Jan 20, 2021, 7:03 PM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस के संस्थापक और अध्यक्ष श्रीनिवास राजू मंटेना और उनके सहयोगी आदित्य त्रिपाठी को भोपाल के मैसर्स अरनी इंफ्रा को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया है. जानें क्या है पूरा मामला...

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हैदराबाद : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस के संस्थापक और अध्यक्ष श्रीनिवास राजू मंटेना और उनके सहयोगी आदित्य त्रिपाठी को भोपाल के मैसर्स अरनी इंफ्रा को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया है. वे मध्य प्रदेश में ई-टेंडर घोटाले व मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में आरोपी हैं. जहां हैदराबाद की कंपनियों ने बड़ी संख्या में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में काम किया है. उन पर कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और एमपीएसइडी की आईटी सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर ई-टेंडरों के साथ छेड़छाड़ करने और अवैध रूप से बड़ी कीमत पर ठेके प्राप्त करने का आरोप लगा है. आरोपियों को ईडी ने पीएमएलए कोर्ट के सामने पेश किया और उन्हें 3 फरवरी 2021 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

ईडी ने ईओडब्ल्यू भोपाल के एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की है. जहां मेसर्स मैक्स मेंटेना माइक्रो जेवी हैदराबाद, मेसर्स जीवीपीआर इंजीनियर्स लिमिटेड हैदराबाद आदि को इस घोटाले के मुख्य लाभार्थियों के रूप में नामित किया गया है. प्राथमिकी के अनुसार एमपी ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल एमपीएसइडी और एमएस एंट्रेस सिस्ट्म्स लिमिटेड बेंगलुरु द्वारा प्रबंधित किया जाता है और एमएस टाटा कंसलटंसी सर्विसेस (टीसीएस) उन्हें उक्त पोर्टल के रख-रखाव और संचालन के लिए पांच साल के लिए अनुबंध दिया जाता है. ईओडब्ल्यू भोपाल ने पहले ही एक प्रारंभिक चार्जशीट दायर कर दी है और यह आईप एक्सेस लॉग से स्थापित किया गया है कि विनय चौधरी और वरुण चतुर्वेदी के मेसर्स ओस्मो आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ने मेसर्स एंट्रेस द्वारा प्रदान की गई लॉगिन क्रेडेंशियल्स का दुरुपयोग किया था. साथ ही अवैध रूप से एक्सेस और छेड़छाड़ की थी. ई-टेंडर और उन्हें एल1 बनाने के लिए कुछ कंपनियों के बोली मूल्यों को बदल दिया गया. बदले में उन्होंने बोली लगाने वाली कंपनियों से अवैध वसूली की थी. मेसर्स मैक्स मंटेना जेवी हैदराबाद ने गैरकानूनी तरीके से इस तरह से टेंडर नं 10030 का मूल्य 1030 करोड़ रुपये में हासिल किया था. बड़ी संख्या में अन्य निविदाएं भी हैं जो जांच के दायरे में हैं और संदेह है कि उसी तरीके का उपयोग करके इन्हें हासिल किया गया है.

फर्जी कंपनियां बनाकर हुआ खेल

पीएमएलए के तहत जांच के दौरान मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस, मेसर्स मैक्स इन्फ्रा, मेसर्स जीवीपीआर इंजीनियर्स से जुड़े निवास और कार्यालय परिसर में 20 से अधिक स्थानों पर हैदराबाद, भोपाल और बेंगलुरु में तलाशी अभियान चलाया गया. अरनी इन्फ्रा, मेसर्स ओसमो आईटी सॉल्यूशंस, मेसर्स एंट्रेस आदि से बड़ी मात्रा में घटिया दस्तावेज और डिजिटल उपकरणों को जांच के लिए जब्त कर लिया गया. पीएमएलए के तहत विभिन्न हितधारकों के विवरण दर्ज किए गए हैं. मंटेना समूह ने सीधे या फिर हैदराबाद स्थित अन्य कंपनियों के साथ पिछले कुछ वर्षों में सफल बोलियों में एक बड़ा उछाल देखा है. अब तक की जांच में पता चला है कि मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस के संस्थापक और अध्यक्ष श्रीनिवास राजू मंटेना ने पूरे घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अपने मित्र आदित्य त्रिपाठी की सहायता से उन्होंने भोपाल में एक फ्रंट इकाई मेसर्स अरनी इंफ्रा की स्थापना की और इसका इस्तेमाल हवाला गतिविधियों से धन के लिए किया. श्रीनिवास राजू मंटेना और आदित्य त्रिपाठी दोनों ने स्वीकार किया है कि मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस ने आदित्य त्रिपाठी को लगभग 93 करोड़ रुपये मूल्य के कंस्ट्रक्शंस कार्यों में उप-ठेके दिए हैं.

