उन्नाव : अक्सर आपने मौत के बाद तेरहवीं के बारे में सुना होगा, कई बार ऐसे कार्यक्रमों में शामिल भी हुए होंगे, लेकिन उन्नाव के इस अनोखे मामले के बारे में जानकर आप हैरान हुए बिना नहीं रह सकेंगे. दरअसल 59 साल के एक शख्स ने अपने जिंदा रहते ही खुद की तेरहवीं करा डाली. गुरुवार रात हुई इस तेरहवीं में करीब 300 लोगों ने भोजन भी किया. इसमें रिश्तेदारों, ग्रामीणों के अलावा तमाम सगे-संबंधी शामिल हुए. खास बात यह भी है कि ग्रामीण ने 3 साल पहले ही खुद की समाधि भी तैयार करा ली. उसने परिवार से बोल भी दिया है कि जब मरूं तो इसमें दफना देना.
हैरानी भरा यह कदम उठाने वाले शख्स अजगैन कोतवाली क्षेत्र के केवाना गांव के जटाशंकर हैं. उनकी उम्र 59 वर्ष है. अपने जिंदा रहते ही उन्होंने तीन साल पहले ही खेत में अपनी समाधि तैयार कर ली. कुछ सप्ताह पहले ही उन्होंने अपना पिंडदान भी करवा लिया. इसके बाद 13 जून से सभी को तेरहवीं का न्यौता देने के लिए निकल पड़े. गुरुवार की रात को उन्होंने अपनी तेरहवीं भी कर दी. इसमें 300 लोगों ने भोजन किया. इसमें आसपास के गांवों से भी लोग पहुंचे. इस घटना के बाद से हर जुबां पर जटाशंकर के इस कदम के चर्चे हैं.
मुझे अपने शरीर पर भरोसा नहीं : मीडिया के बातचीत में जटाशंकर ने बताया कि सब लोग मरने के बाद तेरहवीं करते हैं, हमने सोचा कि हम अपने जिंदा रहते यह कार्यक्रम कर डाले. मौत से पहले तेरहवीं परंपरा का हिस्सा नहीं है, इस सवाल पर जटाशंकर ने बताया कि मेरे लिए सब अच्छा है. जटाशंकर ने बताया कि उनकी तीन शादी हुई थी. उनके कुल 7 बच्चे हैं. जीते जी तेरहवीं का ख्याल कैसे आया, क्या परिवार और बच्चों पर भरोसा नहीं कि वे तेरहवीं कर देते, इस पर ग्रामीण ने बताया कि मुझे अपने शरीर पर भरोसा नहीं है. इसलिए उन्होंने यह फैसला लिया है. सरकार भी एक उम्र के बाद रिटायरमेंट दे देती है, मुझे भी लगने लगा है कि अब मैं ज्यादा काम लायक नहीं रह गया हूं.
परिवार ने नहीं जताई आपत्ति : अपने जीवित भाई की तेरहवीं में शामिल होने आई जटाशंकर की बहन सत्यभामा ने बताया कि भाई ने उनको न्यौता दिया था तो शामिल होने के लिए आईं हैं. सभी लोग आए हैं. जटाशंकर के भांजे कन्हैया लाल ने बताया कि आज उनके मामा की तेरहवीं है, वह जिंदा हैं. उनकी इच्छा है तो अपने जीते जी इसे कर रहे हैं. इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है.
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