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महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार, पारिवारिक न्यायालय में हजारों केस हैं दर्ज - घरेलू हिंसा के शिकार

अक्सर देखा गया है कि पारिवारिक न्यायालय पति-पत्नी के टूटते रिश्तों को जोड़ने में अहम (Domestic violence cases against men) भूमिका निभाते हैं. इन दिनों पारिवारिक न्यायालय में महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों के साथ घरेलू हिंसा के मामले सामने आए हैं. जिसमें पति ने पत्नी पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 19, 2023, 12:50 PM IST

पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ता सिद्धांत कुमार

लखनऊ : घरेलू हिंसा का जब भी नाम आता तो जहन में ख्याल आता है कि महिलाओं के साथ आए दिन मामले सामने आते हैं लेकिन क्या आपको मालूम है, घरेलू हिंसा के पीड़ितों में महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी हैं. राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित पारिवारिक न्यायालय (Domestic violence cases against men in family court) में रोज ऐसे केस दर्ज होते हैं जिसमें एक पति, पत्नी या उसके परिजनों के द्वारा प्रताड़ित हो रहा है. पति के साथ भी घरेलू हिंसा होती है. जब समाज में यह बात फैलती है तो लोग तमाम तरह की बातें भी करते हैं. पति के घरेलू हिंसा से बचने के लिए कोई भी कड़े नियम नहीं बनाए गए हैं. कोई भी महिला बड़ी ही आसानी से अपनी बात मनवाने के लिए पति को धमकी दे देती है. पारिवारिक न्यायालय में इस तरह के केस भी दर्ज हैं, जिसमें पत्नी अपनी बात मनवाने के लिए पति के ऊपर दबाव बनाती है. यहां तक की पति को उसके माता-पिता, भाई-बहन से बात करने से भी मना करती है. इसके अलावा जब पत्नी की इच्छा इससे भी नहीं भरती है तो वह उल्टा पति और उसके परिजनों पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाकर कई संगीन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करवा देती है.

पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ता सिद्धांत कुमार
पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ता सिद्धांत कुमार

पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया कि 'महिलाओं के लिए घरेलू हिंसा को लेकर कानून बने हुए हैं और उनकी सुरक्षा के लिए हर कोई आगे खड़ा होता है, लेकिन पुरुषों के लिए कानूनी तौर पर कोई भी व्यवस्था नहीं है. उनके लिए घरेलू हिंसा का कोई कानून नहीं बना है. यहां तक की घरेलू हिंसा शब्द का इस्तेमाल जहां पर होता है वहां आमतौर पर महिला की ही इमेज हमारी नजरों में बनती है, जबकि ऐसा नहीं है. 10 में से दो पुरुष घरेलू हिंसा से पीड़ित हैं. मौजूदा समय बहुत सारी एनजीओ पुरुष घरेलू हिंसा को लेकर आवाज उठा रही हैं और इसके लिए कानून बनाने की भी मांग कर रही हैं, ताकि महिलाओं के द्वारा जो पुरुष प्रताड़ित हो रहे हैं, जिनकी जिंदगी तहस-नहस हो गई है, उनको इंसाफ मिल सके.'

पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार (प्रतीकात्मक फोटो)
पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार (प्रतीकात्मक फोटो)



उन्होंने बताया कि 'कभी-कभी कुछ केस ऐसे आते हैं जिसमें देखते हैं कि घरेलू हिंसा पुरुष पर महिला कर रही थीं. उल्टा पुलिस पति और परिवार के अन्य सदस्यों पर दहेज समेत अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्जकर देती है. पहले एफआईआर दर्ज होते ही पति और उसके परिवारवालों को पुलिस गिरफ्तार कर लेती थी, लेकिन अभी ऐसा नहीं हो रहा है. इस मामले में थोड़ा सुधार हुआ है. फिलहाल अभी तुरंत नहीं हो रहा है. मामले की पूरी जांच होती है. कुछ समय का उन्हें टाइम दिया जाता है. उसके बाद उन्हें पुलिस अपनी रिमांड में लेती है. अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कहा कि पुरुषों के हित में कानून बनना चाहिए, क्योंकि इस तरह के बहुत सारे केस आते हैं जिसे हम देखते हैं. बहुत से केस मैंने लड़े भी हैं.'

पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार (प्रतीकात्मक फोटो)
पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार (प्रतीकात्मक फोटो)

'पत्नी करती है हर बात पर गाली गलौज' : गोंडा निवासी युवक ने बताया कि 'साल 2014 में उनकी शादी हुई थी. शुरुआत में बिल्कुल भी पता नहीं चला कि पत्नी का व्यवहार कैसा है. क्योंकि अरेंज मैरिज हुई थी तो ऐसे में एक दूसरे को समझने का भी मौका नहीं मिला था. एक दो महीना बीतते ही पत्नी का असली चेहरा सामने आने लगा. पहले तो छोटी-छोटी बातों पर नोंकझोंक हुआ करती थी, फिर धीरे-धीरे नोकझोंक लड़ाइयों में बदलने लगी. पति के मुताबिक, जब भी लड़ाई होती तो उस समय पत्नी गाली गलौज करने लगती. साल 2014 से अब तक झेलता चला आ रहा हूं. कोविड में चीजें और भी बिगड़ गईं. अब झेल पाना मुश्किल था. 2022 में पारिवारिक न्यायालय में तलाक के लिए अर्जी लगाई. फिलहाल अभी कोर्ट में सुनवाई चल रही है, शायद अगली तारीख में फैसला सुनाया जाए.'

पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार (प्रतीकात्मक फोटो)
पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार (प्रतीकात्मक फोटो)

'जीना हो गया था मुहाल' : लखनऊ निवासी युवक ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि 'एक पत्नी होती है, जो छोटी-छोटी चीजों पर भी खुश हो जाती है. मेरी पत्नी उनमें से नहीं थी. साल 2010 में मेरी शादी हुई थी. मेरे परिवार वालों ने मेरी शादी कराई थी. शुरुआत से पत्नी थोड़ी तेज थी. घर में सुख शांति बने रहने के लिए मैं कई बार चुप रहता था, ताकि माहौल ठीक रहे. मेरी चुप्पी को मेरी कमजोरी समझ लिया गया था. घर पर छोटी-छोटी बातों पर बहस करना, लड़ाई करना और रोज-रोज का ड्रामा हो गया था. ऑफिस से आने के बाद रोज किच-किच सुनना पड़ता था. ऑफिस से आने में अगर 10-15 मिनट कभी लेट हो जाता है तो उस पर भी बवाल हो जाता था. छोटी-छोटी चीज इतना बढ़ती गई कि पता ही नहीं चला कि कब वह मेरे ऊपर हावी होती चली जा रही है.'

पारिवारिक न्यायालय
पारिवारिक न्यायालय

उन्होंने कहा कि 'ऑफिस में कुछ महिलाएं काम करती थीं, उनको लेकर हमेशा मेरे पर शक करना. यहां तक की कई बार उन महिलाओं को फोन करके गालियां भी दे चुकी है, जबकि मेरा उन महिलाओं से कोई ताल्लुक ही नहीं था. वह सभी महिलाएं मेरी सीनियर्स थीं. बार-बार समझाने पर भी उसे उल्टा ही समझना था. साल बीतते चले गए और उसका गुस्सा और नाराजगी इसी तरह से बढ़ती चली गई. साथ रहना मुश्किल हो गया था. कई बार परिवार वालों से बेवजह लड़ जाना. छोटी-छोटी बात पर बवाल करना. घर पर कोई भी काम नहीं करना पड़ता था क्योंकि झाड़ू, पोछा से लेकर खाना बनाने तक के लिए कामवाली लगी हुई है. बावजूद इसके हमेशा न खुश रहना. गाली देना उसकी आदत बन गई थी. जब बर्दाश्त के बाहर होने लगा, उस समय तलाक के लिए पारिवारिक विद्यालय केस दर्ज किया. इस समय पारिवारिक न्यायालय में केस चल रहा है. उन्होंने कहा कि अब मेरा शादी पर से विश्वास ही उठ गया है.'