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हिरासत में लेकर हो रही पूछताछ

पीएमएलए के तहत जांच में पता चला है कि मेसर्स अरनी इंफ्रा केवल एक फ्रंट एंटिटी है. जिसे आदित्य त्रिपाठी ने चालाकी से श्रीनिवास राजू मंटेना के द्वारा काल्पनिक कार्य आदेशों को बुक करने, नकदी उत्पन्न करने और ई-टेंडर के साथ छेड़छाड़ सहित रिश्वत देने के लिए तैयार किया है. इससे वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने का कार्य किया गया. मेसर्स अरनी इंफ्रा का कार्यालय एक नई बड़ी इमारत में स्थित है, लेकिन ज्यादातर खाली ही रहता है. यहां के कर्मचारियों में से कोई भी किसी भी तरह के वास्तविक कामों के बारे में नहीं जानता और सिर्फ तालमेल के आधार पर वेतन पर काम कर रहे थे. शुरुआती जांच में मेसर्स ओस्मो आईटी सॉल्यूशंस के आरोपी निदेशकों के साथ मेसर्स मंटेना और इसकी फ्रंट इकाई मेसर्स अरनी इंफ्रा के बीच प्रत्यक्ष, लेकिन घालमेल वाला वित्तीय लेनदेन भी हुआ है, जो पहले से ही ईओडब्ल्यू की हिरासत में हैं. अब ईडी ने आरोपी श्रीनिवास राजू मंटेना और आदित्य त्रिपाठी को मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है. आगे की जांच जारी है.

हैदराबाद : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस के संस्थापक और अध्यक्ष श्रीनिवास राजू मंटेना और उनके सहयोगी आदित्य त्रिपाठी को भोपाल के मैसर्स अरनी इंफ्रा को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया है. वे मध्य प्रदेश में ई-टेंडर घोटाले व मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में आरोपी हैं. जहां हैदराबाद की कंपनियों ने बड़ी संख्या में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में काम किया है. उन पर कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और एमपीएसइडी की आईटी सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर ई-टेंडरों के साथ छेड़छाड़ करने और अवैध रूप से बड़ी कीमत पर ठेके प्राप्त करने का आरोप लगा है. आरोपियों को ईडी ने पीएमएलए कोर्ट के सामने पेश किया और उन्हें 3 फरवरी 2021 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

ईडी ने ईओडब्ल्यू भोपाल के एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की है. जहां मेसर्स मैक्स मेंटेना माइक्रो जेवी हैदराबाद, मेसर्स जीवीपीआर इंजीनियर्स लिमिटेड हैदराबाद आदि को इस घोटाले के मुख्य लाभार्थियों के रूप में नामित किया गया है. प्राथमिकी के अनुसार एमपी ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल एमपीएसइडी और एमएस एंट्रेस सिस्ट्म्स लिमिटेड बेंगलुरु द्वारा प्रबंधित किया जाता है और एमएस टाटा कंसलटंसी सर्विसेस (टीसीएस) उन्हें उक्त पोर्टल के रख-रखाव और संचालन के लिए पांच साल के लिए अनुबंध दिया जाता है. ईओडब्ल्यू भोपाल ने पहले ही एक प्रारंभिक चार्जशीट दायर कर दी है और यह आईप एक्सेस लॉग से स्थापित किया गया है कि विनय चौधरी और वरुण चतुर्वेदी के मेसर्स ओस्मो आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ने मेसर्स एंट्रेस द्वारा प्रदान की गई लॉगिन क्रेडेंशियल्स का दुरुपयोग किया था. साथ ही अवैध रूप से एक्सेस और छेड़छाड़ की थी. ई-टेंडर और उन्हें एल1 बनाने के लिए कुछ कंपनियों के बोली मूल्यों को बदल दिया गया. बदले में उन्होंने बोली लगाने वाली कंपनियों से अवैध वसूली की थी. मेसर्स मैक्स मंटेना जेवी हैदराबाद ने गैरकानूनी तरीके से इस तरह से टेंडर नं 10030 का मूल्य 1030 करोड़ रुपये में हासिल किया था. बड़ी संख्या में अन्य निविदाएं भी हैं जो जांच के दायरे में हैं और संदेह है कि उसी तरीके का उपयोग करके इन्हें हासिल किया गया है.

