नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने सोमवार को एक बोडो छात्र संगठन के 250 से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया. इन कार्यकर्ताओं ने 'बोडोलैंड राज्य' की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था. बोडो नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन (जिसका गठन इस साल फरवरी में किया गया था) के नेता ने यह दावा किया कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और बोडो प्रतिनिधियों के बीच हस्ताक्षरित बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) समझौता, उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं था.
संगठन के महासचिव हेम चंद्र ब्रह्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन समझौता तो किया गया, लेकिन यह हमारी आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं था. बोडो जनजातियों के राजनीतिक आत्मनिर्णय और भूमि अधिकारों के साथ न केवल भेदभाव किया जा रहा है, बल्कि उनकी उपेक्षा भी की जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि पहले दिल्ली पुलिस ने हमें विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की अनुमति दी थी, लेकिन बाद में पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और हम सभी को हिरासत में ले लिया. बता दें कि विरोध प्रदर्शन स्थल जंतर मंतर था, जो संसद से कुछ ही दूरी पर स्थित है.
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इससे पहले बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद के प्रमुख प्रमोद बोरो ने कहा था कि बोडोलैंड राज्य की मांग बोडो शांति समझौते के साथ समाप्त हो गई थी. समझौते पर 27 जनवरी, 2020 को हस्ताक्षर किए गए थे और असम में जनजातीय क्षेत्रों और ब्लॉकों की सुरक्षा में राज्य सरकार की विफलता के विरोध में बोडो नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा छह घंटे लंबा प्रदर्शन भी आयोजित किया गया था.
बता दें कि बोडो नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन (BONSU) बोडोलैंड राज्य की मांग को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह जनवरी 2020 में बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हो गया था.