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जम्मू-कश्मीर : जेल में बंद रोहिंग्या शरणार्थियों को रिहा करने की मांग - रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को रिहा करने की मांग

कठुआ जिले की हीरा नगर जेल में बंद रोहिंग्या महिला की मौत के बाद से उनके रिश्तेदारों ने चिंता जताई है. इन लोगों ने जेल में बंद रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को रिहा करने की मांग की है.

रोहिंग्या शरणार्थियों को रिहा करने की मांग
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Published : Jun 8, 2021, 4:55 PM IST

जम्मू: जम्मू-कश्मीर में अवैध रूप से रहने के आरोप में कुछ महीने पहले 220 रोहिंग्या शरणार्थियों को कठुआ जिले की हीरा नगर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां कल नूर इस्सा नाम की 64 वर्षीय महिला की मृत्यु हो गई. इसके बाद से रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों में चिंता की लहर है.

मृतक महिला के करीबी रिश्तेदारों ने 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए कहा कि जिस तरह से हीरा नगर जेल में महिला की मौत हुई है, उससे हमारे बीच असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है. उन्होंने प्रशासन से शव परिवार को सौंपने की अपील की ताकि उनका अंतिम संस्कार धार्मिक रीति-रिवाज के साथ किया जा सके.

मृतक के एक करीबी रिश्तेदार मोहम्मद तुफैल ने कहा, 'हम नहीं जानते कि नूर इस्सा की मृत्यु कैसे हुई, जबकि हीरा नगर जेल में अधिकांश रोहिंग्या शरणार्थी बुजुर्ग हैं और हम नहीं चाहते कि वे उसी तरह मरें.'

पढ़ें- जम्मू-कश्मीर के इस गांव में सभी बुजुर्गाें काे लग चुका है काेराेना का टीका

उन्होंने कहा कि हमारे निर्दोष बुजुर्गों को जेल में नहीं मरना चाहिए. उन्होंने कहा कि जैसे बर्मा में उन्हें सताया गया और अब हमें यहां भी परेशानी में डाला जा रहा है. उन्होंने हीरा नगर जेल में बंद 220 शरणार्थियों को रिहा करने की मांग की.

जम्मू: जम्मू-कश्मीर में अवैध रूप से रहने के आरोप में कुछ महीने पहले 220 रोहिंग्या शरणार्थियों को कठुआ जिले की हीरा नगर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां कल नूर इस्सा नाम की 64 वर्षीय महिला की मृत्यु हो गई. इसके बाद से रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों में चिंता की लहर है.

मृतक महिला के करीबी रिश्तेदारों ने 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए कहा कि जिस तरह से हीरा नगर जेल में महिला की मौत हुई है, उससे हमारे बीच असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है. उन्होंने प्रशासन से शव परिवार को सौंपने की अपील की ताकि उनका अंतिम संस्कार धार्मिक रीति-रिवाज के साथ किया जा सके.

मृतक के एक करीबी रिश्तेदार मोहम्मद तुफैल ने कहा, 'हम नहीं जानते कि नूर इस्सा की मृत्यु कैसे हुई, जबकि हीरा नगर जेल में अधिकांश रोहिंग्या शरणार्थी बुजुर्ग हैं और हम नहीं चाहते कि वे उसी तरह मरें.'

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उन्होंने कहा कि हमारे निर्दोष बुजुर्गों को जेल में नहीं मरना चाहिए. उन्होंने कहा कि जैसे बर्मा में उन्हें सताया गया और अब हमें यहां भी परेशानी में डाला जा रहा है. उन्होंने हीरा नगर जेल में बंद 220 शरणार्थियों को रिहा करने की मांग की.

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