'मेरे साथ मां को भी देती थी धमकी' : रायबरेली निवासी युवक ने बताया कि 'वर्ष 2019 में मेरी शादी हुई थी. मेरी शादी अरेंज मैरिज थी. परिवार की खुशी में मेरी खुशी थी. शादी के दिन से उसका उखड़ा हुआ व्यवहार था. शायद वह शादी नहीं करना चाहती थी. हमेशा बोलती थी कि यह शादी परिवार के दबाव में आकर उसने की है. वह पिछले आठ साल से किसी लड़की के साथ रिलेशनशिप में थी, यह बात मुझे शादी की रात पता चली. मैंने भी उसके साथ कोई भी संबंध नहीं बनाया. घर पर हमेशा बहुत चिल्लाती थी. कुछ भी काम होता था तो उसे वह अपने मन मुताबिक चाहती थी. यहां तक कि मुझे उसने नहीं अपनाया, लेकिन मेरी पूरी सैलरी वही लेती थी. एक समय तो ऐसा आया जब उसने मुझे मेरे भाई-बहन और मां तक से बात करने के लिए मना किया. मैं धीरे-धीरे अपने परिवार वालों से कटने लगा. वह भी उस पत्नी के लिए जिसे मेरी रत्ती भर भी परवाह नहीं थी. सीधे तौर पर सिर्फ मेरा इस्तेमाल कर रही थी. अपनी बात मनवाने के लिए हर बार मेरी मां और मुझे धमकी देती थी कि दहेज उत्पीड़न व घरेलू हिंसा का केस कर देगी. एक दिन उसने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दीं. उसने मेरी मां को गाली दी. यह बात मुझे बिल्कुल भी गवारा नहीं हुआ. अब मैंने तय कर लिया था कि अब मैं इस लड़की के साथ एक पल नहीं रहूंगा. पारिवारिक न्यायालय में आकर मैंने तलाक की अर्जी लगाई. आज इस केस की सुनवाई हो गई है. मेरा तलाक हो गया है. आज मैं और मेरा पूरा परिवार सुकून की सांस ले रहा है.'

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पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ता सिद्धांत कुमार

लखनऊ : घरेलू हिंसा का जब भी नाम आता तो जहन में ख्याल आता है कि महिलाओं के साथ आए दिन मामले सामने आते हैं लेकिन क्या आपको मालूम है, घरेलू हिंसा के पीड़ितों में महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी हैं. राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित पारिवारिक न्यायालय (Domestic violence cases against men in family court) में रोज ऐसे केस दर्ज होते हैं जिसमें एक पति, पत्नी या उसके परिजनों के द्वारा प्रताड़ित हो रहा है. पति के साथ भी घरेलू हिंसा होती है. जब समाज में यह बात फैलती है तो लोग तमाम तरह की बातें भी करते हैं. पति के घरेलू हिंसा से बचने के लिए कोई भी कड़े नियम नहीं बनाए गए हैं. कोई भी महिला बड़ी ही आसानी से अपनी बात मनवाने के लिए पति को धमकी दे देती है. पारिवारिक न्यायालय में इस तरह के केस भी दर्ज हैं, जिसमें पत्नी अपनी बात मनवाने के लिए पति के ऊपर दबाव बनाती है. यहां तक की पति को उसके माता-पिता, भाई-बहन से बात करने से भी मना करती है. इसके अलावा जब पत्नी की इच्छा इससे भी नहीं भरती है तो वह उल्टा पति और उसके परिजनों पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाकर कई संगीन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करवा देती है.

पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ता सिद्धांत कुमार
पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ता सिद्धांत कुमार

पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया कि 'महिलाओं के लिए घरेलू हिंसा को लेकर कानून बने हुए हैं और उनकी सुरक्षा के लिए हर कोई आगे खड़ा होता है, लेकिन पुरुषों के लिए कानूनी तौर पर कोई भी व्यवस्था नहीं है. उनके लिए घरेलू हिंसा का कोई कानून नहीं बना है. यहां तक की घरेलू हिंसा शब्द का इस्तेमाल जहां पर होता है वहां आमतौर पर महिला की ही इमेज हमारी नजरों में बनती है, जबकि ऐसा नहीं है. 10 में से दो पुरुष घरेलू हिंसा से पीड़ित हैं. मौजूदा समय बहुत सारी एनजीओ पुरुष घरेलू हिंसा को लेकर आवाज उठा रही हैं और इसके लिए कानून बनाने की भी मांग कर रही हैं, ताकि महिलाओं के द्वारा जो पुरुष प्रताड़ित हो रहे हैं, जिनकी जिंदगी तहस-नहस हो गई है, उनको इंसाफ मिल सके.'

पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार (प्रतीकात्मक फोटो)
पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार (प्रतीकात्मक फोटो)



उन्होंने बताया कि 'कभी-कभी कुछ केस ऐसे आते हैं जिसमें देखते हैं कि घरेलू हिंसा पुरुष पर महिला कर रही थीं. उल्टा पुलिस पति और परिवार के अन्य सदस्यों पर दहेज समेत अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्जकर देती है. पहले एफआईआर दर्ज होते ही पति और उसके परिवारवालों को पुलिस गिरफ्तार कर लेती थी, लेकिन अभी ऐसा नहीं हो रहा है. इस मामले में थोड़ा सुधार हुआ है. फिलहाल अभी तुरंत नहीं हो रहा है. मामले की पूरी जांच होती है. कुछ समय का उन्हें टाइम दिया जाता है. उसके बाद उन्हें पुलिस अपनी रिमांड में लेती है. अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कहा कि पुरुषों के हित में कानून बनना चाहिए, क्योंकि इस तरह के बहुत सारे केस आते हैं जिसे हम देखते हैं. बहुत से केस मैंने लड़े भी हैं.'

पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार (प्रतीकात्मक फोटो)
पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार (प्रतीकात्मक फोटो)

'पत्नी करती है हर बात पर गाली गलौज' : गोंडा निवासी युवक ने बताया कि 'साल 2014 में उनकी शादी हुई थी. शुरुआत में बिल्कुल भी पता नहीं चला कि पत्नी का व्यवहार कैसा है. क्योंकि अरेंज मैरिज हुई थी तो ऐसे में एक दूसरे को समझने का भी मौका नहीं मिला था. एक दो महीना बीतते ही पत्नी का असली चेहरा सामने आने लगा. पहले तो छोटी-छोटी बातों पर नोंकझोंक हुआ करती थी, फिर धीरे-धीरे नोकझोंक लड़ाइयों में बदलने लगी. पति के मुताबिक, जब भी लड़ाई होती तो उस समय पत्नी गाली गलौज करने लगती. साल 2014 से अब तक झेलता चला आ रहा हूं. कोविड में चीजें और भी बिगड़ गईं. अब झेल पाना मुश्किल था. 2022 में पारिवारिक न्यायालय में तलाक के लिए अर्जी लगाई. फिलहाल अभी कोर्ट में सुनवाई चल रही है, शायद अगली तारीख में फैसला सुनाया जाए.'

पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार (प्रतीकात्मक फोटो)
पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा के शिकार (प्रतीकात्मक फोटो)

'जीना हो गया था मुहाल' : लखनऊ निवासी युवक ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि 'एक पत्नी होती है, जो छोटी-छोटी चीजों पर भी खुश हो जाती है. मेरी पत्नी उनमें से नहीं थी. साल 2010 में मेरी शादी हुई थी. मेरे परिवार वालों ने मेरी शादी कराई थी. शुरुआत से पत्नी थोड़ी तेज थी. घर में सुख शांति बने रहने के लिए मैं कई बार चुप रहता था, ताकि माहौल ठीक रहे. मेरी चुप्पी को मेरी कमजोरी समझ लिया गया था. घर पर छोटी-छोटी बातों पर बहस करना, लड़ाई करना और रोज-रोज का ड्रामा हो गया था. ऑफिस से आने के बाद रोज किच-किच सुनना पड़ता था. ऑफिस से आने में अगर 10-15 मिनट कभी लेट हो जाता है तो उस पर भी बवाल हो जाता था. छोटी-छोटी चीज इतना बढ़ती गई कि पता ही नहीं चला कि कब वह मेरे ऊपर हावी होती चली जा रही है.'

