वाशिंगटन: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी छात्रों से कहा कि संगीत में उनकी रुचि और उनके पारिवारिक माहौल के कारण ही वो राजनयिक सेवा में आए. हावर्ड विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रमुख और 2019-2020 ग्लोबल सिटीजन ईयर इंडिया फेलो एंजेल ब्रायन ने जयशंकर और अमेरिका के राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकन से पूछा कि आपकी अंतरराष्ट्रीय संबंधों में क्यों दिलचस्पी थी?" भारतीय विदेश मंत्री ने जवाब में कहा "मुझे दुनिया में दिलचस्पी क्यों होने लगी? शायद संगीत में मेरी रुचि के कारण, जैसा कि आप जानते हैं कि जब आप अपने से परे संगीत सुनते है तब आपके मन में उस संगीत के इतिहास व किस संस्कृति से जुड़ी है आदि आदि सवाल पैदा होते हैं. मुझे लगता है कि इसमें भोजन का हिस्सा बहुत बाद में आता है. जब मैं छोटा था तब भोजन की तुलना में संगीत का खर्च उठाना आसान था. इसके अलावे पारिवारिक माहौल भी थे जो थोड़ा अंतरराष्ट्रीय था. मेरा मतलब है हम शैक्षिक पेशेवर (teaching professionals) आदान-प्रदान (exchange) की बात करते हैं. मेरे पिता यहां रॉकफेलर फैलोशिप पर यहां किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग के लिए यहां आए थे. इसलिए मुझे लगता है माता-पिता का भी थोड़ा सा प्रभाव है.
हॉवर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों से बातचीत में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि उन्होंने जो पहला विदेशी संगीत एल्बम सुना था वह 1959 का अमेरिकी एल्बम द हिटमेकर्स है. जिसे मैं आज भी अपने Spotify में रखता हूं और मैं जब कभी उदास व परेशान होता हूं तब इसे सुनकर अपने मन को शांत करता हूं. एक तरह से मैं 1960, 70 के दशक की बात कर रहा हूं, यह आपको पूर्व-इतिहास की तरह लग सकता है लेकिन यह वास्तव में एक ऐसा समय था जब दुनियाभर में वैश्वीकरण की शुरुआत हो रही थी. मेरा मतलब है कि पर्यटन- लोग विदेश यात्रा करने का विचार, विदेशी को देखने का विचार व अन्य संस्कृतियां को जानने आदि आदि की बात कर रहे थे. वास्तव में आपके स्कूल या विश्वविद्यालय में कुछ विदेशी होते हैं जिसके बारे में जानने की आपमें जबरदस्त उत्साह होती है. मुझे लगता है कि यह उन सभी चीजों का संकलन था.
इसी प्रश्न के जवाब में अमेरिकी सचिव एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि मैं जो कर रहा हूं उसे पूरा करने से पहले मैं अलग-अलग चीजों को आजमाने में कामयाब रहा. यह जानते हुए कि मेरे पास उनमें से किसी के लिए भी कोई विशेष प्रतिभा नहीं थी, मैं जहां हूं वहीं समाप्त हो गया. लेकिन सबसे खास बात यह है कि यदि आपके पास अलग-अलग चीजों को आजमाने का अवसर है, क्योंकि आप यह नहीं समझ सकते कि आप तुरंत क्या करना चाहते हैं.
ब्लिंकन ने कहा कि उनके दादा एक पोग्रोम्स से भाग गए थे, दिलचस्प बात यह है कि आज यूक्रेन पिछली शताब्दी के मोड़ पर वापस लौट आया है. बाद में एक सौतेली माँ जो हंगरी से कम्युनिस्ट भाग गई थी. एक सौतेला पिता जो एकाग्रता शिविरों से बच गया जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा मुक्त कराया गया था. ये कहानियां और अन्य इसका एक बड़ा हिस्सा थे. लेकिन फिर मुझे एक छोटी उम्र में एक अनुभव हासिल हुआ कि हम जिस बारे में बात कर रहे हैं उससे भी जुड़ा हुआ है. वास्तव में एक अमेरिकी के रूप में विदेश में रहने का अनुभव है. जब मैं नौ साल का था तब हम फ्रांस चले गए थे. मैं वहां अपनी माँ और सौतेला पिता के साथ रहता था. वहां मैंने नौ साल अर्थात 9 से 18 साल की उम्र तक फ्रांस में हाई स्कूल की पढ़ाई में बिताया. वह अनुभव वास्तव में विदेश में रहना, अपने देश को दूसरों की नजरों से देखना, एक अलग देश, अलग संस्कृति के लिए अपने स्वयं के नजरिये का विस्तार आदि. निश्चित रूप से फ्रांस, जिसने पूरे यूरोप को यूरेल पास और कुछ अन्य चीजों के साथ दिन में खोल दिया, का गहरा असर उनके मन मस्तिष्क पर हुआ.
ब्लिंकन ने कहा कि सत्तर के दशक में दुनिया में बहुत कुछ चल रहा था जैसा कि वियतनाम युद्ध व शीत युद्ध था व मध्य पूर्व में संघर्ष था. ये सभी विषय स्कूल के डिबेट का हिस्सा हुआ करती थी. क्योंकि अमेरिका किन्ही कारणों से इन चर्चाओं का केंद्र हुआ करता था. तब मैं अपने आप को लगभग एक जूनियर राजनयिक की तरह अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए पाया. बातचीत व चर्चा में अमेरिका का बचाव किया करता था. मुझे लगता है कि इन घटनाओं ने मेरे अंदर वास्तव में विदेश नीति और कूटनीति में दिलचस्पी जगाई. सबसे खास बात यह है कि मैं इन वार्तालापों को करने के लिए अक्सर मैं अवसर ढूंढ़ा करता था.
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पीटीआई