भुवनेश्वर : केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Union Minister Dharmendra Pradhan) ने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी एवं संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी (Culture Minister G Kishan Reddy) से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India - ASI) संस्थान को पुरी जिले (Puri district) की रत्नाचिरा घाटी में हाल में सामने आये स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर (Swapneshwar Mahadev Temple) एवं अन्य धरोहर स्मारकों का संरक्षण करने का निर्देश देने का आग्रह किया है.
धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को रेड्डी को लिखे पत्र में कहा, रत्नाचिरा घाटी के स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर और अन्य धरोहर स्मारकों के ऐतिहासिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक-आर्थिक महत्व का ध्यान में रखते हुए, मैं एएसआई को रत्नाचिरा में इस प्राचीन मंदिर के परिरक्षण एवं अन्य धरोहर स्मारकों के भी संरक्षण एवं दस्तावेजीकरण आदि के लिए निर्देश देने के वास्ते आपसे व्यक्तिगत दखल देने का आग्रह करता हूं.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह मंदिर अनुमानत: 1300-1400 साल पुराना है तथा इस क्षेत्र में प्रारंभिक कलिंग स्थापत्य के सर्वश्रेष्ठ परिरक्षित उदाहरणों में एक है.
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इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एवं कल्चरल हेरीटेज (इंटैच) ने पुरी शहर के उत्तर में करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर पिपली क्षत्र के बिरोपुरोषोत्तमपुर में इस मंदिर के भग्नावशेष का पता लगाया था.
इंटैच के दल ने रत्नाचिरा घाटी और उसके स्मारकों के सर्वेक्षण के दौरान इस मंदिर को पाया जो उत्तर गुप्त काल के प्रारंभिक मंदिरों में एक है और छठी-सातवीं सदी का हो सकता है.
प्रधान ने कहा, 'रत्नाचिरा घाटी प्राचीन कलिंग स्मारकों की स्वर्णखान हो सकती है जिनमें से अधिकतर का हाल तक कोई दस्तावेज नहीं है.'
केंद्रीय शिक्षा मंत्री के अनुसार किवंदती है कि भगवान राम ने सीता की प्यास बुझाने के लिए रत्नाचिरा नदी उद्गमित की, उन्होंने इसके लिए उनकी अंगूठी का इस्तेमाल किया.
यह मंदिर स्थानीय रूप से स्वप्नेश्वर महादेव के रूप में श्रद्धा का केंद्र है और भगवान शिव को समर्पित है. उन्होंने कहा, 'मुझे यह जानकर दुख है कि मंदिर बहुत जर्जर स्थिति में है और उसके परिरक्षण के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.
(भाषा)