हैदराबाद : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने गुरुवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं को सलाह दी कि वे अपनी सफलता से संतुष्ट न हों बल्कि भगवान राम के आदर्शों का अनुकरण करें. भागवत ने यहां एबीवीपी की तेलंगाना इकाई के नए कार्यालय भवन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही.
उद्घाटन के बाद शाम को यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए भागवत ने एबीवीपी के शीर्ष छात्र संगठन के रूप में उभरने के कठिन दौर को याद किया. उन्होंने कहा कि अन्य छात्र संगठनों के सदस्य पहले एबीवीपी कार्यकर्ताओं का मजाक उड़ाते थे कि संगठन ने देवी सरस्वती की पूजा करने और परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को सम्मानित करने के अलावा कुछ नहीं किया.
संघ प्रमुख ने कहा कि अब यह कहने की किसी की हिम्मत नहीं है. भागवत ने कहा कि जो लोग एबीवीपी को महत्वहीन मानते थे, वे अब संगठन को शीर्ष पर पाते हैं और कड़ी मेहनत के कारण यह बदलाव संभव हुआ है. भागवत ने कहा कि हालांकि एक फायदा कई बार प्रतिकूलता बन जाता है, ऐसे में सतर्क रहने की जरूरत है. समाज में प्रतिष्ठा और विश्वास है, यह एक व्यक्ति और एक संगठन के अहंकार को भी बढ़ा सकता है. यह कहते हुए कि 'हमारा काम' दूसरों से अलग है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख ने कहा कि सफलता एबीवीपी के लिए एक गंतव्य नहीं है, बल्कि केवल एक अस्थायी पड़ाव है.
भागवत ने कहा इतिहास में कई राजा सफल हुए, लेकिन उन्हें बहुत लंबे समय तक याद नहीं किया गया, लेकिन राजा (भगवान राम) जिन्होंने अपने पिता के वादे का सम्मान करने के लिए जंगल में जीवन स्वीकार किया, उन्हें न केवल याद किया जाता है, बल्कि लोग उनके आदर्शों का पालन करने का प्रयास करते हैं. उन्होंने कहा कि भगवान राम नैतिकता का जीवन जीकर मानव जीवन में परिवर्तन लाए. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि राम अभी भी लोगों के विश्वास में जीवित हैं और सीता के बारे में भी यही सच है. भागवत ने कहा कि वह इस तरह के खुशी के मौकों पर उपस्थित होकर खुश हैं. भागवत ने 5 अगस्त, 2020 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास समारोह में शामिल होकर जो खुशी महसूस की, उसे याद किया.
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