फर्जी कंपनियां बनाकर हुआ खेल

पीएमएलए के तहत जांच के दौरान मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस, मेसर्स मैक्स इन्फ्रा, मेसर्स जीवीपीआर इंजीनियर्स से जुड़े निवास और कार्यालय परिसर में 20 से अधिक स्थानों पर हैदराबाद, भोपाल और बेंगलुरु में तलाशी अभियान चलाया गया. अरनी इन्फ्रा, मेसर्स ओसमो आईटी सॉल्यूशंस, मेसर्स एंट्रेस आदि से बड़ी मात्रा में घटिया दस्तावेज और डिजिटल उपकरणों को जांच के लिए जब्त कर लिया गया. पीएमएलए के तहत विभिन्न हितधारकों के विवरण दर्ज किए गए हैं. मंटेना समूह ने सीधे या फिर हैदराबाद स्थित अन्य कंपनियों के साथ पिछले कुछ वर्षों में सफल बोलियों में एक बड़ा उछाल देखा है. अब तक की जांच में पता चला है कि मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस के संस्थापक और अध्यक्ष श्रीनिवास राजू मंटेना ने पूरे घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अपने मित्र आदित्य त्रिपाठी की सहायता से उन्होंने भोपाल में एक फ्रंट इकाई मेसर्स अरनी इंफ्रा की स्थापना की और इसका इस्तेमाल हवाला गतिविधियों से धन के लिए किया. श्रीनिवास राजू मंटेना और आदित्य त्रिपाठी दोनों ने स्वीकार किया है कि मेसर्स मंटेना कंस्ट्रक्शंस ने आदित्य त्रिपाठी को लगभग 93 करोड़ रुपये मूल्य के कंस्ट्रक्शंस कार्यों में उप-ठेके दिए हैं.

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हिरासत में लेकर हो रही पूछताछ

पीएमएलए के तहत जांच में पता चला है कि मेसर्स अरनी इंफ्रा केवल एक फ्रंट एंटिटी है. जिसे आदित्य त्रिपाठी ने चालाकी से श्रीनिवास राजू मंटेना के द्वारा काल्पनिक कार्य आदेशों को बुक करने, नकदी उत्पन्न करने और ई-टेंडर के साथ छेड़छाड़ सहित रिश्वत देने के लिए तैयार किया है. इससे वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने का कार्य किया गया. मेसर्स अरनी इंफ्रा का कार्यालय एक नई बड़ी इमारत में स्थित है, लेकिन ज्यादातर खाली ही रहता है. यहां के कर्मचारियों में से कोई भी किसी भी तरह के वास्तविक कामों के बारे में नहीं जानता और सिर्फ तालमेल के आधार पर वेतन पर काम कर रहे थे. शुरुआती जांच में मेसर्स ओस्मो आईटी सॉल्यूशंस के आरोपी निदेशकों के साथ मेसर्स मंटेना और इसकी फ्रंट इकाई मेसर्स अरनी इंफ्रा के बीच प्रत्यक्ष, लेकिन घालमेल वाला वित्तीय लेनदेन भी हुआ है, जो पहले से ही ईओडब्ल्यू की हिरासत में हैं. अब ईडी ने आरोपी श्रीनिवास राजू मंटेना और आदित्य त्रिपाठी को मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है. आगे की जांच जारी है.

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