पारिवारिक न्यायालय
पारिवारिक न्यायालय

उन्होंने कहा कि 'ऑफिस में कुछ महिलाएं काम करती थीं, उनको लेकर हमेशा मेरे पर शक करना. यहां तक की कई बार उन महिलाओं को फोन करके गालियां भी दे चुकी है, जबकि मेरा उन महिलाओं से कोई ताल्लुक ही नहीं था. वह सभी महिलाएं मेरी सीनियर्स थीं. बार-बार समझाने पर भी उसे उल्टा ही समझना था. साल बीतते चले गए और उसका गुस्सा और नाराजगी इसी तरह से बढ़ती चली गई. साथ रहना मुश्किल हो गया था. कई बार परिवार वालों से बेवजह लड़ जाना. छोटी-छोटी बात पर बवाल करना. घर पर कोई भी काम नहीं करना पड़ता था क्योंकि झाड़ू, पोछा से लेकर खाना बनाने तक के लिए कामवाली लगी हुई है. बावजूद इसके हमेशा न खुश रहना. गाली देना उसकी आदत बन गई थी. जब बर्दाश्त के बाहर होने लगा, उस समय तलाक के लिए पारिवारिक विद्यालय केस दर्ज किया. इस समय पारिवारिक न्यायालय में केस चल रहा है. उन्होंने कहा कि अब मेरा शादी पर से विश्वास ही उठ गया है.'

'मेरे साथ मां को भी देती थी धमकी' : रायबरेली निवासी युवक ने बताया कि 'वर्ष 2019 में मेरी शादी हुई थी. मेरी शादी अरेंज मैरिज थी. परिवार की खुशी में मेरी खुशी थी. शादी के दिन से उसका उखड़ा हुआ व्यवहार था. शायद वह शादी नहीं करना चाहती थी. हमेशा बोलती थी कि यह शादी परिवार के दबाव में आकर उसने की है. वह पिछले आठ साल से किसी लड़की के साथ रिलेशनशिप में थी, यह बात मुझे शादी की रात पता चली. मैंने भी उसके साथ कोई भी संबंध नहीं बनाया. घर पर हमेशा बहुत चिल्लाती थी. कुछ भी काम होता था तो उसे वह अपने मन मुताबिक चाहती थी. यहां तक कि मुझे उसने नहीं अपनाया, लेकिन मेरी पूरी सैलरी वही लेती थी. एक समय तो ऐसा आया जब उसने मुझे मेरे भाई-बहन और मां तक से बात करने के लिए मना किया. मैं धीरे-धीरे अपने परिवार वालों से कटने लगा. वह भी उस पत्नी के लिए जिसे मेरी रत्ती भर भी परवाह नहीं थी. सीधे तौर पर सिर्फ मेरा इस्तेमाल कर रही थी. अपनी बात मनवाने के लिए हर बार मेरी मां और मुझे धमकी देती थी कि दहेज उत्पीड़न व घरेलू हिंसा का केस कर देगी. एक दिन उसने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दीं. उसने मेरी मां को गाली दी. यह बात मुझे बिल्कुल भी गवारा नहीं हुआ. अब मैंने तय कर लिया था कि अब मैं इस लड़की के साथ एक पल नहीं रहूंगा. पारिवारिक न्यायालय में आकर मैंने तलाक की अर्जी लगाई. आज इस केस की सुनवाई हो गई है. मेरा तलाक हो गया है. आज मैं और मेरा पूरा परिवार सुकून की सांस ले रहा है.'

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