देहरादून: हिन्दुस्तान को हिन्दू राष्ट्र बनाए जाने की मांग समय-समय पर उठती रही है. साल 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से ही कई बार हिन्दू राष्ट्र को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. पिछले दिनों बागेश्वर धाम बाबा धीरेंद्र शास्त्री के हिन्दू राष्ट्र की मांग से देश की राजनीति गर्म हो गई. वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी कहा कि भारत हिन्दू राष्ट्र है और यहां रहने वाले सभी हिन्दू हैं. जिसको लेकर काफी सियासी बवाल मचा था. अब देवभूमि में हिन्दू बोर्ड की मांग जोर पकड़ने लगी है. जिसको लेकर उत्तराखंड में सियासी बयानबाजी का दौर शुरू हो चुका है.
उत्तराखंड में हिन्दू बोर्ड की मांग: देवभूमि में भी वक्फ बोर्ड की तर्ज पर हिन्दू बोर्ड बनाए जाने की मांग उठने लगी है. दरअसल, वाराणसी में मंदिर पक्ष का मुकदमा लड़ रहे सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने वक्फ बोर्ड की तरह ही मंदिरों के संरक्षण के लिए हिंदू बोर्ड के गठन को लेकर सवाल उठाया था. जिसके बाद से ही हिंदू बोर्ड के गठन की मांग उठने लगी है. हिन्दू संगठनों से जुड़े तमाम संगठन, जहां पहले से ही हिंदू राष्ट्र बनाए जाने की मांग कर रहे थे.
विष्णु जैन की मांग ने पकड़ा जोर: सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन के हिन्दू बोर्ड बनाने की मांग का मुद्दे को लेकर अब उत्तराखंड के तमाम हिन्दू संगठनों ने हिन्दू बोर्ड को लेकर आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है. उत्तराखंड में हजारों पौराणिक मंदिर हैं. यही नहीं, चारधाम सहित कई ऐसे पौराणिक मंदिर हैं, जिसकी विश्व स्तर पर बड़ी मान्यता है. ऐसे में उत्तराखंड के लिहाज से हिंदू बोर्ड महत्वपूर्ण तो साबित हो सकता है, लेकिन इसे लागू करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगी.
मुगलों ने मंदिर-मठों का किया ध्वस्त: भारत में मुगल आक्रांताओं ने मंदिर और मठों पर कब्जा कर सनातन धर्म को नष्ट करने का काम किया था. इन आक्रांताओं ने सनातन धर्म के आस्था के केंद्र रहे न जाने कितने ही मंदिर और मठों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण कराया. जिसकी वजह से वर्तमान में भी मंदिरों और मस्जिद के अस्तित्व को लेकर विवाद होता है और कई मामले तो कोर्ट में चल रहे हैं.
अयोध्या राम मंदिर का रास्ता साफ: हाल ही में लंबे समय के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ हुआ. वहीं, काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. वहीं, भाजपा समेत तमाम हिन्दू संगठनों की ने यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अब अगली बारी मथुरा की है. देश में हिन्दू राष्ट्र और हिन्दू बोर्ड की मांग समय-समय पर उठती रही है. वहीं, अब उत्तराखंड में भी हिन्दू बोर्ड की मांग जोर पकड़ने लगी है.
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हिन्दू संगठनों ने भी उठाई मांग: हिन्दू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद हिंदुस्तानी ने कहा हिन्दू राष्ट्र के लिए, हिन्दू बोर्ड का गठन होना अति आवश्यक है. उन्होंने कहा जिस तरह से मुस्लिम बोर्ड, अपने समाज के लिए काम करता है, उनको सरकारी सहायता मुहैया कराता है. उसी तरह हिंदू बोर्ड का गठन होना अत्यंत आवश्यक हैं. जिससे हिन्दू समाज को इससे बड़ा फायदा पहुंचेगा.
प्रेमचंद भी हिन्दू बोर्ड के पक्षधर: वहीं, उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल भी हिन्दू बोर्ड बनाए जाने के पक्ष में नजर आ रहे हैं. अग्रवाल ने कहा यह अधिवक्ता जैन का व्यक्तिगत बयान है, लेकिन इस पर विस्तृत अध्ययन होनी चाहिए. क्योंकि सवाल इस बात का भी है कि कैसे सभी को एकजुट करके उनको विश्वास दिला सके, लिहाजा इस विषय पर विस्तृत अध्ययन होनी चाहिए.
हिन्दू बोर्ड पर सरकार करेगी विचार: हिन्दू बोर्ड की मांग के सवाल पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा लोगो की अपेक्षाएं उत्तराखंड से ज्यादा है. हमने उत्तराखंड में धर्मांतरण विरोधी कानून, नकल विरोधी कानून और भू-कानून लाया है. जिसके चलते लोगों की अपेक्षाएं बढ़ रही है. कोई भी व्यक्ति अपनी बात को रख सकता है. लिहाजा संगठन स्तर पर विचार करेंगे. भट्ट ने कहा समाज के अंदर से जो भी विचार आते हैं, उस पर सरकार को विचार करना होता हैं और फिर निर्णय लिए जाते हैं.
विपक्ष ने सरकार को घेरा: वहीं, हिन्दू बोर्ड के गठन की मांग पर उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा वर्तमान समय में विकास, रोजगार, महंगाई पर नियंत्रण करने की जरूरत है. जब तक ये सब नहीं होगा, तब तक किसी भी चीज से कुछ नहीं होने वाला. आज जरूरी है कि संविधान का पालन सही ढंग से होना चाहिए, ना कि सरकार की कठपुतली बनकर होना चाहिए. देश में बहुत से ज्वलनशील मुद्दे हैं, उन मुद्दों का हल निकालना चाहिए.
बता दें कि वक्फ बोर्ड का गठन आजादी के बाद किया गया था. दरअसल, धर्म के आधार पर हिंदुस्तान से अलग होकर इस्लामिक देश पाकिस्तान बना, उस समय बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी अचल संपत्तियों को छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे. लिहाजा, इन संपत्तियों के नियमन के लिए वक्फ बोर्ड का गठन 1964 में किया गया. इससे पहले साल 1954 में वक्फ एक्ट लाया गया था. जिसके आधार पर बोर्ड का गठन किया गया था. वर्तमान समय में भी वक्फ बोर्ड के जरिए मुस्लिम समुदाय के लिए कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं.