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उत्तराखंड में फिर डोली धरती, कई शहरों में महसूस हुए भूकंप के झटके

उत्तराखंड में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप का केंद्र ऋषिकेश के पास बताया जा रहा है. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.4 मापी गई है. वहीं, अल्मोड़ा, चमोली, रामनगर और उत्तरकाशी सहित कई दूसरे शहरों में भी भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए हैं.

उत्तराखंड में फिर डोली धरती
उत्तराखंड में फिर डोली धरती
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Published : Nov 12, 2022, 8:06 PM IST

Updated : Nov 12, 2022, 9:54 PM IST

ऋषिकेश: उत्तराखंड में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप का केंद्र ऋषिकेश के पास बताया जा रहा है. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.4 मापी गई है. बता दें कि, बागेश्वर, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, चमोली, श्रीनगर, रुड़की और रामनगर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. इन शहरों में भूकंप की तीव्रता 5.4 मापी गई है.

हिमालयन बेल्ट में फाल्ट लाइन के कारण लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं और भविष्य में इसकी आशंका बनी हुई है. इसी फाल्ट पर मौजूद उत्तराखंड में लंबे समय से बड़ी तीव्रता का भूकंप न आने से यहां बड़ा गैप भी बना हुआ है. इससे हिमालयी क्षेत्र में 6 मैग्नीट्यूड से अधिक के भूकंप के बराबर ऊर्जा एकत्र हो रही है.

अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम के 165 सेंसर: उत्तराखंड में भूकंप जैसी आपदा से निपटने के लिए उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम डेवलप किया गया है. इसके तहत पूरे प्रदेश में 165 सेंसर लगाए गए हैं. इसी सिस्टम के तहत एक एप भी डेवलप किया गया है जो भूकंप आने से कुछ देर पहले ही अलर्ट देता है.

ये भी पढ़ें: Uttarakhand Earthquake: भूकंप एप ने 1 मिनट पहले दिया था अलर्ट, सेंसर ऐसे बचाएगा जान

सेंट्रल सिस्मिक गैप में है उत्तराखंड: उत्तराखंड जिसे सेंट्रल सिस्मिक गैप कहा गया है, उसमें बड़ा भूकंप आ सकता है. इस बात की आशंका वैज्ञानिकों ने जताई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले लंबे समय से हिमालय क्षेत्र के इस हिस्से में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. इस वजह से उत्तर पश्चिमी हिमालय रीजन में जितनी भूकंपीय ऊर्जा भूगर्भ में इकट्ठी हुई है, उसकी केवल 3 से 5 फीसदी ऊर्जा ही बाहर निकल पायी है. यही वजह है कि वैज्ञानिक इस बात की आशंका जता रहे हैं कि भूकंप आ सकता है.

क्यों आता है भूकंपः हिमालय की टेक्टोनिक प्लेटों में होने वाले बदलावों की वजह से यहां झटके लगते रहते हैं. हिमालय के नीचे लगातार हो रही हलचल से धरती पर दबाव बढ़ता है जो भूकंप की शक्ल लेता है. उत्तराखंड रीजन जिसे सेंट्रल सिस्मिक गैप भी कहा गया है, यहां साल 1991 में उत्तरकाशी में 7.0 तीव्रता जबकि 1999 में चमोली में 6.8 रिक्टर स्केल के भूकंप के बाद कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में वैज्ञानिक इस बात का दावा जरूर कर रहे हैं कि इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप आ सकता है, लेकिन कब ये तय नहीं है.

अधिक से अधिक लोग भूकंप एप का करें इस्तेमाल: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन में भूकंप वैज्ञानिक डॉ गिरीश जोशी ने बताया कि विभाग द्वारा विकसित किया गया उत्तराखंड भूकंप एप भूकंप जैसी आपातकालीन स्थिति में बेहद कारगर साबित हो सकता है. उन्होंने बताया कि हम सब को जागरूक होकर इस एप को ज्यादा से ज्यादा अपने मोबाइल में इंस्टॉल करना चाहिए.

