नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के (russia ukraine war) बीच 12 दिनों से चल रहे महायुद्ध को लेकर पूरी दुनिया में टेंशन है. भारतीय छात्र बड़ी मुश्किल से वहां से निकल पा रहे हैं. दिल्ली लौटीं ज़ैनब और कुलसुम ने बताया कि वहां के जो हालात थे, उसमें उम्मीद नहीं थी कि वह बच पाएंगी. उन्होंने बताया कि सैनिक हथियारों के साथ सड़कों पर गश्त कर रहे थे. हमें फोन के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था और हमें पैदल ही यात्रा करनी पड़ी.
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है और साथ ही भारतीय छात्र मेट्रो, बस और रेल द्वारा यूक्रेन की सीमा तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं और वहां से उन्हें भारतीय दूतावास भारत भेज रहा है. दोनों देशों के बीच जारी जंग के दौरान सरकार ने भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए चार मंत्रियों को पड़ोसी देशों में भेजा है ताकि ऑपरेशन गंगा के तहत छात्रों को भारत वापस लाया जा सके. एक एडवाइजरी भी जारी की गई थी कि छात्रों को पड़ोसी देशों की सीमाओं पर जाना चाहिए और फिर भारत सरकार उन्हें देश वापस लाएगी.
'ईटीवी भारत' ने दो मुस्लिम छात्राओं से बात की. उन्होंने बताया कि वे रोमानियाई सीमा पर कैसे पहुंचे और यात्रा के दौरान उन्हें किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. ज़ैनब और कुलसुम ने कहा कि उन्होंने हॉस्टल के बेसमेंट में सात दिन बिताए. जहां दिन में सिर्फ एक बार खाना मिलता था. उन्होंने कहा, हमने इंतजार किया कि हालात सुधर जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
ज़ैनब और कुलसुम ने बताया कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वह बच पाएंगी, हर जगह तबाही वाले दृश्य थे. सैनिकों सड़कों पर गश्त कर रहे थे. हमें फोन इस्तेमाल करने से रोक दिया था. हमें पैदल ही यात्रा करनी पड़ी.
ज़ैनब और कुलसुम ने बताया कि कई घंटों की यात्रा के बाद जब हम रोमानियाई सीमा पर पहुंचे, तो हमें वहां एक चर्च में शरण मिली. वहां से हमने भारतीय दूतावास से संपर्क किया, जिसके बाद दिल्ली के लिए रवाना किया गया.
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