गुवाहाटी : असम जातीय परिषद (एजेपी) ने मंगलवार को राज्य में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत लाभार्थियों के चयन में अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग की.
एजेपी ने आरोप लगाया कि राज्य के कृषि मंत्री ने खुद विधानसभा में अनियमितताओं को स्वीकार किया है, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने जांच का आदेश नहीं दिया क्योंकि अपात्र लाभार्थी भाजपा और उसकी सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) के कार्यकर्ता और समर्थक थे.
मामला पिछले साल मई में सामने आया था.
एजेपी उपाध्यक्ष सोमेश्वर सिंह ने कहा, सरकार आरोपों पर कार्रवाई करने में विफल रही है. इसके बजाय, वह केवल अपात्र लाभार्थियों से उनके द्वारा प्राप्त धन को वापस करने का आग्रह करके घोटाले से पल्ला डाड़ रही है.
देश में एक दिसंबर 2018 से चालू प्रधानमंत्री-किसान योजना के तहत किसानों को हर साल 2,000 रुपये की तीन समान किस्तों के रूप में 6,000 रुपये मिलते हैं. योजना की आठवीं किस्त इस साल मई में जारी की गई थी.
कृषि मंत्री अतुल बोरा ने सितंबर 2020 में विधानसभा में कहा था कि राज्य में योजना के तहत 39.39 लाख से अधिक मूल आवेदकों में से 9,39,146 अपात्र लाभार्थियों की पहचान की गई है. बैंक खाते के विवरण में विसंगतियों सहित तकनीकी आधार पर बाहर किये जाने के बाद पात्र लोगों की संख्या घटकर 18.67 लाख हो गई.
एजीपी अध्यक्ष बोरा को मौजूदा गठबंधन सरकार में भी वही प्रभार मिला है जो पिछली सरकार में उनके पास था. मई 2021 में नई सरकार गठित हुई.
सिंह ने दावा किया कि मंत्री ने अपात्र लाभार्थियों से पैसे वापस करने की अपील की थी, जब पिछले साल अनियमितताओं का पता चला था, जिस पर केवल 819 लोगों की प्रतिक्रिया मिली.
उन्होंने आरोप लगाया कि अनियमितताओं के सामने आने के बाद भी किस्त का भुगतान किया गया था. उन्होंने आरोप लगाया, पिछले साल मामला सामने आने के बाद भी इस तरह के घोटाले की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए विभाग या सरकार कोई उपाय करने में विफल रही.
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सिंह ने कहा, भाजपा और एजीपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को योजना के तहत पैसा मिल रहा है. इसलिए, कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है.
उन्होंने दावा किया कि वास्तविक किसान इसके कारण लाभ से वंचित हैं, खासकर जब वे बार-बार लॉकडाउन के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं.
एजेपी नेता ने कहा, हम पूरे मामले की जड़ तक पहुंचने के लिए सीबीआई जांच की मांग करते हैं.
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की थी जब यह पहली बार मई 2020 में सामने आया था.
तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भी स्वीकार किया था कि विसंगतियां हुई हैं. पिछले साल कम से कम तीन कृषि विभाग के अधिकारियों को अनियमितताओं में उनकी कथित भूमिका के लिए निलंबित कर दिया गया था.
(पीटीआई-भाषा)