लोगों को इस बात को लेकर जागरूक रहना चाहिए कि भूकंप के आने से कुछ भी सेकंड भी पहले भी अगर इसकी जानकारी मिलती है, तो वह कम से कम अपने आप को सुरक्षित कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि मंगलवार देर रात आये भूकंप का एपी सेंटर नेपाल के इलाके में था. यह जमीन के अंदर ज्यादा गहराई में ना होकर मात्र 10 किलोमीटर भीतर था. यही वजह है कि भूकंप के झटके उत्तर भारत के अधिकतर इलाकों में महसूस किए गए.

ऋषिकेश: उत्तराखंड में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप का केंद्र ऋषिकेश के पास बताया जा रहा है. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.4 मापी गई है. बता दें कि, बागेश्वर, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, चमोली, श्रीनगर, रुड़की और रामनगर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. इन शहरों में भूकंप की तीव्रता 5.4 मापी गई है.

हिमालयन बेल्ट में फाल्ट लाइन के कारण लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं और भविष्य में इसकी आशंका बनी हुई है. इसी फाल्ट पर मौजूद उत्तराखंड में लंबे समय से बड़ी तीव्रता का भूकंप न आने से यहां बड़ा गैप भी बना हुआ है. इससे हिमालयी क्षेत्र में 6 मैग्नीट्यूड से अधिक के भूकंप के बराबर ऊर्जा एकत्र हो रही है.

अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम के 165 सेंसर: उत्तराखंड में भूकंप जैसी आपदा से निपटने के लिए उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम डेवलप किया गया है. इसके तहत पूरे प्रदेश में 165 सेंसर लगाए गए हैं. इसी सिस्टम के तहत एक एप भी डेवलप किया गया है जो भूकंप आने से कुछ देर पहले ही अलर्ट देता है.

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सेंट्रल सिस्मिक गैप में है उत्तराखंड: उत्तराखंड जिसे सेंट्रल सिस्मिक गैप कहा गया है, उसमें बड़ा भूकंप आ सकता है. इस बात की आशंका वैज्ञानिकों ने जताई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले लंबे समय से हिमालय क्षेत्र के इस हिस्से में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. इस वजह से उत्तर पश्चिमी हिमालय रीजन में जितनी भूकंपीय ऊर्जा भूगर्भ में इकट्ठी हुई है, उसकी केवल 3 से 5 फीसदी ऊर्जा ही बाहर निकल पायी है. यही वजह है कि वैज्ञानिक इस बात की आशंका जता रहे हैं कि भूकंप आ सकता है.

क्यों आता है भूकंपः हिमालय की टेक्टोनिक प्लेटों में होने वाले बदलावों की वजह से यहां झटके लगते रहते हैं. हिमालय के नीचे लगातार हो रही हलचल से धरती पर दबाव बढ़ता है जो भूकंप की शक्ल लेता है. उत्तराखंड रीजन जिसे सेंट्रल सिस्मिक गैप भी कहा गया है, यहां साल 1991 में उत्तरकाशी में 7.0 तीव्रता जबकि 1999 में चमोली में 6.8 रिक्टर स्केल के भूकंप के बाद कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में वैज्ञानिक इस बात का दावा जरूर कर रहे हैं कि इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप आ सकता है, लेकिन कब ये तय नहीं है.

अधिक से अधिक लोग भूकंप एप का करें इस्तेमाल: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन में भूकंप वैज्ञानिक डॉ गिरीश जोशी ने बताया कि विभाग द्वारा विकसित किया गया उत्तराखंड भूकंप एप भूकंप जैसी आपातकालीन स्थिति में बेहद कारगर साबित हो सकता है. उन्होंने बताया कि हम सब को जागरूक होकर इस एप को ज्यादा से ज्यादा अपने मोबाइल में इंस्टॉल करना चाहिए.

लोगों को इस बात को लेकर जागरूक रहना चाहिए कि भूकंप के आने से कुछ भी सेकंड भी पहले भी अगर इसकी जानकारी मिलती है, तो वह कम से कम अपने आप को सुरक्षित कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि मंगलवार देर रात आये भूकंप का एपी सेंटर नेपाल के इलाके में था. यह जमीन के अंदर ज्यादा गहराई में ना होकर मात्र 10 किलोमीटर भीतर था. यही वजह है कि भूकंप के झटके उत्तर भारत के अधिकतर इलाकों में महसूस किए गए.

Last Updated : Nov 12, 2022, 9:54 PM IST
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