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धर्म परिवर्तन विरोधी विधेयक ना लाएं : बेंगलुरु के आर्चबिशप ने मुख्यमंत्री से अपील की - Archbishop of Bangalore

बेंगलुरु के आर्चबिशप पीटर मकाडो ने सोमवार को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से अनुरोध किया कि वह 'धर्म परिवर्तन विरोधी' विधेयक सदन में पेश करने के प्रस्ताव को छोड़ दें. मकाडो ने एक बयान में कहा कि छिट-पुट घटनाओं को लेकर पूरे ईसाई समुदाय की खराब छवि नहीं पेश की जानी चाहिए.

बसवराज बोम्मई
बसवराज बोम्मई
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Published : Oct 25, 2021, 10:05 PM IST

बेंगलुरु : बेंगलुरु के आर्चबिशप पीटर मकाडो ने सोमवार को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से अनुरोध किया कि वह 'धर्म परिवर्तन विरोधी' विधेयक सदन में पेश करने के प्रस्ताव को छोड़ दें. उन्होंने डर जताया कि यह कानून अराजक तत्वों के हाथों में एक हथियार बन जाएगा और इससे राज्य का वातावरण खराब होगा.

उन्होंने दावा किया कि पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने प्रशासन और पुलिस के खुफिया विभाग को धार्मिक लोगों, पूजा स्थलों और सिर्फ ईसाई समुदाय के विभिन्न प्रतिष्ठानों का सर्वेक्षण करने को कहा है. उन्होंने अनुरोध किया कि इस कथित आदेश को वापस लिया जाए।

आर्चबिशप ने कहा, 'कर्नाटक का पूरा ईसाई समुदाय इस प्रस्ताव (धर्म परिवर्तन विरोधी) का एकस्वर में विरोध करता है और ऐसे कानून की जरुरत पर सवाल उठाया जबकि पहले से ही इस संबंध में पर्याप्त कानून और अदालत के निर्देश मौजूद हैं.'

संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा कानून लाने से नागरिकों और विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के अधिकारों का हनन होगा. इसके अलावा यह धर्म परिवर्तन विरोधी विधेयक अराजक तत्वों के लिये कानून अपने हाथ में लेने का औजार बन जाएगा और शांतिपूर्ण राज्य में साम्प्रदायिक अशांति से माहौल खराब हो सकता है.

पढ़ें - जबरन धर्मांतरण का मामला: न्यायालय ने व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही निरस्त की

मकाडो ने एक बयान में कहा कि छिट-पुट घटनाओं को लेकर पूरे ईसाई समुदाय की खराब छवि नहीं पेश की जानी चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

बेंगलुरु : बेंगलुरु के आर्चबिशप पीटर मकाडो ने सोमवार को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से अनुरोध किया कि वह 'धर्म परिवर्तन विरोधी' विधेयक सदन में पेश करने के प्रस्ताव को छोड़ दें. उन्होंने डर जताया कि यह कानून अराजक तत्वों के हाथों में एक हथियार बन जाएगा और इससे राज्य का वातावरण खराब होगा.

उन्होंने दावा किया कि पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने प्रशासन और पुलिस के खुफिया विभाग को धार्मिक लोगों, पूजा स्थलों और सिर्फ ईसाई समुदाय के विभिन्न प्रतिष्ठानों का सर्वेक्षण करने को कहा है. उन्होंने अनुरोध किया कि इस कथित आदेश को वापस लिया जाए।

आर्चबिशप ने कहा, 'कर्नाटक का पूरा ईसाई समुदाय इस प्रस्ताव (धर्म परिवर्तन विरोधी) का एकस्वर में विरोध करता है और ऐसे कानून की जरुरत पर सवाल उठाया जबकि पहले से ही इस संबंध में पर्याप्त कानून और अदालत के निर्देश मौजूद हैं.'

संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा कानून लाने से नागरिकों और विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के अधिकारों का हनन होगा. इसके अलावा यह धर्म परिवर्तन विरोधी विधेयक अराजक तत्वों के लिये कानून अपने हाथ में लेने का औजार बन जाएगा और शांतिपूर्ण राज्य में साम्प्रदायिक अशांति से माहौल खराब हो सकता है.

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मकाडो ने एक बयान में कहा कि छिट-पुट घटनाओं को लेकर पूरे ईसाई समुदाय की खराब छवि नहीं पेश की जानी चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

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