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अरुणाचल प्रदेश में विधायकों ने मासिक धर्म को कहा 'गंदी चीज', नहीं होने दी चर्चा

अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के कई सदस्यों ने महिलाओं के लिए मासिक धर्म की छुट्टी (menstrual leave to women) के मुद्दे पर सिर्फ चर्चा करने से इनकार कर दिया बल्कि इसे गंदा बताते हुए हंगामा भी किया.

'menstrual leave to women
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Published : Mar 16, 2022, 4:02 PM IST

न्यूज डेस्क : अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा में मेंस्टूअल लीव के मुद्दे पर जमकर विवाद हुआ. भारतीय जनता पार्टी के कई सदस्यों ने महिलाओं के लिए मासिक धर्म की छुट्टी (menstrual leave to women) मुद्दे पर सदन में चर्चा करने से इनकार कर दिया. इन विधायकों ने इसे लिट्रा यानी गंदी चीज बताते हुए टिप्पणी भी की.

अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा में यह विवाद तब शुरू हुआ जब पासीघाट वेस्ट की कांग्रेस सदस्य निनांग एरिंग (Ninong Ering) ने एक प्राइवेट मेंबर बिल रखा. इस बिल में काम करने वाली महिलाओं के लिए मेंस्टूअल लीव की मांग की गई थी. इस बिल में यह प्रस्ताव रखा गया था कि मासिक धर्म शुरू होने के पहले दिन वर्किंग महिलाओं और लड़कियों को छुट्टी जरूर दी जाए.

एरिंग ने जापान, इटली और भारतीय राज्यों जैसे केरल और बिहार का हवाला देते हुए बताया कि इन राज्यों में मासिक धर्म के दौरान छुट्टी का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से मासिक धर्म के पहले दिन की छुट्टी का प्रावधान महिलाओं और लड़कियों को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करेगा. कांग्रेस सदस्य निनांग एरिंग की यह बात भाजपा के कई विधायकों को रास नहीं आई. कोलोरियांग निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक लोकम टेसर ने यहां तक कह डाला कि विधानसभा में चर्चा के लिए मेंस्ट्रूएशन एक गंदी चीज है.

भाजपा के एक अन्य विधायक दोईमुख निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले ताना हाली ने कहा कि निशी प्रथा इस 'अशुद्ध अवधि' के दौरान महिलाओं से मिलने और यहां तक ​​कि पुरुषों के साथ भोजन करने पर भी रोक लगाती है. भाजपा विधायकों के हंगामे के कारण अरुणाचल प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अलो लिबांग ने एरिंग से प्रस्ताव वापस लेने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि इस संबंध में महिला विधायकों और अन्य लोगों के साथ चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा.

अरुणाचल प्रदेश की वूमन्स वेलफेयर सोसायटी (APWWS) ने विधानसभा में मेंस्टूअल लीव के मुद्दे पर हुए हंगामे पर नाराजगी जाहिर की है. सोसायटी की सेक्रेटरी जनरल कनीनडा मेलिंग ने कहा कि विधानसभा के सदस्य लड़कियों और महिलाओं को मेंस्टूअल लीव देने के प्रस्ताव से असहमत हो सकते हैं, मगर उन्हें इस मुद्दे पर महिलाओं की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए था. बायोलॉजिकल प्रक्रिया के बारे में उनकी राय यह जाहिर करता है कि इन विधायकों के मन में महिलाओं के लिए कितनी अज्ञानता और असम्मान है. मेन्स्ट्रूएशन टैबू नहीं है. एक मदर एनजीओ के रूप में, APWWS विधायकों को सलाह देता है कि वे शब्दों के चयन के प्रति अधिक सचेत रहें जो वे विधानसभा में इस्तेमाल करते हैं.

पढ़ें : दक्षिण कश्मीर में मिला दुर्लभ हिरण हंगुल का शव

न्यूज डेस्क : अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा में मेंस्टूअल लीव के मुद्दे पर जमकर विवाद हुआ. भारतीय जनता पार्टी के कई सदस्यों ने महिलाओं के लिए मासिक धर्म की छुट्टी (menstrual leave to women) मुद्दे पर सदन में चर्चा करने से इनकार कर दिया. इन विधायकों ने इसे लिट्रा यानी गंदी चीज बताते हुए टिप्पणी भी की.

अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा में यह विवाद तब शुरू हुआ जब पासीघाट वेस्ट की कांग्रेस सदस्य निनांग एरिंग (Ninong Ering) ने एक प्राइवेट मेंबर बिल रखा. इस बिल में काम करने वाली महिलाओं के लिए मेंस्टूअल लीव की मांग की गई थी. इस बिल में यह प्रस्ताव रखा गया था कि मासिक धर्म शुरू होने के पहले दिन वर्किंग महिलाओं और लड़कियों को छुट्टी जरूर दी जाए.

एरिंग ने जापान, इटली और भारतीय राज्यों जैसे केरल और बिहार का हवाला देते हुए बताया कि इन राज्यों में मासिक धर्म के दौरान छुट्टी का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से मासिक धर्म के पहले दिन की छुट्टी का प्रावधान महिलाओं और लड़कियों को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करेगा. कांग्रेस सदस्य निनांग एरिंग की यह बात भाजपा के कई विधायकों को रास नहीं आई. कोलोरियांग निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक लोकम टेसर ने यहां तक कह डाला कि विधानसभा में चर्चा के लिए मेंस्ट्रूएशन एक गंदी चीज है.

भाजपा के एक अन्य विधायक दोईमुख निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले ताना हाली ने कहा कि निशी प्रथा इस 'अशुद्ध अवधि' के दौरान महिलाओं से मिलने और यहां तक ​​कि पुरुषों के साथ भोजन करने पर भी रोक लगाती है. भाजपा विधायकों के हंगामे के कारण अरुणाचल प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अलो लिबांग ने एरिंग से प्रस्ताव वापस लेने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि इस संबंध में महिला विधायकों और अन्य लोगों के साथ चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा.

अरुणाचल प्रदेश की वूमन्स वेलफेयर सोसायटी (APWWS) ने विधानसभा में मेंस्टूअल लीव के मुद्दे पर हुए हंगामे पर नाराजगी जाहिर की है. सोसायटी की सेक्रेटरी जनरल कनीनडा मेलिंग ने कहा कि विधानसभा के सदस्य लड़कियों और महिलाओं को मेंस्टूअल लीव देने के प्रस्ताव से असहमत हो सकते हैं, मगर उन्हें इस मुद्दे पर महिलाओं की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए था. बायोलॉजिकल प्रक्रिया के बारे में उनकी राय यह जाहिर करता है कि इन विधायकों के मन में महिलाओं के लिए कितनी अज्ञानता और असम्मान है. मेन्स्ट्रूएशन टैबू नहीं है. एक मदर एनजीओ के रूप में, APWWS विधायकों को सलाह देता है कि वे शब्दों के चयन के प्रति अधिक सचेत रहें जो वे विधानसभा में इस्तेमाल करते हैं.

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